इजरायल-हमास जंग का लोगों की मेंटल हेल्थ पर असर, इस डिसऑर्डर के चलते इजरायली लड़की ने किया सुसाइ



<p>इजरायली लड़की शिरेल गोलान की इजरायल-हमास जंग के कारण मेंटल हेल्थ बिगड़ गई थी. जिसके कारण उन्होंने सुसाइड कर लिया. बताया जा रहा है कि शिरेन ने हाल ही में नोवा फेस्टिवल में भाग लिया था. जिसमें वह बहुत खुशी थी लेकिन हमास और इजरायल के जंग के कारण वह पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित हो गई थीं. जिसके कारण उन्होंने अपने 22वें जन्मदिन पर खुदखुशी कर ली. &nbsp;</p>
<p><strong>पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) </strong></p>
<p>उसके भाई इयाल गोलान के मुताबिक शिरेल गोलान इजरायल पर हमास के क्रूर हमले के बाद पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) से पीड़ित हो गई थी. लड़की के भाई ने बताया कि 20 अक्टूबर को नेतन्या के नज़दीक उत्तर-पश्चिमी इज़राइल के पोरात में अपने घर पर उसने आत्महत्या कर ली.</p>
<p>शिरेल गोलान के भाई बताते हैं कि पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) लक्षणों के कारण दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था.&nbsp; लड़की के भाई का मानना है कि इज़राइल राज्य मेरी बहन की मौत का ज़िम्मेदा है. उसने&nbsp; दावा किया कि राज्य से कोई सहायता नहीं मिली. डेली मेल के संवाददाताओं से कहा अगर राज्य ने उसकी ठीक से देखभाल की होती तो यह सब कुछ नहीं होता. इज़राइल राज्य ने मेरी बहन को दो बार मारा. एक बार अक्टूबर में मानसिक रूप से और दूसरी बार आज उसके 22वें जन्मदिन पर, शारीरिक रूप से.</p>
<p><strong>शिरेल गोलान अपने साथी के साथ नोवा उत्सव में शामिल हुईं थीं</strong></p>
<p>पिछले साल शिरेल और उनके साथी आदि ने दक्षिणी इज़राइल में नोवा उत्सव में भाग लिया था, जब हमास के आतंकवादियों ने किबुत्ज़ रीम में क्षेत्र पर हमला किया था, जिसमें 364 लोग मारे गए थे. दोनों ने एक झाड़ी के नीचे छिपकर घंटों बिताए और मुश्किल से मौत से बच गई थीं.&nbsp;</p>
<p><strong>पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) क्या है?</strong></p>
<p>पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो किसी दर्दनाक घटना के बाद इंसान के दिमाग पर बुरा असर डालता है. यह एक आम स्थिति है और इसे सबसे पहले युद्ध के दिग्गजों में पहचाना गया था. हालांकि, इसका निदान केवल सैनिकों में ही नहीं किया जाता. लेकिन अगर कोई बार-बार ऐसी घटना के बारे में सोच रहा है तो यह गंभीर रूप ले सकती है.&nbsp;</p>
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<p><strong>PTSD के लक्षण:</strong></p>
<p>अजीबोगरीब सपने और फ़्लैशबैक</p>
<p>अकेलेपन, चिड़चिड़ापन, और अपराध बोध की भावना</p>
<p>अनिद्रा जैसी नींद संबंधी समस्याएं</p>
<p>ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई</p>
<p>चिंता</p>
<p>हमेशा बुरा ख्याल आना</p>
<p>PTSD का इलाज मनोचिकित्सा (टॉक थेरेपी) है. इसके अलावा, दवाओं का भी इस्तेमाल किया जा सकता है.&nbsp;</p>
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<p><strong>PTSD से निपटने के लिए ये बातें भी की जा सकती हैं:&nbsp;</strong></p>
<p>स्वीकार करें कि जो हुआ है उसे आप बदल नहीं सकते, लेकिन आप घटना, दुनिया और अपने जीवन के बारे में अलग तरह से सोच सकते हैं.&nbsp;</p>
<p>जो कुछ हुआ उसके बारे में बात करें ताकि आपका दिमाग यादों को दूर रख सके.&nbsp;</p>
<p>&nbsp;आराम करें, स्वस्थ आहार लें, व्यायाम करें.&nbsp;</p>
<p>कैफ़ीन और निकोटीन कम करने की कोशिश करें</p>
<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
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किन लोगों को ज्यादा पड़ता है हार्ट अटैक, रईसों को या गरीबों को? यहां है जवाब


