धूल, मिट्टी या डस्ट से हो जाती है एलर्जी, तो आज़माएं ये घरेलू नुस्खे


डस्ट से होने वाली एलर्जी (allergy) एक बड़ी कॉमन समस्या है, जिससे न जाने कितने लोग परेशान होते हैं. खासकर जो लोग अस्थमा या श्वास संबंधी परेशानियों से जूझ रहे हैं, उन्हें इस एलर्जी के कारण बार-बार नाक बहना, छींक आना, आंखों में खुजली होना, आंखों का लाल पड़ना और गले में खिंचाव होना जैसी समस्या हो सकती हैं.

ऐसे में डस्ट एलर्जी होने पर इससे पीड़ित लोगों को सीधे डॉक्टर के पास भागना पड़ता है, तब जाकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन आज हम आपको बताते हैं कुछ नेचुरल घरेलू उपाय (DIY to reduce dust allergy) जिसकी मदद से आप इस डस्ट एलर्जी (dust allergy) को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

ऐसे में डस्ट एलर्जी होने पर इससे पीड़ित लोगों को सीधे डॉक्टर के पास भागना पड़ता है, तब जाकर इसे कंट्रोल किया जा सकता है. लेकिन आज हम आपको बताते हैं कुछ नेचुरल घरेलू उपाय (DIY to reduce dust allergy) जिसकी मदद से आप इस डस्ट एलर्जी (dust allergy) को काफी हद तक कम कर सकते हैं.

सेंधा नमक और गर्म पानी की भाप : अगर आपको डस्ट से एलर्जी होती है, तो आप एक कप गर्म पानी में सेंधा नमक डालकर घोल लें और इस पानी की भाप लें. ऐसा करने से जो भी डस्ट पार्टिकल्स है वह बाहर आ जाते हैं. इससे नाक क्लियर होती है, गले की सूजन को कम करने में मदद मिलती है और धूल और बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं.

सेंधा नमक और गर्म पानी की भाप : अगर आपको डस्ट से एलर्जी होती है, तो आप एक कप गर्म पानी में सेंधा नमक डालकर घोल लें और इस पानी की भाप लें. ऐसा करने से जो भी डस्ट पार्टिकल्स है वह बाहर आ जाते हैं. इससे नाक क्लियर होती है, गले की सूजन को कम करने में मदद मिलती है और धूल और बैक्टीरिया बाहर निकल जाते हैं.

शहद और अदरक का करें इस्तेमाल :, जिन लोगों को डस्ट से एलर्जी होती है उनके लिए अदरक और शहद दोनों ही नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों का काम करते हैं. इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक चम्मच शहद में ताजा अदरक का रस मिलाएं, रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. 8-10 दिन तक लगातार इसका सेवन करने से डस्ट एलर्जी को काफी हद तक कम किया जा सकता है और इससे शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

शहद और अदरक का करें इस्तेमाल :, जिन लोगों को डस्ट से एलर्जी होती है उनके लिए अदरक और शहद दोनों ही नेचुरल एंटीऑक्सीडेंट और एंटी इंफ्लेमेटरी गुणों का काम करते हैं. इसका इस्तेमाल करने के लिए आप एक चम्मच शहद में ताजा अदरक का रस मिलाएं, रोज सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. 8-10 दिन तक लगातार इसका सेवन करने से डस्ट एलर्जी को काफी हद तक कम किया जा सकता है और इससे शरीर की इम्यूनिटी भी बढ़ती है.

तुलसी और हल्दी का काढ़ा : सर्दियों के समय में डस्ट एलर्जी से अस्थमा, ब्रॉन्कायटिस और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है, ऐसे में आप हल्दी और तुलसी का आयुर्वेदिक काढ़ा बना सकते हैं. तुलसी के पत्तों को उबालकर उसमें हल्दी डालें, जब तक पानी आधा न रह जाए इसका काढ़ा बनाएं और फिर गुनगुना होने पर इस मिश्रण को पिएं. इससे शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं और इंफ्लेमेशन कम होती है.

तुलसी और हल्दी का काढ़ा : सर्दियों के समय में डस्ट एलर्जी से अस्थमा, ब्रॉन्कायटिस और सांस संबंधी बीमारियों का खतरा और बढ़ सकता है, ऐसे में आप हल्दी और तुलसी का आयुर्वेदिक काढ़ा बना सकते हैं. तुलसी के पत्तों को उबालकर उसमें हल्दी डालें, जब तक पानी आधा न रह जाए इसका काढ़ा बनाएं और फिर गुनगुना होने पर इस मिश्रण को पिएं. इससे शरीर से टॉक्सिन बाहर निकलते हैं और इंफ्लेमेशन कम होती है.

