नागपुर12 घंटे पहले
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महाराष्ट्र विधानसभा का शीतकालीन सत्र गुरुवार से नागपुर में शुरू हो गया। सत्र के पहले दिन महाराष्ट्र के गृह मंत्री और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र विधानसभा में महाराष्ट्र कसीनो (नियंत्रण एवं टैक्स) विधेयक पेश किया। वहीं, राज्य के वित मंत्री अजित पवार ने विधानसभा में चिटफंट महाराष्ट्र संशोधन विधेयक पेश किया।
विपक्ष ने फल-सब्जियों की माला पहनकर किया प्रदर्शन
सत्र शुरू होने से पहले विधानसभा में विपक्ष के नेताओं ने किसानों समेत कई मुद्दों पर प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की। इस दौरान कई नेता फलों-सब्जियों की माला पहने हुए नजर आए। वहीं, कईयों ने बैनर लेकर भी प्रदर्शन किया।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार कृषि संकट, दंगों और मादक पदार्थों की तस्करी से निपटने में विफल रही है। वहीं मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताया।
किसानों समेत कई मुद्दों पर प्रदर्शन करते हुए विपक्ष के नेता।
सरकार की चाय पार्टी का किया था बहिष्कार
विपक्ष के नेताओं के विरोध प्रदर्शन की तैयारी पहले से ही थी। सत्र की पूर्व संध्या पर विपक्ष ने सरकार द्वारा आयोजित चाय पार्टी का भी बहिष्कार किया था। जानकारी यह भी सामने आ रही है कि सरकार ने राज्य में किसानों के सवाल पर विपक्ष को जवाब देने की तैयारी कर ली है।
कसबा पेठ से विधायक रवींद्र धांगेकर ने ललित पाटिल मामले में कार्रवाई की मांग के लिए यह अनोखा तरीका अपनाया।
सत्र 14 दिनों का, लेकिन कामकाज के 10 दिन ही
शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर तक चलेगा, लेकिन छुट्टियों को हटा दिया जाए तो वास्तविक कामकाज सिर्फ 10 दिन ही होगा। सत्र में विपक्षी पार्टियों द्वारा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की सरकार को मराठा आरक्षण, बेमौसम बारिश, राज्य में निवेश जैसे कई अन्य मुद्दों पर घेरने की संभावना है।
वर्धा जिले के हिंगनघाट में स्वीकृत सरकारी मेडिकल कॉलेज को मंजूरी देने की मांग करते हुए विधायक समीर कुनावार।
सत्र के लिए 10 दिन का समय बहुत कम: विपक्ष
विधानसभा के शीतकालीन सत्र को लेकर विपक्ष के कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने बताया कि इस सत्र का आयोजन नागपुर में कराने को लेकर चर्चा की गई थी। विपक्षी पार्टी ने सरकार से मांग की थी कि इस सत्र को तीन सप्ताह के लिए आयोजित किया जाए, लेकिन उन्होंने केवल दस दिन तक का ही काम रखा है।
इन दस दिनों में किसी भी समस्या का हल नहीं निकलेगा। इस समय महाराष्ट्र के सामने कई गंभीर मुद्दे है, जिसपर चर्चा करने के लिए 10 दिन का समय बहुत कम है।