किडनी में सूजन की ओर इशारा करते हैं शरीर में दिखने वाले ये 6 संकेत, तुरंत जाएं डॉक्टर के पास

किडनी में सूजन की ओर इशारा करते हैं शरीर में दिखने वाले ये 6 संकेत, तुरंत जाएं डॉक्टर के पास


आंखों के नीचे सूजन: सुबह उठते ही अगर आंखों के नीचे लगातार सूजन दिखाई देती है, तो यह किडनी में समस्या का संकेत हो सकता है. किडनी प्रोटीन को सही तरीके से फ़िल्टर नहीं कर पाती, जिससे चेहरे पर पफीनेस बढ़ जाती है.

आंखों के नीचे सूजन: सुबह उठते ही अगर आंखों के नीचे लगातार सूजन दिखाई देती है, तो यह किडनी में समस्या का संकेत हो सकता है. किडनी प्रोटीन को सही तरीके से फ़िल्टर नहीं कर पाती, जिससे चेहरे पर पफीनेस बढ़ जाती है.

पैरों और टखनों में सूजन: किडनी जब शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर नहीं निकाल पाती, तो यह फ्लूइड पैरों और टखनों में जमा होने लगता है. यह किडनी इंफ्लेमेशन का शुरुआती लक्षण हो सकता है.

पैरों और टखनों में सूजन: किडनी जब शरीर से अतिरिक्त पानी बाहर नहीं निकाल पाती, तो यह फ्लूइड पैरों और टखनों में जमा होने लगता है. यह किडनी इंफ्लेमेशन का शुरुआती लक्षण हो सकता है.

बार-बार पेशाब आना: किडनी में सूजन की वजह से पेशाब की मात्रा बदल सकती है. कभी बहुत बार पेशाब आना, तो कभी बहुत कम, दोनों ही स्थितियां खतरे की घंटी हैं। साथ ही पेशाब का रंग गाढ़ा होना भी किडनी की समस्या की ओर इशारा करता है.

बार-बार पेशाब आना: किडनी में सूजन की वजह से पेशाब की मात्रा बदल सकती है. कभी बहुत बार पेशाब आना, तो कभी बहुत कम, दोनों ही स्थितियां खतरे की घंटी हैं। साथ ही पेशाब का रंग गाढ़ा होना भी किडनी की समस्या की ओर इशारा करता है.

थकान और कमजोरी महसूस होना: किडनी सही तरीके से काम न करने पर खून में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं. इससे शरीर जल्दी थक जाता है, कमजोरी महसूस होती है और काम करने की क्षमता घट जाती है.

थकान और कमजोरी महसूस होना: किडनी सही तरीके से काम न करने पर खून में टॉक्सिन्स जमा होने लगते हैं. इससे शरीर जल्दी थक जाता है, कमजोरी महसूस होती है और काम करने की क्षमता घट जाती है.

भूख न लगना और जी मिचलाना: किडनी की सूजन के कारण खून में वेस्ट मटेरियल जमा हो जाता है, जिससे पेट संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं. भूख कम लगना, जी मिचलाना या उल्टी की इच्छा होना किडनी की समस्या का सीधा संकेत हो सकता है.

भूख न लगना और जी मिचलाना: किडनी की सूजन के कारण खून में वेस्ट मटेरियल जमा हो जाता है, जिससे पेट संबंधी दिक्कतें होने लगती हैं. भूख कम लगना, जी मिचलाना या उल्टी की इच्छा होना किडनी की समस्या का सीधा संकेत हो सकता है.