Heart Attack : हमारा दिल बेहद महत्वपूर्ण और नाजुक अंग है. इसकी सेहत कभी भी और किसी उम्र में खराब हो सकती है. दिल की धड़कन रुकने से जान जाने का खतरा रहता है. दिल की बीमारियों में सबसे ज्यादा रिस्क हार्ट अटैक और स्ट्रोक से होता है. 

पहले सिर्फ बड़ी उम्र में ही इसका जोखिम होता था लेकिन कम उम्र में भी लोग इस बीमारी की चपेट में आने लगे हैं. दिल की बीमारी की चपेट में गरीब या अमीर कोई भी आ सकता है. ऐसे में सवाल उठता है कि हार्ट अटैक जैसी समस्याओं का खतरा गरीबों या अमीरों, किसे सबसे ज्यादा होता है. आइए जानते हैं…

क्या अमीरों को हार्ट अटैक का खतरा ज्यादा

पहले हार्ट अटैक (Heart Attack) अमीरों की बीमारी मानी जाती थी, क्योंकि हार्ट अटैक के जोखिम बढ़ने का कारण लाइफस्टाइल, खानपान और हेल्थ कंडीशंस जैसी चीजें होती हैं लेकिन साल 1990 और खासकर 2000 के बाद बीमारियों ने इस तरह का भेदभाव भी खत्म कर दिया.

ब्रिटिश यूनिवर्सिटी की एक स्टडी में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. शोधकर्ताओं ने 22 मिलियन लोगों के इलेक्ट्रॉनि स्वास्थ्य रिकॉर्ड का विश्लेषण किया. इसमें से 1.56 मिलियन लोग 2000 से 2019 के बीच कम से कम एक हृदय रोग से पीड़ित थे. इन व्यक्तियों की औसत आयु 70.5 वर्ष थी, जिनमें से 48% महिलाएँ थीं.

यह भी पढ़ें: अब 40 पर्सेंट तक कम हो जाएगा सर्वाइकल कैंसर से मौत का खतरा, 10 साल की टेस्टिंग के बाद तैयार हुआ खास ट्रीटमेंट

अब यह बीमारी गली-मोहल्लों और  गांवों में भी हो रही है. दुनियाभर में हर साल सबसे ज्यादा लोग हार्ट डिजीज और हार्ट अटैक से ही मरते हैं. 2014 में पाया गया कि 1990 के बाद गांवों में भी कार्डियोवैस्कुलर डिजीज के मामले दोगुने हुए हैं. 

गरीब लोगों में हार्ट अटैक की समस्याओं का कारण

हेल्दी डाइट- गरीब लोगों के पास पैसे नहीं होते हैं, इसलिए वे अस्वस्थ आहार लेते हैं, जैसे कि तला हुआ भोजन, जिससे हार्ट की समस्या होती है.

एक्सरसाइज की कमी- गरीब लोगों के पास एक्सरसाइज करने के लिए समय और सुविधाएं नहीं होती हैं.

तनाव- गरीब लोगों को आर्थिक तनाव और अन्य समस्याओं के कारण तनाव होता है, जिससे हार्ट की समस्या होती है.

रईसों में हार्ट अटैक के कारण

तनाव- रईस लोगों को भी तनाव होता है, लेकिन इसका कारण आर्थिक नहीं होता है.

अनहेल्दी लाइफस्टाइल- रईस लोगों की लाइफस्टाइल अनहेल्दी होती है, जैसे कि धूम्रपान और शराब का सेवन.

वर्कआउट की कमी- रईस लोगों के पास समय नहीं होता है एक्सरसाइज करने के लिए.

जेनेटिक प्रॉब्लम्स- अमीरों में अनुवांशिक समस्याएं हो सकती हैं, जैसे- हार्ट की समस्या.

हार्ट अटैक की समस्या से बचने के लिए क्या करें

हेल्दी डाइट लें.

