जागावाटपात विचारात घेतलं गेलं नाही तरी महायुतीसोबत का? रामदास आठवलेंनी खरं कारण…'


Ramdas Athawale On Seat Allocation: रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडियाचे अध्यक्ष आणि राज्यसभेचे खासदार रामदास आठवले यांनी ‘झी 24 तास’च्या जाहीर सभेत हजेरी लावली. यावेळी त्यांनी विविध प्रश्नांची खास शैलीत उत्तरे दिली. गेल्या अनेक वर्षात मी सामाजिक, राजकीय क्षेत्रात काम केलंय. मी राजकारणात आहे पण मी राजकारणी नाही. माझ्या समाजासाठी, बाबासाहेबांच्या विचाराशी एकनिष्ठ राहणारा मी कार्यकर्ता आहे. राजकारणी बनण्यापेक्षा चित्रपटात यावे, कलाकार व्हावे अशी माझी इच्छा होती. पण सिद्धार्थ काँलेजमध्ये असताना मी पॅंथरच्या माध्यमातून राज्यासह देशात फिरलो. लाखो तरुण माझ्या मागे आहे. यानंतर मला राज्यसभेमध्ये संधी मिळाली. नरेंद्र मोदींच्या मंत्रिमंडळात मला तिसऱ्यांदा संधी मिळाली. लोकसभेत खासदार नसताना मला संधी मिळाल्याचे आठवलेंनी यावेळी सांगितले. 

राजकारण कोणत्या दिशेने वाहतेय याची हवा मला कळत असते. सध्या हवा ही महायुतीच्या बाजुने आहे. लोकसभेत आम्हाला जागा कमी मिळाल्या. आता ती वेळ गेली आहे. आता विधानसभेची तयारी सुरु आहे. अनेक आघाड्यांवर अनेक उमेदवार लढतायत. याचा आम्हालाच फायदा होईल. पण मुख्यमंत्री कोण होणार? हे मी आता सांगणार नाही, असे त्यावेळी म्हणाली. 

5 जागा तरी मिळतील ही अपेक्षा

महायुतीत रामदास आठवले दिसतात पण त्यामध्ये आरपीआयच्या जागा दिसत नाही. याबद्दल त्यांना प्रश्न विचारण्यात आला. त्यावर बोलताना आम्ही 21 जागांची मागणी केली आहे. पण चर्चेत आम्हाला कधी बोलावले नाही. सध्याच्या घडीला 8-10 जागा मागितल्या होत्या पण मिळतील असं वाटत नाही. 5 जागा मिळतील अशी आमची मागणी आहे. अन्यथा आम्हाला एमएलसी, महामंडळ मिळायला हवे. माझ्या पक्षाचे कार्यकर्ते नाराज आहेत. आपल्याला किती जागा मिळाल्या? असे मला रोज फोन येतात, असेही आठवलेंनी यांनी सांगितले. 

महायुतीच्या जागावाटपात विचारात घेतले गेले नाही

बाळासाहेबांच्या आवाहनानंतर शिवशक्ती-भिमशक्तीसाठी मी सगळीकडे फिरलो. त्याआधी माझी भाजप विरोधी भूमिका होती.2012 च्या बीएमसी निवडणूकीत आरपीआय आल्यानंतर महायुती तयार झाली. आता दोन मोठे पक्ष आल्याने आरपीआय कुठे दिसत नाही. आरपीआयला दुर्लक्षित करणे चांगल होणार नाही. त्या पत्रकार परिषदेत मला बोलायला दिले नाही. विश्वासात घेतले जात नाही, अशी खंत त्यांनी बोलून दाखवली. 

तरी  रामदास आठवले युतीसोबत का आहेत? 

