एक्ट्रेस और रियलिटी टीवी एक्ट्रेस राखी सावंत (Rakhi Sawant) की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है. इस वायरल हो रही तस्वीर में राखी हॉस्पिटल के बेड पर नजर आ रही हैं. जिसके बाद सोशल मीडिया पर उनकी हेल्थ से जुड़ी कई सारी बातें उठाई जा रही है.

अब उनके एक्स हस्बैंड रितेश राज सिंह ने उनकी बीमारी को लेकर जानकारी शेयर की है जिसमें बताया है कि राखी यू्ट्रस कैंसर से जूझ रही हैं. फिलहाल इस खबर को लेकर एबीपी लाइव हिंदी खबर कोई दावा नहीं कर रहा है. राखी सावंत इस बीमारी से जूझ रही हैं बस ऐसी अटकलें लगाई जा रही है. इस आर्टिकल में हम यूट्रस कैंसर के लक्षण और इसके कारण के बारे में विस्तार से बात करेंगे. 

यूटरस कैंसर के लक्षण

भारतीय महिलाओं में सबसे ज्यादा होने वाला कैंसर सर्वाइकल कैंसर है. सर्वाइकल कैंसर का पता अगर शुरुआती स्टेज में चल जाए तो मरीज को बचाना बेहद मुश्किल है. खासकर भारत में सर्वाइकल कैंसर को लेकर भारतीय महिलाओं को जागरूक करना बेहद जरूरी है. आंकड़े बताते हैं कि साल 2019 में सिर्फ भारत में 45 हजार से भी अधिक महिलाओं की मौत सर्वाइकल कैंसर के कारण हुई थी. 

यूटरस कैंसर को ‘एंडोमेट्रिअल कार्सिनोमा’ भी कहा जाता है

यूटरस कैंसर को ‘एंडोमेट्रिअल कार्सिनोमा’ के नाम से भी कहा जाता है. इसमें यूटरस के हेल्दी सेल्स काफी तेजी से बढ़ने लगते हैं. जिसके कारण वह गांठ का रूप ले लेते हैं. यह गांठ कैंसरस और नॉन कैंसरस भी हो सकते हैं. कैंसर वाले गांठ के कुछ खास लक्षण होते हैं जो हमें वक्त रहते पहचान करने की जरूरत है. 

ब्लड स्पॉटिंग या मेनोपॉज की वजह से ब्लीडिंग होना भी गर्भाशय कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. यह गर्भाशय कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. जो आपको बिल्कुल भी इग्नोर नहीं करना चाहिए. खासतौर पर अगर ऐसा बार-बार हो रहा है तो बिल्कुल भी इसे इग्नोर न करें क्योंकि यह धीरे-धीरे आसपास के सेल्स और टिश्यूज में भी फैलने लगता है. बार-बार टॉयलेट करना उसमें ब्लड आना भी गर्भाशय कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. अगर ऐसी कोई प्रॉब्लम हो तो आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. 

गर्भाशय कैंसर का पता जल्दी नहीं चल पाता है. अगर आपके पेल्विक और पेट में दर्द है या खाने के बाद पेट भरा हुआ लगता है तो ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षण ऐसे होते हैं. कब्ज और बार-बार टॉयलेट आना ओवेरियन कैंसर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं. 

गर्भाशय कैंसर के स्टेज

गर्भाशय कैंसर जब किसी व्यक्ति को होता है वह चार स्टेज से गुजरता है. अपने स्टेज के हिसाब से यह काफी ज्यादा खतरनाक और लाइलाज होने लगता है. 

स्टेज I: कैंसर गर्भाशय तक ही सीमित होता है. यह अंदरूनी परत (स्टेज 1ए) तक सीमित हो सकता है या मांसपेशियों की परत (स्टेज 1बी) तक फैल सकता है.

स्टेज II: कैंसर गर्भाशय ग्रीवा तक फैल जाता है लेकिन गर्भाशय के भीतर ही रहता है.

स्टेज III: कैंसर गर्भाशय से आगे बढ़कर अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, योनि या आसपास के लिम्फ नोड्स तक फैल जाता है. 

स्टेज IV: कैंसर दूर के अंगों, जैसे मूत्राशय, मलाशय, फेफड़े, लिवर या हड्डियों में मेटास्टेसिस जैसे फैल जाता है. 

गर्भाशय कैंसर में इलाज का तरीका

गर्भाशय कैंसर का इलाज इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर किस स्टेज में पहुंच चुका है. क्योंकि अगर इस बीमारी का पता वक्त रहते चल जाए तो सर्जरी के जरिए इलाज किया जा सकता है. 
हिस्टेरेक्टॉमी (गर्भाशय को हटाना) शामिल है, और इसके बाद विकिरण चिकित्सा भी की जा सकती है. अगर इस कैंसर का पता III और IV में पता चले तो  सर्जरी, कीमोथेरेपी और हार्मोन थेरेपी के जरिए ठीक किया जा सकता है. ऐसे मामलों में सर्जरी संभव नहीं है. 

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें. 

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