डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय सेना की कुर्बानियां अब स्कूली शिक्षा का हिस्सा बनेगी। कम उम्र से ही छत्रों में राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करने के लिए, शिक्षा मंत्रालय रक्षा मंत्रालय के परामर्श से पिछले 75 वर्षों में हमारे सैनिकों की वीरता को स्कूली पाठ्यक्रम और पाठ्यपुस्तकों में शामिल करेगा। साथ ही भारत की भारतीयों की वीरगाथा को भी पाठ्यपुस्तकों में शामिल किया जाएगा।
शुक्रवार को स्वयं केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि हमारे सैनिकों की वीरता को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। गौरतलब है कि हाल ही में देशभर के स्कूली छात्रों के बीच सुपर 25 और वीरगाथा परियोजना शुरू की गई है। प्रधान ने कहा कि सुपर 25 और वीरगाथा परियोजना ने सबसे रचनात्मक तरीकों से युवा भारत की देशभक्ति और हमारे नायकों के प्रति सम्मान को उजागर किया है। उन्होंने आश्वासन दिया कि शिक्षा मंत्रालय इस पहल के तहत प्राप्त प्रमाणपत्रों के लिए अकादमिक क्रेडिट देने के लिए जल्द ही एक संस्थागत तंत्र विकसित करेगा।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि कम उम्र से ही राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी की भावना को मजबूत करने के लिए शिक्षा मंत्रालय रक्षा मंत्रालय के परामर्श से हमारे सैनिकों की वीरता और पिछले 75 वर्षों में भारत की वीरगाथा को स्कूली पाठ्यक्रम और हमारी पाठ्यपुस्तकों में शामिल करने के लिए भी काम करेगा। शिक्षा मंत्री ने सैनिकों के सम्मान में परियोजना शुरू प्रतियोगिता का नाम बदलकर सेना सुपर 25 करने का भी सुझाव दिया। प्रधान ने बताया कि इस बार 5,000 स्कूलों में 8 लाख छात्रों के बीच सुपर 25 का आयोजन किया गया और हम इस पहल को भारत के सभी स्कूलों और 1 करोड़ से अधिक छात्रों तक ले जाने के लिए काम करेंगे।
धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि भारत के वीरों के सम्मान से बेहतर अमृत महोत्सव का कोई उत्सव नहीं हो सकता। उन्होंने वीरगाथा परियोजना शुरू करने के लिए केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यह मजबूत देशभक्ति की भावना और हमारे बहादुरों के प्रति कृतज्ञता की भावना विकसित करने की कुंजी है।
वहीं युवाओं के रोजगार के विषय पर शिक्षा मंत्रालय का कहना है कि नौकरियों की प्रकृति बदल रही है और अपनी विशाल आबादी को कौशल से लैस करने की चुनौती है। मंत्रालय के मुताबिक यह चुनौती अवसर भी पेश करती है। कौशल से लैस करने की प्रक्रिया में एक व्यापक बदलाव लाना चाहिए और नई तकनीक का उपयोग करने के साथ-साथ अपने युवाओं को भविष्य के लिए तैयार करने की दृष्टि से और अधिक प्रेरक बनाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि एनईपी 2020 हमारे छात्रों एवं युवाओं को नए युग के विचारों एवं कौशल से लैस एक वैश्विक नागरिक के रूप में विकसित करने का रास्ता अपनाता है और भारत को 21वीं सदी की ज्ञान अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए भारतीय भाषाओं में सीखने को प्राथमिकता देता है।
(आईएएनएस)
डिस्क्लेमरः यह आईएएनएस न्यूज फीड से सीधे पब्लिश हुई खबर है. इसके साथ bhaskarhindi.com की टीम ने किसी तरह की कोई एडिटिंग नहीं की है. ऐसे में संबंधित खबर को लेकर कोई भी जिम्मेदारी न्यूज एजेंसी की ही होगी.