Crude Oil Price: अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दामों में भारी तेजी देखी जा रही है और जल्द ही ये 90 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. ब्रेंट क्रू़ड ऑयल प्राइस 88.28 बैरल प्रति डॉलर के करीब ट्रेड कर रहा है. ऐसे में अपने ईंधन खपत को पूरा करने के लिए 80 फीसदी आयात पर निर्भर भारत के लिए आने वाले दिनों में कच्चा तेल भारत की मुश्किलों को बढ़ा सकता है.
वैश्विकों जोखिमों और सप्लाई में रुकावटों के चलते कच्चे तेल के दामों में ये तेजी आई है. ब्रेंट क्रूड ऑयल प्राइस 90 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है जो फिलहाल 88.28 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है. जबकि WTI क्रूड ऑयल प्राइस 84.75 डॉलर प्रति बैरल पर ट्रेड कर रहा है.
3 अप्रैल 2024 यानि बुधवार को तेल उत्पादन करने वाले देशों ओपेक की बैठक होने वाली है. माना जा रहा है कि ये बैठक आने वाले दिनों में कच्चे तेल के दामों का दिशा दशा तय कर सकती है. जेपी मॉर्गन ने रूस के कच्चे तेल के उत्पादन घटाने के फैसले के बाद मई महीने तक 90 डॉलर प्रति बैरल कच्चे तेल के दाम जाने की भविष्यवाणी की है. हालांकि ये पहले होता नजर आ रहा है.
ओपेक देश लगातार कच्चे तेल के उत्पादन को घटा रहे हैं. मार्च 2024 में 26.42 मिलियन बैरल प्रति दिन उत्पादन घटकर रह गया है जो फरवरी के मुकाबले 50,000 बैरल प्रति दिन कम है. अप्रैल में उत्पादन और घटने के आसार हैं जिसके चलते कच्चे तेल के दामों में तेजी देखी जा रही है.
भारत की बढ़ेगी मुश्किल
भारत की सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने हाल ही में पेट्रोल डीजल के दामों में 2 रुपये प्रति लीटर तक की कटौती की है. ये माना जा रहा कि लोकसभा चुनावों के मद्देनजर दाम घटाए गए हैं. लेकिन कच्चे तेल के दामों में उबाल आने के बाद तेल कंपनियों की लागत बढ़ेगी हालांकि चुनावों के चलते बढ़ती लागत का भार वो आम लोगों के ऊपर नहीं डाल सकेंगे. ऐसे में तेल कंपनियों का नुकसान बढ़ सकता है. वहीं कच्चे तेल के दामों में इजाफे के चलते महंगाई बढ़ने का खतरा है. जो कंपनियां कच्चे माल के तौर पर कच्चे तेल का उपयोग करती है मसलन पेंट्स कंपनियां उनकी लागत बढ़ सकती है.
कच्चे तेल के दामों में उछाल से आरबीआई को भी झटका लगने वाला है. आरबीआई की तीन दिवसीय मॉनिटरी पॉलिसी बैठक बुधवार 3 अप्रैल से शुरू हो रही है. महंगाई में कमी की उम्मीद पाले आरबीआई को कच्चे तेल के दामों में तेजी से झटका लग सकता है.
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