एक्सरसाइज करें.

तनाव कम करें.

नियमित हेल्थ चेकअप कराएं.

धूम्रपान और शराब का सेवन न करें.



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अब लैब में बनेगी इंसानों की स्किन, बुढ़ापे में भी जवान दिखेंगे लोग



<p style="text-align: justify;">रिसर्चर ने पता लगाया है कि शरीर स्टेम सेल्स से त्वचा कैसे बनाता है और प्रयोगशाला में त्वचा की थोड़ी मात्रा का पुनरुत्पादन किया है. इस शोध से प्रत्यारोपण के लिए कृत्रिम त्वचा मिल सकती है और निशान पड़ने से बचा जा सकता है.शोधकर्ताओं ने एक ऐसी तकनीक बनाई है कि &nbsp;जो त्वचा कोशिकाओं पर बायोलॉजिकल पीरियडस को 30 साल पीछे कर सकती है. यह तकनीक की चीजों का इस्तेमाल कर रही है.चार प्रोटीन जो कोशिकाओं को स्टेम कोशिकाओं में बदल सकते हैं. आंशिक रूप से पुन क्रमादेशित कोशिकाएं युवा कोशिकाओं की तरह व्यवहार करती हैं और अधिक कोलेजन बनाती हैं.</p>
<p style="text-align: justify;">बुढ़ापे में शरीर को पुन क्रमादेशित करता है. लैब में हुए रिसर्च के मुताबिक बूढ़े शरीर को वापस युवा बनाने के लिए कई तरह की तकनीक का अनुसरण कर रही हैं. पुन क्रमादेश प्रक्रिया एपिजीनोम को रीसेट कर सकती है. कोशिकाओं की पहचान मिटा सकती है और कोशिकाओं को भ्रूण स्टेम कोशिकाओं में बदल सकती है.</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>जवां दिखने के कुछ तरीके इस प्रकार हैं:</strong></p>
<p style="text-align: justify;">स्किनकेयर रूटीन का उपयोग करना</p>
<p style="text-align: justify;">सनस्क्रीन लगाना और धूप में कम निकलना</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:&nbsp;<a title="अब 40 पर्सेंट तक कम हो जाएगा सर्वाइकल कैंसर से मौत का खतरा, 10 साल की टेस्टिंग के बाद तैयार हुआ खास ट्रीटमेंट" href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/health-tips-new-treatments-for-cervical-cancer-which-reduce-the-risk-of-death-by-40-percent-2804071/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp" target="_blank" rel="noopener">अब 40 पर्सेंट तक कम हो जाएगा सर्वाइकल कैंसर से मौत का खतरा, 10 साल की टेस्टिंग के बाद तैयार हुआ खास ट्रीटमेंट</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;">अपने आहार में सुधार करना</p>
<p style="text-align: justify;">धूम्रपान छोड़ना</p>
<p style="text-align: justify;">तनाव कम करना</p>
<p style="text-align: justify;"><strong>यह भी पढ़ें:&nbsp;<a title="देश के लगभग 88% लोग हैं एंग्जायटी के शिकार, अगर आप भी हैं उनमें से एक तो करें ये काम " href="https://www.abplive.com/photo-gallery/lifestyle/health-mental-health-what-is-3-3-3-rule-to-get-rid-of-anxiety-know-benefits-2804661/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp" target="_blank" rel="noopener">देश के लगभग 88% लोग हैं एंग्जायटी के शिकार, अगर आप भी हैं उनमें से एक तो करें ये काम</a></strong></p>
<p style="text-align: justify;">अपनी नींद की क्वालिटी में सुधार करना</p>
<p style="text-align: justify;">शोधकर्ताओं ने एक वैज्ञानिक खोज की है जिसका उपयोग समय के साथ बुढ़ापे के लक्षणों को धीमा करने के लिए किया जा सकता है. एक टीम ने पता लगाया है कि मानव शरीर स्टेम सेल से त्वचा कैसे बनाता है. और यहां तक ​​कि प्रयोगशाला में थोड़ी मात्रा में त्वचा का पुनरुत्पादन भी किया है.</p>
<p>शोधकर्ताओं ने एक वैज्ञानिक खोज की है जिसका उपयोग समय के साथ बुढ़ापे के लक्षणों को धीमा करने के लिए किया जा सकता है. एक टीम ने पता लगाया है कि मानव शरीर स्टेम सेल से त्वचा कैसे बनाता है, और यहां तक ​​कि प्रयोगशाला में त्वचा की थोड़ी मात्रा का पुनरुत्पादन भी किया है. यह शोध एक अध्ययन का हिस्सा है जो यह समझने के लिए है कि मानव शरीर का हर हिस्सा एक समय में एक कोशिका से कैसे बनता है.</p>
<p>बुढ़ापे से लड़ने के साथ-साथ, इस खोज का उपयोग प्रत्यारोपण के लिए कृत्रिम त्वचा बनाने और निशान को रोकने के लिए भी किया जा सकता है.ह्यूमन सेल एटलस परियोजना जीवविज्ञान में सबसे महत्वाकांक्षी शोध कार्यक्रमों में से एक है. यह अंतरराष्ट्रीय है लेकिन कैम्ब्रिज में वेलकम सेंगर इंस्टीट्यूट में केंद्रित है.प्रोफेसर मुज्लिफा हनीफा ने कहा कि यह वैज्ञानिकों को बीमारियों का अधिक प्रभावी ढंग से इलाज करने में मदद करेगा, लेकिन हमें लंबे समय तक स्वस्थ रखने के नए तरीके भी खोजेगा, और शायद हमें जवां भी बनाए रखेगा.</p>
<p dir="ltr"><strong>Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.</strong></p>
<p dir="ltr"><strong>यह भी पढ़ें:&nbsp;<a title="क्या आपकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं एंटी ग्लेयर लेंस? जान लीजिए ये कितने कारगर" href="https://www.abplive.com/lifestyle/health/eye-care-tips-anti-glare-lens-beneficial-or-harmful-for-eyes-2804712/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp/amp" target="_blank" rel="noopener">क्या आपकी आंखों में धूल झोंक रहे हैं एंटी ग्लेयर लेंस? जान लीजिए ये कितने कारगर</a></strong></p>