सांस लेने में तकलीफ: किडनी की सूजन से शरीर में पानी रुक जाता है, जिससे फेफड़ों में भी तरल भरने लगता है. यह स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

सांस लेने में तकलीफ: किडनी की सूजन से शरीर में पानी रुक जाता है, जिससे फेफड़ों में भी तरल भरने लगता है. यह स्थिति बेहद गंभीर हो सकती है और तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

Published at : 16 Aug 2025 06:29 PM (IST)


Preferred Sources

हेल्थ फोटो गैलरी



Source link

आपको मालामाल कर देगा रॉकेट की तरह भागने वाला ये शेयर, कभी 10 रुपये से भी कम थी कीमत

आपको मालामाल कर देगा रॉकेट की तरह भागने वाला ये शेयर, कभी 10 रुपये से भी कम थी कीमत


Multibagger Stocks: शेयर बाजार का खेल पूरी तरह जोखिम भरा होता है, जहां सूझबूझ के साथ लिया गया रिस्क लंबे समय में बड़ा फायदा दिला सकता है. लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट निवेशकों को मालामाल बना देता है. आज हम आपको ऐसे शेयर के बारे में बता रहे हैं, जिसकी कीमत कभी 10 रुपये से भी कम थी और अब यह 1075.80 रुपये पर कारोबार कर रहा है. यह शेयर है गैब्रियल इंडिया लिमिटेड का. इस शेयर ने केवल छह महीनों में ही निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया है.

गदर काट रहा शेयर

गैब्रियल इंडिया का शेयर पांच साल पहले 89 रुपये के भाव पर बिक रहा था. लेकिन पांच साल के भीतर इसने 1100% का रिटर्न दिया और अब 1075.80 रुपये तक पहुंच गया है. यानी अगर किसी ने पांच साल पहले 1 लाख रुपये का निवेश किया होता, तो आज उसकी वैल्यू करीब 12 लाख रुपये हो चुकी होती. यानी सिर्फ पांच साल में 11 लाख रुपये का मुनाफा.

अगर केवल एक साल की बात करें तो, इस शेयर ने पिछले चार महीनों में ही निवेशकों का पैसा दोगुना कर दिया है. मतलब जिसने चार महीने पहले 1 लाख रुपये लगाए थे, उसकी वैल्यू अब 2 लाख से ज्यादा हो गई है.

मल्टीबैगर बना शेयर

गैब्रियल इंडिया का यह शेयर लगातार शानदार तेजी दिखा रहा है. कई बार इसमें अपर सर्किट भी लग चुका है. इसने लंबी अवधि में निवेशकों को जबरदस्त रिटर्न दिया है और स्टॉक मार्केट में यह अब मल्टीबैगर स्टॉक बन चुका है.

ये भी पढ़ें: IPO Launch: अगले हफ्ते लॉन्च होने जा रहे पांच कंपनियों के आईपीओ, जानिए पूरी डिटेल्स

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)



Source link

How To Invest In Gold And Silver Together For Better Returns

How To Invest In Gold And Silver Together For Better Returns


Gold calms nerves, silver stirs excitement. A new fund aims to bottle both into one tax-efficient package, blending strengths across cycles. Mirae Asset Investment Managers has launched the Mirae Asset Gold Silver Passive Fund of Fund (FoF), which will dynamically invest in units of its Gold and Silver ETFs. The NFO closes on August 25. Here is a detailed review:

Metal mettle

Gold prices are shaped by structural and tactical forces. They gain when the US Fed eases rates, the dollar weakens, or as geopolitical tensions arise and central bank buys support demand. Domestic and Chinese demand, along with net long build-up, also play a role. Growth in the assets under management of global gold ETFs further reflects and fuels investor interest.

Silver has been in a persistent supply deficit in recent years, with industrial demand consistently outpacing production. From a small surplus in 2016–2018, the market swung to deep deficits, peaking at 263.5 million ounces in 2022 and staying negative through 2024. The estimated shortfall for 2025 is around 118 million ounces. This chronic undersupply, driven by industrial use in solar and electronics, could support long-term price normalisation.

Timing, DIY problems

Silver has shown extremely fat tails in its return distribution, meaning it has a higher probability of both large gains and large losses over a 12-month period. Gold’s moderate tails protect better on the downside, but low volatility doesn’t guarantee steady compounding. It spent 11 years post-1990 and six post-2012 with negative annual returns despite limited drawdowns. Recoveries from 15-20 per cent declines have taken around 1,000 days on average. This creates the risk of holding an asset that appears safe, but fails to grow for long stretches. So, an FoF using data-driven signals to dynamically allocate between metals without emotional or ad hoc decisions can be an alternative approach.