नारियल तेल की मालिश:  अगर आपको धूल मिट्टी से एलर्जी है, जिसके कारण आपकी नाक बंद हो जाती है, तो रात में सोने से पहले अपने नथुनों के पास और गले पर नारियल तेल से मालिश करें, इससे सांस लेने में राहत मिलती है..

नारियल तेल की मालिश: अगर आपको धूल मिट्टी से एलर्जी है, जिसके कारण आपकी नाक बंद हो जाती है, तो रात में सोने से पहले अपने नथुनों के पास और गले पर नारियल तेल से मालिश करें, इससे सांस लेने में राहत मिलती है..

Published at : 22 Nov 2024 05:36 AM (IST)

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बुजुर्गों को अक्सर निमोनिया क्यों होता है? जानें इस गंभीर इंफेक्शन के लक्षण और बचाव का तरीका


निमोनिया एक जानलेवा संक्रमण है जिसमें आपके फेफड़ों में छोटी हवा की थैलियां (एल्वियोली) सूजने लगती हैं जिससे खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. निमोनिया न केवल युवाओं में बल्कि बड़ी उम्र के लोगों में भी आम है. यह रोगियों में उच्च रुग्णता और मृत्यु दर का कारण बनता है. वृद्धों में होने वाला निमोनिया, जिसे अक्सर श्वसन स्वास्थ्य से संबंधित चर्चाओं में अनदेखा कर दिया जाता है. फेफड़ों का एक गंभीर संक्रमण है जो कुछ वृद्ध वयस्कों को प्रभावित कर सकता है.

 इस आयु वर्ग में आमतौर पर कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और अंतर्निहित स्थितियां होती हैं, जिससे वे निमोनिया की जटिलताओं के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं. अन्य युवा रोगियों के विपरीत, जो छाती में दर्द और तेज़ बुखार जैसे सामान्य लक्षणों का अनुभव कर सकते हैं. वृद्ध रोगियों में भ्रम या यहां तक कि अचानक गतिशीलता में कमी देखी जाती है और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता हो सकती है.

कारण: जब हमने ग्लेनेगल्स अस्पताल परेल के पल्मोनोलॉजी और लंग ट्रांसप्लांट तो उन्होंने कहा कि बुजुर्गों में निमोनिया कई अंतर्निहित कारकों से होता है जैसे कि उम्र बढ़ने के साथ कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), मधुमेह या हृदय रोग जैसी पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां, खराब पोषण या शारीरिक गतिविधि की कमी जैसे जीवनशैली कारक फेफड़ों की कमज़ोरी और ठीक होने की क्षमता को कम कर सकते हैं.

लक्षण: इस स्थिति के लक्षण खांसी, बुखार और ठंड लगना, सीने में दर्द, थकान, सांस लेने में तकलीफ़ और तेज़ सांस लेना हैं. ये लक्षण किसी व्यक्ति के मन की शांति को छीन सकते हैं और दैनिक गतिविधियों को आसानी से करने की उसकी क्षमता में बाधा डाल सकते है.। अगर बुजुर्गों में भ्रम, सांस लेने में तकलीफ़, शरीर का असामान्य तापमान और असहनीय सीने में दर्द जैसे अतिरिक्त लक्षण हैं, तो उन्हें डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

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इलाज: निदान की पुष्टि करने के लिए रक्त परीक्षण, सीटी स्कैन और एक्स-रे की मदद से इस स्थिति का पता लगाया जा सकता है. जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए डॉक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करना आवश्यक है.

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इलाज: इलाद में सभी तरह की सुविधाएं होनी चाहिए. इसका मतलब है एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल दवाएँ, साथ ही सहायक देखभाल, जिसमें हाइड्रेशन, SPO2 के स्तर की निगरानी, ​​पर्याप्त आराम, साथ ही फुफ्फुसीय पुनर्वास शामिल है. कम से कम समय में ऐसा इलाज जटिलताओं को रोकेगा, उदाहरण के लिए, श्वसन विफलता, फेफड़ों में फोड़ा, सेप्सिस, फेफड़ों में द्रव का जमाव, और अंततः बुजुर्ग रोगियों में मृत्यु.

बुजुर्गों में निमोनिया को रोकने के लिए सुझाव: न्यूमोकोकल वैक्सीन और इन्फ्लूएंजा वैक्सीन लगवाना, नियमित रूप से हाथ धोना, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, मास्क पहनना, बार-बार छुई जाने वाली सतहों को कीटाणुरहित करना, भीड़-भाड़ वाली जगहों या बीमार लोगों के आस-पास रहने से बचना, धूम्रपान छोड़ना, संतुलित आहार खाना, रोजाना व्यायाम करना, नियमित रूप से अच्छी नींद लेना और फेफड़ों को स्वस्थ रखने के लिए उचित हाइड्रेशन सुनिश्चित करना निमोनिया को रोकने के लिए महत्वपूर्ण है.

मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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