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रोज जिम जाने वाले सावधान! टॉयलेट सीट से 362 गुना ज्यादा गंदे होते हैं डंबल


Bacteria on Gym Equipments : घर-दफ्तर ही नहीं हर जगह हमारा सामना कीटाणुओं (Germs) से होता है. घर के स्विच बोर्ड, डोर हैंडल, वॉशबेसिन,पोछे के कपड़े, तकिए, तौलिए, कंघी, घर के कोने, टीवी या एसी, पानी की बोतल, फ्रिज, सोफे, फर्श, सीढ़ियों, बालकनी, टेलीफोन तक में बैक्टीरिया छुपे हैं.

सबसे ज्यादा बैक्टीरिया टॉयलेट सीट पर पाया जाता है. हालांकि, एक नई स्टडी में जिम जाने वालों को सावधान किया गया है. इस स्टडी में बताया गया है कि जिम में इस्तेमाल होने वाले डंबल जैसे इक्विपमेंट पर टॉयलेट सीट की तुलना में 362 गुना अधिक बैक्टीरिया होते हैं.

जिम में हर तरफ बैक्टीरिया

जिम के बैक्टीरिया से खतरा

स्टडी में बताया गया कि ग्राम-पॉजिटिव कोक्सी जैसे बैक्टीरिया, जिम जाने वालों में स्किन इंफेक्शन का कारण बन सकते हैं. एंटीबायोटिक-प्रतिरोधी ग्राम-नेगेटिव रॉड्स ट्रेडमिल, एक्सरसाइज बाइक और फ्री वेट पर पाए गए थे. खास तौर पर फ्री वेट में टॉयलेट सीट की तुलना में 362 गुना अधिक बैक्टीरिया मौजूद होते हैं, जबकि ट्रेडमिल में पब्लिक बाथरूम के नल की तुलना में 74 गुना अधिक बैक्टीरिया होते हैं.

बार-बार इस्तेमाल इक्विपमेंट ज्यादा खतरनाक

जिम में बैक्टीरिया को कम करने के लिए क्या करें

खासकर बैक्टीरिया के संपर्क को कम करने के लिए मशीनों और खुद को बैक्टीरिया से बचाने के लिए सही साफ अपनाने, चेहरे को छूने से बचने और हाथों को अच्छी तरह से धोने की सलाह देते हैं.