Also, an FoF is more tax efficient than handling allocations yourself. In a Do-It-Yourself mode, rebalancing gold and silver ETFs can trigger short-term capital gains tax, reducing compounding. For example, ₹10 lakh invested 50:50 in March 2006 with semi-annual rebalancing would grow to ₹90 lakh without tax, but only ₹74.47 lakh with a 30% tax on each rebalance. In an FoF, rebalancing happens without a tax event until redemption.

Strategy

The key factor is how the fund allocates between gold and silver. The fund starts with a base weight of 50 per cent in each metal. However, this initial intent is not a fixed split forever.

Allocation can tilt towards gold or silver based on indicators. First are short- and long-term trends in the gold-silver ratio and metal momentum. Second are macro and fundamental factors such as global interest rates, inflation, dollar movement, central bank buying, geopolitical tensions, and each metal’s supply-demand. These cannot be precisely quantified. The third step is regular rebalancing.

Gold and silver prices show a strong positive correlation. Holding only gold risks missing silver rallies; only silver risks steep falls in slowdowns. By blending and adjusting, the fund tries to smooth out extremes and capture more opportunities.

However, there are also downsides. The signals that guide allocation are not perfect. There will be times when the fund may tilt towards the weaker metal because indicators can be misleading. Dynamic allocation can lag if sharp moves occur before the fund adjusts. And while tax efficiency is a benefit, the FoF structure adds an extra layer of cost as you pay the expenses of the FoF and the underlying ETFs (31-35 bps).

This is not the first product of its kind. Edelweiss Gold and Silver ETF FoF and Motilal Oswal Gold and Silver ETF FoF already exist. The basic concept is the same, but they follow a broadly static allocation (50:50 or 70:30). The other differences are in the cost structure (14-24 bps expense for rival offerings) and the tracking efficiency of the underlying ETFs. Mirae’s gold and silver ETFs have a longer live track record compared to some peers.

Units will be allotted on August 29, and the scheme will reopen for continuous sale and repurchase from September 1. The minimum investment during the NFO is ₹5,000 and SIPs can start from ₹99 a month after the NFO. Ritesh Patel will manage the scheme. If you redeem within 15 days of allotment there is an exit load of 0.05 per cent. After that there is no load.

Our take

Domestic gold and silver have each delivered over 42 per cent in the past year, spurring investor interest.

Mirae Asset Gold Silver Passive FoF offers a single, structured route to own both metals, with allocation driven by technical, macro, and fundamental factors. A minimum holding period of three years is sensible. It works better as part of a broader asset allocation where you want to diversify equity and debt with precious metals.

If you already own gold or silver ETFs, and can manage shifts, you may not need this FoF. But if you want both metals with professional, tax-efficient allocation, it can be useful. If your multi asset fund already gives you enough gold and you do not want silver, this FoF is unnecessary. If you want meaningful silver exposure alongside gold, this FoF can fill that gap.

Published on August 16, 2025



Source link

IPO Launch: अगले हफ्ते लॉन्च होने जा रहे इन पांच कंपनियों के आईपीओ, जानिए पूरी डिटेल्स

IPO Launch: अगले हफ्ते लॉन्च होने जा रहे इन पांच कंपनियों के आईपीओ, जानिए पूरी डिटेल्स


शेयर बाजार में निवेश करने वालों के लिए अगला हफ्ता खास रहने वाला है. पांच बड़ी कंपनियां अपना आईपीओ (Initial Public Offering) लेकर आ रही हैं. निवेशकों की नजर इस पर टिकी हुई है कि कहां निवेश कर मुनाफे का सौदा किया जा सकता है. इनमें मंगल इलेक्ट्रिक, जेम एरोमैटिक्स, विक्रम सोलर, श्रीजी शॉपिंग ग्लोबल और पटेल रिटेल शामिल हैं.

