पढ़ाई हमेशा शांत माहौल में करना चाहिए, इससे ध्यान नहीं भटकता है और पढ़ी हुई चीज जल्दी याद होती है. अक्सर घर में बड़ों और स्कूल के टीचर्स को ऐसा कहते सुना होगा. यह बात काफी हद तक ठीक भी मानी जाती है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो पढ़ते समय गाने सुना (Study With Music Good Or Bad) करते हैं. जिससे लोगों के मन में सवाल उठता है कि क्या ऐसा करना सही है, क्या इस से पढ़ाई में मन लगता है या याद की हुई चीजें दिमाग में बैठती हैं. आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब…

एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि पढ़ाते करते समय गाने सुनना गलत आदत है. इससे याददाश्त पर दबाव पड़ सकता है. यह इसी तरह है जब तो चैनल एक ही फ्रीक्वेंसी पर चल रहे हों. दरअसल, पढ़ाई और म्यूजिक एक साथ टकराव पैदा करती हैं.

एक्‍सपर्ट्स का मानना है कि पढ़ाते करते समय गाने सुनना गलत आदत है. इससे याददाश्त पर दबाव पड़ सकता है. यह इसी तरह है जब तो चैनल एक ही फ्रीक्वेंसी पर चल रहे हों. दरअसल, पढ़ाई और म्यूजिक एक साथ टकराव पैदा करती हैं.

इससे पढ़ाई से मन भटक जाता है और टॉपिक भी याद नहीं रहता है. स्टडीज के मुताबिक,म्यूजिक सुनने से फोकस पर पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरह के असर पड़ सकते हैं. म्‍यूजिक मूड को रिफ्रेश करता है लेकिन तेज म्यूजिक से ध्यान भकटता है और परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है.

इससे पढ़ाई से मन भटक जाता है और टॉपिक भी याद नहीं रहता है. स्टडीज के मुताबिक,म्यूजिक सुनने से फोकस पर पॉजिटिव और निगेटिव दोनों तरह के असर पड़ सकते हैं. म्‍यूजिक मूड को रिफ्रेश करता है लेकिन तेज म्यूजिक से ध्यान भकटता है और परफॉर्मेंस पर असर पड़ सकता है.

एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक से ज्यादा नुकसान नहीं होता है. पढ़ाई करते हुए अगर इंस्ट्रूमेंटल म्‍यूजिक छात्र सुनते हैं तो इससे तनाव कम और एकाग्रता बढ़ सकती है. यह ध्यान भटकाए बिना अलर्टनेस बढ़ाती है.

एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक से ज्यादा नुकसान नहीं होता है. पढ़ाई करते हुए अगर इंस्ट्रूमेंटल म्‍यूजिक छात्र सुनते हैं तो इससे तनाव कम और एकाग्रता बढ़ सकती है. यह ध्यान भटकाए बिना अलर्टनेस बढ़ाती है.

अनफैमिलियर म्‍यूजिक सुनने से मैथ्य और लैंग्वैज जैसे विषयों को पढ़ने में परेशानी आ सकती है, जबकि फैमिलियर म्‍यूजिक चिंता कम कर परफॉर्मेंस में सुधार ला सकता है. म्‍यूजिक सुनने से मूड में सुधार होता है और अकेले रहने की भावनाएं कम होती हैं. एकाग्रता चाहने वालों को म्यूजिक नहीं सुनना चाहिए.

अनफैमिलियर म्‍यूजिक सुनने से मैथ्य और लैंग्वैज जैसे विषयों को पढ़ने में परेशानी आ सकती है, जबकि फैमिलियर म्‍यूजिक चिंता कम कर परफॉर्मेंस में सुधार ला सकता है. म्‍यूजिक सुनने से मूड में सुधार होता है और अकेले रहने की भावनाएं कम होती हैं. एकाग्रता चाहने वालों को म्यूजिक नहीं सुनना चाहिए.

गाने सुनने से बचें, स्लो और इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक सुन सकते हैं. 2. ऐसा म्‍यूजिक ही सुनने की कोशिश करें जो फीलिंग को स्ट्रॉग न करें.

गाने सुनने से बचें, स्लो और इंस्ट्रूमेंटल म्यूजिक सुन सकते हैं. 2. ऐसा म्‍यूजिक ही सुनने की कोशिश करें जो फीलिंग को स्ट्रॉग न करें.

Published at : 12 May 2024 02:01 PM (IST)

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