असं असतानाही रामदास आठवले युतीसोबत का आहेत? असा प्रश्न त्यांना विचारण्यात आला. याला उत्तर देताना ते म्हणाले, ‘मला मोदींनी मंत्रिपद दिलंय हे याचे उत्तर नाही. तर नागालॅण्डमध्ये आमचे 2 खासदार आहे. मणिपूरमध्ये माझ्या उमेदवाराला १७ टक्के बहुमत होते. अनेक राज्यांमध्ये आरपीआयच्या शाखा आहेत. मी मंत्री असल्यामुळे संपूर्ण देशात फिरण्याची मला संधी मिळते. अन्याय होतोय पण लगेच निर्णय घेणे माझ्यासाठी थोडं अडचणीचं आहे, असे उत्तर त्यांनी दिले. सर्व माझ्यासोबत असल्याने मी उलट भूमिका घेत नाही. आम्ही इतका त्याग करतो तर 3 ते 4 जागा द्यायला हव्या, अशी अपेक्षा त्यांनी व्यक्त केली.





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प्रीति जिंटा पंजाब, तो अंबानी परिवार है MI का मालिक; जानें RCB को कौन करता है कंट्रोल?


Who is the Owner of RCB: इंडियन प्रीमियर लीग (Indian Premier League) की शुरुआत साल 2008 में हुई थी और अब तक कुल 7 अलग-अलग टीमें IPL का खिताब जीत चुकी हैं. मगर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (Royal Challengers Bengaluru) तीन बार फाइनल में जाने के बाद भी ट्रॉफी नहीं जीत पाई है. खैर फ्रैंचाइजी मालिकों की बात करें तो प्रीति जिंटा और शाहरुख खान अपनी-अपनी टीम को सपोर्ट करते दिखाई देते हैं, लेकिन आरसीबी का मालिकाना हक आखिर किसके पास है?

कौन है RCB का मालिक?

आरसीबी टीम का मालिकाना हक यूनाइटेड स्पीरिट्स लिमिटेड नाम की कंपनी के पास है. यह भारत की सबसे बड़ी शराब बनाने वाली कंपनी है और यह दुनिया में एल्कोहॉल बनाने वाली कंपनियों में दूसरे नंबर पर है. यूनाइटेड स्पीरिट्स लिमिटेड (USL) का हेडक्वार्टर बेंगलुरु में स्थित है. अभी USL के चेयरमैन महेंद्र कुमार शर्मा हैं और कंपनी के कार्यकारी निदेशक प्रदीप जैन हैं. कुछ साल पहले तक विजय माल्या RCB के मालिक हुआ करते थे, लेकिन 2016 में उन्हें बैंकों के साथ फ्रॉड मामले में दोषी पाया गया था, जिसके बाद उनसे आरसीबी का मालिकाना हक छिन गया था.

कितना है RCB का नेट वर्थ?

कुछ मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु का नेट वर्थ करीब 585 करोड़ रुपये आंका गया है. बेंगलुरु की टीम चाहे अभी तक IPL का खिताब नहीं जीत पाई है, लेकिन बड़े-बड़े खिलाड़ी होने से टीम की ब्रांड वैल्यू बाकी कई टीमों से बहुत अधिक है. वहीं एक बहुत बड़ा फैनबेस होने के कारण भी कई दिग्गज कंपनियां भी RCB को स्पॉन्सर करती रही हैं.

IPL 2025 में किसे रिटेन करेगी RCB?

सभी 10 आईपीएल टीमों को 31 अक्टूबर शाम 5 बजे तक BCCI को अपनी-अपनी रिटेंशन लिस्ट देनी है. मौजूदा अपडेट के हिसाब से रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु केवल विराट कोहली को रिटेन कर सकती है. इस सूची में दूसरा नाम तेज गेंदबाज मोहम्मद सिराज का जुड़ सकता है, लेकिन इस विषय पर कुछ स्पष्ट अपडेट नहीं आया है. यदि केवल विराट को रिटेन किया गया तो अवश्य ही बेंगलुरु की टीम इस बार पूरी तरह बदलने वाली है.