अतिरिक्त सुरक्षा के लिए वर्कआउट के तुरंत बाद जिम के कपड़े बदलने की भी सलाह दी जाती है. जहां तक वर्कआउट बाइक और ट्रेडमिल की बात है, जो हर जिम-एहोलिक के पसंदीदा इक्विपमेंट्स हैं. इस स्टडी में पाया गया है कि व्यायाम वाली बाइक और ट्रेडमिल में सार्वजनिक सिंक और यहां तक ​​कि कैफेटेरिया ट्रे की तुलना में लगभग 39 और 74 गुना अधिक बैक्टीरिया होते हैं. ऐसे में सावधानी बेहद जरूरी है.

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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पुरुषों में मिला है एक्सट्रा Y क्रोमोसोम, इस गंभीर बीमारी का बढ़ रहा है खतरा


कुछ दिन पहले एक अजीबोगरीब रिसर्च सामने आई थी कि पुरुषों में Y क्रोमोसोम गायब हो रहे हैं. जोकि एक चिंता का विषय है. अब एक और रिसर्च सामने आई है कि पुरुषों में एक्सट्रा Y क्रोमोसोम मिली है. यह गंभीर बीमारी ऑटिज्म होने के जोखिम को बढ़ाती है. रिसर्च में यह भी खुलासा किया गया है कि एक्सट्रा Y के कारण ही पुरुषों में ऑटिज्म का खतरा काफी ज्यादा बढ़ रहा है.

बायोलॉजिकल जेंडर का निर्धारण क्रोमोसोम करती

सेक्स क्रोमोसोम किसी व्यक्ति के बायोलॉजिकल जेंडर का निर्धारण करते हैं. पुरुष आमतौर पर अपनी कोशिकाओं में XY क्रोमोसोम रखते हैं. जबकि महिलाओं में XX क्रोमोसोम होते हैं. हालांकि, कुछ व्यक्तियों में असामान्य संख्या में X या Y क्रोमोसोम होते हैं, जैसे कि XXY या XYY. जो एक आनुवंशिक स्थिति है जिसे ‘सेक्स क्रोमोसोम एन्यूप्लोइडी’ के रूप में जाना जाता है. ऑटिज्म एक तंत्रिका-विकासात्मक स्थिति है. जिसमें व्यक्ति दोहरावपूर्ण व्यवहार प्रदर्शित करता है तथा सामाजिक कौशल प्रभावित होते हैं. अध्ययन के अनुसार यह महिलाओं की तुलना में पुरुषों में लगभग चार गुना अधिक पाया गया है. जो इस विषम अनुपात में एक मजबूत लिंग पहलू को दर्शाता है.

ऑटिज्म और डेवलपमेंटल मेडिसिन इंस्टीट्यूट. अमेरिका के वैज्ञानिकों सहित वैज्ञानिकों ने असामान्य सेक्स क्रोमोसोम वाले लोगों में ऑटिज्म के निदान को देखा और पाया कि जिन लोगों में एक अतिरिक्त वाई क्रोमोसोम  XYY या XXY – था. उनमें ऑटिज्म का निदान होने की संभावना दोगुनी थी. शोधकर्ताओं के अनुसार एक अतिरिक्त एक्स क्रोमोसोम होने से ऑटिज्म के जोखिम पर कोई असर नहीं पड़ता.

इस रिसर्च में 1 लाख 77 हजार लोगों को शामिल किया गया था

टीम ने 1,77,416 रोगियों पर आनुवंशिक और ऑटिज्म निदान डेटा का विश्लेषण किया. जिनमें से 350 में असामान्य सेक्स क्रोमोसोम थे. इसके अलावा, XYY क्रोमोसोम होने से XXY होने की तुलना में ऑटिज्म का जोखिम अधिक पाया गया. अध्ययन के निष्कर्ष हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुए थे. लेखकों ने कहा कि अध्ययन के परिणामों ने वाई क्रोमोसोम से जुड़े जोखिम कारक का सुझाव दिया, जो कि एक्स क्रोमोसोम से जुड़े सुरक्षात्मक प्रभाव के विपरीत है.