1. मंगल इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज

मंगल इलेक्ट्रिक इंडस्ट्रीज का आईपीओ 20 अगस्त से 22 अगस्त तक खुला रहेगा. इसकी प्राइस बैंड 533 रुपये से 561 रुपये प्रति शेयर तय की गई है. कंपनी करीब 7.1 लाख शेयर जारी करेगी, जिसकी कुल वैल्यू लगभग 400 करोड़ रुपये होगी.

2. जेम एरोमैटिक्स

जेम एरोमैटिक्स 5.4 लाख फ्रेश शेयर जारी करेगी, जिनकी कुल कीमत 451 करोड़ रुपये है. यह आईपीओ 19 अगस्त से 21 अगस्त तक सब्सक्रिप्शन के लिए खुला रहेगा. शेयर की प्राइस बैंड 309 रुपये से 325 रुपये प्रति शेयर हो सकती है.

3. विक्रम सोलर

विक्रम सोलर का पहला आईपीओ भी इसी हफ्ते लॉन्च होगा. यह 1500 करोड़ रुपये का फ्रेश इश्यू होगा और कंपनी कुल 2079.37 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रख रही है. इसका सब्सक्रिप्शन 19 अगस्त से 21 अगस्त तक होगा, जबकि शेयर आवंटन 22 अगस्त को तय किया जा सकता है. इसकी प्राइस बैंड 315 रुपये से 332 रुपये प्रति शेयर रहने की उम्मीद है.

4. श्रीजी शॉपिंग ग्लोबल

श्रीजी शॉपिंग ग्लोबल का आईपीओ 19 अगस्त से 21 अगस्त तक खुलेगा. कंपनी की योजना इसके जरिए 410.71 करोड़ रुपये जुटाने की है. यह पूरी तरह से फ्रेश शेयर इश्यू होगा. इसकी प्राइस बैंड 240 रुपये से 252 रुपये प्रति शेयर तय की गई है. इसकी लिस्टिंग बीएसई और एनएसई पर 26 अगस्त से होगी, जबकि शेयर आवंटन 22 अगस्त को हो सकता है.

5. पटेल रिटेल

पटेल रिटेल का आईपीओ 19 अगस्त से 21 अगस्त तक खुला रहेगा. इसके तहत 8.5 लाख फ्रेश शेयर जारी होंगे, जबकि करीब 1 लाख शेयर ऑफर फॉर सेल (OFS) के जरिए बेचे जाएंगे. शेयर आवंटन 22 अगस्त को होगा.

ये भी पढ़ें: पुतिन से ट्रंप की मुलाकात में भले ही न निकले नतीजे, लेकिन भारत के लिए गुड न्यूज़ के मिले संकेत!

डिस्क्लेमर: (यहां मुहैया जानकारी सिर्फ़ सूचना हेतु दी जा रही है. यहां बताना जरूरी है कि मार्केट में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन है. निवेशक के तौर पर पैसा लगाने से पहले हमेशा एक्सपर्ट से सलाह लें. ABPLive.com की तरफ से किसी को भी पैसा लगाने की यहां कभी भी सलाह नहीं दी जाती है.)



Source link

हार्ट ब्लॉकेज होने पर दिखते हैं ये 6 लक्षण, कहीं आप तो नहीं हैं इससे परेशान

हार्ट ब्लॉकेज होने पर दिखते हैं ये 6 लक्षण, कहीं आप तो नहीं हैं इससे परेशान


सीने में दर्द और भारीपन: सीने में बीच-बीच में दबाव, जलन या भारीपन महसूस होना हार्ट ब्लॉकेज का सबसे सामान्य लक्षण है. इसे अक्सर

सीने में दर्द और भारीपन: सीने में बीच-बीच में दबाव, जलन या भारीपन महसूस होना हार्ट ब्लॉकेज का सबसे सामान्य लक्षण है. इसे अक्सर “एंजाइना” कहा जाता है. यह दर्द कभी कंधे, बाजू या पीठ तक भी फैल सकता है। अगर ऐसा बार-बार हो रहा है तो डॉक्टर से तुरंत जांच कराना जरूरी है.