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गर्भवती महिला हेयर कट करवाती हैं तो बच्चे के आंखों की रोशनी होती है कम? जानें क्या है पूरा सच



<p style="text-align: justify;">जब कोई महिला प्रेग्नेंट होती है और उस दौरान हेयर कट करवाने से बच्चे कि आंखों की रोशनी कम होती है? आज इस आर्टिकल में हम इसी सवाल का जवाब जानने की कोशिश करेंगे. इस बात में कितनी सच्चाई है. &nbsp;जब महिला के गर्भ में बच्चा रहता है तो कई सारे नियम-कानून, आसपास और फैमिली के लोगों जरिए बताया जाता है. कुछ न कुछ बातें हम अक्सर अपने परिवार में बोलते कभी न कभी सुन लेते हैं. यह बाते दशकों से चली आ रही है.सिर्फ प्रेग्नेंसी को लेकर ही नहीं ऐसी कई सारी बातें हैं जिन्हें लेकर अक्सर लोग बोलते हैं. ‘एबीपी लाइव हिंदी’ ने ऐसी बातों को लेकर एक खास सीरीज शुरू किया है.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;">दरअसल, &nbsp;हमारे भारतीय समाज में ऐसी कई बातें हैं जिसके पीछे कोई लॉजिक नहीं है लेकिन उससे सच मानकर लोग आंख बंद करके फॉलो करते हैं. सबसे हैरानी की बात यह है कि बातें मिथ होते हुए भी यह सच्चाई पर भारी पड़ती है . ऐसी बातों को लेकर ‘एबीपी लाइव हिंदी’ की खास पेशकश है Myth Vs Facts. &nbsp;’Myth Vs Facts सीरीज’ की कोशिश है कि आपको दकियानूसी बातों की दलदल से निकालकर आपतक सच्चाई पहुंचाना.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Fact Check- प्रेग्नेंसी के दौरान इस वजह से बाल नहीं कटवाने चाहिए</strong></p>
<p style="text-align: justify;">अगर गर्भवती महिला इस दौरान बाल कटवाती हैं तो बच्चे के आंखों पर बहुत बुरा असर होता है. गर्भ में पल रहे बच्चे की आंखों में दिक्कत शुरू होती है. साथ ही साथ कई तरह की आंख से जुड़ी समस्याएं होने लगती है.अब किसी बच्चे की आंख जन्म से ही कमजोर या खराब है तो इसकी कोई साइंटिफिक कारण हो सकते हैं.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:&nbsp;<a title="अब 40 पर्सेंट तक कम हो जाएगा सर्वाइकल कैंसर से मौत का खतरा, 10 साल की टेस्टिंग के बाद तैयार हुआ खास ट्रीटमेंट" href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-new-treatments-for-cervical-cancer-which-reduce-the-risk-of-death-by-40-percent-2804071/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp" target="_blank" rel="noopener">अब 40 पर्सेंट तक कम हो जाएगा सर्वाइकल कैंसर से मौत का खतरा, 10 साल की टेस्टिंग के बाद तैयार हुआ खास ट्रीटमेंट</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;">इसे समझना मुश्किल है. &nbsp;इससे भी ज़्यादा विवादास्पद यह है कि गर्भवती महिलाओं को अपने बाल रंगने चाहिए या नहीं. हेयर डाई के इस्तेमाल को निश्चित रूप से मनुष्यों में जन्म दोषों से नहीं जोड़ा गया है. हालांकि डॉक्टर शुरुआत के तीन महीने ऐसा करने से मना करते हैं.&nbsp;</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:&nbsp;<a title="देश के लगभग 88% लोग हैं एंग्जायटी के शिकार, अगर आप भी हैं उनमें से एक तो करें ये काम " href="https://www.abplive.com/photo-gallery/lifestyle/health-mental-health-what-is-3-3-3-rule-to-get-rid-of-anxiety-know-benefits-2804661/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp" target="_blank" rel="noopener">देश के लगभग 88% लोग हैं एंग्जायटी के शिकार, अगर आप भी हैं उनमें से एक तो करें ये काम</a></strong></p>



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एसी कोच के कंबल कितने दिन बाद साफ कराता है रेलवे, ये सेहत के लिए कितने खतरनाक?