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शोध क्षेत्र में ‘महिला सुरक्षात्मक प्रभाव’ नामक एक प्रमुख सिद्धांत के अनुसार. एक्स गुणसूत्र द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा महिलाओं में ऑटिज्म के जोखिम को कम करने के लिए माना जाता है. लेखकों ने कहा कि अध्ययन के निष्कर्षों ने वाई गुणसूत्र पर ऑटिज्म जोखिम कारकों की तलाश करने की आवश्यकता की ओर इशारा किया.

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बजाय इसके कि खुद को एक्स गुणसूत्र द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा तक सीमित रखा जाए. उन्होंने वाई गुणसूत्र से जुड़े विशिष्ट ऑटिज्म जोखिम कारकों की पहचान करने के लिए आगे के शोध का आह्वान किया. सिमंस फाउंडेशन पॉवरिंग ऑटिज्म रिसर्च (स्पार्क) अध्ययन और मायकोड कम्युनिटी हेल्थ इनिशिएटिव, दोनों अमेरिका में शामिल किया गया था.

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पूरी तरह से नमक छोड़ना भी है गलत, आयोडीन की कमी से हो सकती है ये गंभीर बीमारी


आयोडीन की कमी से शरीर में आयोडीन का लेवल कम हो जाता है जिससे थायराइड हार्मोन का प्रोड्यूस होता है. थायराइड हार्मोन चयापचय, विकास और दूसरे फंक्शन को ठीक से चलाने के लिए माना जाता है. शरीर में आयोडीन के बिना, पर्याप्त थायराइड हार्मोन का उत्पादन करने में असमर्थता होती है. जिसके कारण कई सारी स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है. 

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक आयोडीन की कमी के कारण पूरी दुनिया में मानसिक और  विकलांगता के सबसे रोकथाम योग्य कारणों में से एक है. यह वास्तव में एक गंभीर समस्या है क्योंकि दुनिया में लगभग दो अरब लोग आयोडीन की कमी से पीड़ित हैं. गर्भवती महिलाओं और बच्चों में जोखिम का स्तर सबसे अधिक है.

आयोडीन की कमी के लक्षण:

गर्दन में गण्डमाला
थकान और कमज़ोरी
वजन बढ़ना
बालों का झड़ना
सूखी त्वचा
एकाग्रता और याददाश्त की कमी
धीमी वृद्धि और विकास
आयोडीन की कमी के कारण

आयोडीन की कमी के कई कारण हैं, उनमें से ये हैं:

आयोडीन की कमी मुख्य रूप से आयोडीन से भरपूर फूड आइटम के कारण होती है। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अपने स्वास्थ्य के साथ-साथ अपने बच्चे के विकास को सुनिश्चित करने के लिए दूसरों की तुलना में अधिक आयोडीन की आवश्यकता होती है. यदि वे पर्याप्त आयोडीन युक्त भोजन का उपयोग नहीं करती हैं. तो इन महिलाओं में आयोडीन की कमी का जोखिम अधिक होता है.

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आयोडीन की कमी का पता लगाने के लिए टेस्ट

आमतौर पर काफी सरल होता है और इसे न्यूनतम परीक्षणों से किया जा सकता है जिसमें मूत्र विश्लेषण या रक्त परीक्षण, थायराइड हार्मोन के स्तर की जांच और गण्डमाला की जांच के लिए अल्ट्रासाउंड शामिल है. कुछ मामलों में रेडियोधर्मी आयोडीन अपटेक परीक्षण की भी सिफारिश की जाएगी. और यह आमतौर पर थायराइड कार्यों के आकलन के लिए आवश्यक होगा.

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आयोडीन की कमी का इलाज

यह मुख्य रूप से इसके उपचार की गंभीरता पर निर्भर करता है. ज़्यादातर मामलों में इसे ज़्यादा आयोडीन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करके या आयोडीन की खुराक के इस्तेमाल से आसानी से ठीक किया जा सकता है. गंभीर मामलों में, डॉक्टर थायराइड फ़ंक्शन को बढ़ाने के लिए थायराइड हार्मोन लिख सकते हैं.

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