सांस लेने में तकलीफ: थोड़ा-सा चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर ही अगर आपको सांस फूलने लगे, तो यह हार्ट ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है. ब्लॉकेज होने से दिल तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत होती है, जिससे सांस लेने में परेशानी आती है.

सांस लेने में तकलीफ: थोड़ा-सा चलने या सीढ़ियां चढ़ने पर ही अगर आपको सांस फूलने लगे, तो यह हार्ट ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है. ब्लॉकेज होने से दिल तक ऑक्सीजन पहुंचने में दिक्कत होती है, जिससे सांस लेने में परेशानी आती है.

थकान और कमजोरी: दिनभर बिना किसी भारी काम के ही थकावट महसूस होना, नींद पूरी होने के बाद भी कमजोरी रहना हार्ट ब्लॉकेज का लक्षण हो सकता है. धमनियों में रुकावट की वजह से शरीर को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे लगातार थकान महसूस होती है.

थकान और कमजोरी: दिनभर बिना किसी भारी काम के ही थकावट महसूस होना, नींद पूरी होने के बाद भी कमजोरी रहना हार्ट ब्लॉकेज का लक्षण हो सकता है. धमनियों में रुकावट की वजह से शरीर को पर्याप्त खून और ऑक्सीजन नहीं मिल पाती, जिससे लगातार थकान महसूस होती है.

चक्कर आना और बेहोशी: हार्ट ब्लॉकेज के कारण जब खून का बहाव बाधित होता है, तो दिमाग तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पाता. इसका नतीजा चक्कर आना, सिर घूमना या कभी-कभी बेहोश हो जाना हो सकता है. इसे सामान्य कमजोरी समझने की भूल न करें.

चक्कर आना और बेहोशी: हार्ट ब्लॉकेज के कारण जब खून का बहाव बाधित होता है, तो दिमाग तक पर्याप्त रक्त नहीं पहुंच पाता. इसका नतीजा चक्कर आना, सिर घूमना या कभी-कभी बेहोश हो जाना हो सकता है. इसे सामान्य कमजोरी समझने की भूल न करें.

पैरों और पंजों में सूजन: दिल का सही तरीके से काम न करना शरीर में फ्लूइड रिटेंशन बढ़ा देता है. इससे पैरों, टखनों और पंजों में सूजन आ सकती है. यह हार्ट ब्लॉकेज के अलावा हार्ट फेल्योर का भी शुरुआती संकेत हो सकता है.

पैरों और पंजों में सूजन: दिल का सही तरीके से काम न करना शरीर में फ्लूइड रिटेंशन बढ़ा देता है. इससे पैरों, टखनों और पंजों में सूजन आ सकती है. यह हार्ट ब्लॉकेज के अलावा हार्ट फेल्योर का भी शुरुआती संकेत हो सकता है.

अत्यधिक पसीना आना: गर्मी या एक्सरसाइज के बिना ही बार-बार और ज्यादा पसीना आना भी हार्ट ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है. यह स्थिति दिल पर दबाव बढ़ने और ब्लॉकेज के कारण होती है. खासकर सीने में दर्द के साथ पसीना आना गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है.

अत्यधिक पसीना आना: गर्मी या एक्सरसाइज के बिना ही बार-बार और ज्यादा पसीना आना भी हार्ट ब्लॉकेज का संकेत हो सकता है. यह स्थिति दिल पर दबाव बढ़ने और ब्लॉकेज के कारण होती है. खासकर सीने में दर्द के साथ पसीना आना गंभीर खतरे की ओर इशारा करता है.

Published at : 16 Aug 2025 05:31 PM (IST)


Preferred Sources

हेल्थ फोटो गैलरी



Source link