Railway AC Coach Blanket Cleaning : ट्रेन के एसी कोच में सफर करने वाले पैसेंजर्स को बेडरोल दी जाती है. इसमें दो चादर, एक तकिया, टॉवेल और एक कंबल (Blanket) होता है. यह मुफ्त नहीं होता है, इसका चार्ज किराए में जोड़कर लिया जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन कंबलों और चादरों की सफाई कितने दिनों में की जाती है. एक RTI के जवाब में रेलवे की ओर से इसका जवाब आया है. आइए जानते हैं एसी कोच में मिलने वाले कंबलों की सफाई कितने दिनों में की जाती है और इससे सेहत को क्या खतरे हो सकते हैं…

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रेलवे के कंबल कितने दिनों में साफ होते हैं

रेलवे ने अपने जवाब में बताया है कि एसी कोच में मिलने वाले चादर, तकिए, तौलिए की सफाई हर बार इस्तेमाल के बाद की जाती है. इसके लिए देशभर में 46 डिपार्टमेंटल लाउंडरीज हैं. वहीं, कंबलों की सफाई महीने में सिर्फ एक बार ही की जाती है. अगर कंबल गीला हो जाए या उस पर कुछ गिर जाता है तो बीच में भी उसकी सफाई कराई जाती है. हालांकि, कई बार इसे लेकर मनमानी की खबरें भी आती है. ऐसे में देरी से कंबलों की सफाई और कई यात्रियों द्वारा इसका इस्तेमाल होना सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. इससे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं.

क्या कहते हैं इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट

 ट्रेन के चद्दर और कंबल की सफाई को लेकर डॉ देवेंद्र दुबे क्या कहना है कि एक में मिलने वाले चद्दर और कंबल की सफाई बेहद जरूरी है. जो जवाब रेलवे की तरफ से कंबल की सफाई को लेकर आया है वह हैरान कर देने वाला है. डॉक्टर के मुताबिक बगैर खुला हुआ एक का कंबल इस्तेमाल करने से खुजली, एक्जिमा, फंगल इन्फेक्शन, बैक्टीरियल इनफेक्शन, सांस लेने में दिक्कत, पिंपल्स, एलर्जी और अस्थमा जैसी परेशानी हो सकती है.

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कंबलों की सफाई न करने से सेहत को क्या खतरे

1. एलर्जी की समस्या

गंदे कंबलों में धूल, मिट्टी और अन्य एलर्जिक पदार्थ हो सकते हैं. बार-बार अलग-अलग यात्रियों के इस्तेमाल से एलर्जी (Allergies) का खतरा बना रहता है. इससे स्किन को कई समस्याएं हो सकती हैं. लालिमा, खुजली और फोड़े-फुंसी निकल सकते हैं.

2. इंफेक्शन

गंदे कंबलों में बैक्टीरिया, वायरस और फंगस हो सकते हैं जो यात्रियों को संक्रमण (Infection) का शिकार बना सकते हैं. कई यात्रियों के द्वारा इन्हें इस्तेमाल करने से इन वायरस और बैक्टीरिया का ट्रांसफर एक-दूसरे में आसानी से हो सकता है. 

3. स्किन से जुड़ी समस्याएं

ऐसे कंबल जिनकी साफ-सफाई में देरी की जाती है, वे काफी गंदे हो जाते हैं, जिनमें मौजूद धूल और मिट्टी स्किन की सेहत बिगाड़ सकती हैं. इससे एक्जिमा और दाने निकलने जैसी समस्या हो सकती है. 

4. सांस से जुड़ी समस्याएं

गंदे कंबलों में मौजूद धूल और मिट्टी सांस से जुड़ी समस्याएं जैसे अस्थमा (Asthma) और ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ा सकते हैं. इनकी वजह से फेफड़ों को नुकसान पहुंच सकता है. इसलिए ट्रेन या घर में बिना धुले कंबलों के इस्तेमाल से बचना चाहिए.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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