SEBI: सेबी ने हाल ही में एक कंसल्टेशन पेपर जारी किया है. इसमें सिक्योरिटीज का डायरेक्ट पेमेंट डीमैट अकाउंट में करने का प्रस्ताव रखा गया है. सेबी की कोशिश है कि कस्टमर्स की सिक्योरिटीज का दुरुपयोग न हो सके. बाजार नियामक सेबी (SEBI) का यह प्रस्ताव जेरोधा (Zerodha) के फाउंडर नितिन कामत (Nithin Kamath) को बहुत पसंद आया है. उन्होंने इसकी तारीफ करते हुए कहा कि इससे स्टॉक ब्रोकर्स के डिपॉजिटरी ऑपरेशंस आसान हो जाएंगे. 

सिक्योरिटीज को कस्टमर के डीमैट अकाउंट में भेजा जाए   

सेबी ने इस कंसल्टेशन पेपर पर जनता की राय मांगी है. उसकी कोशिश है कि क्लाइंट्स की सिक्योरिटीज का गलत इस्तेमाल किसी भी हाल में न किया जा सके. फिलहाल यदि कोई क्लाइंट स्टॉक खरीदता है तो वह ब्रोकर के पूल अकाउंट में क्रेडिट हो जाता है. इसके बाद ब्रोकर उसे कस्टमर को देता है. अब सेबी द्वारा प्रस्तावित नए सिस्टम में ये शेयर सीधा कस्टमर के डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर हो जाएंगे. नितिन कामत ने कहा कि यदि इस कंसल्टेशन पेपर को सेबी ने लागू किया तो स्टॉक ब्रोकर्स को राहत मिलेगी. हमारे काम का बोझ काफी घट जाएगा. अभी इस नियम के न होने के बावजूद हमारा फाइनेंशियल मार्केट कस्टमर्स के एसेट की सुरक्षा के लिहाज से सबसे ज्यादा सुरक्षित है. नया नियम इस सुरक्षा में और बढ़ोतरी कर देगा.

2001 में कुछ समय के लिए शुरू हुई थी यह सर्विस

सेबी ने गुरुवार को यह पेपर जारी करते हुए कहा था कि क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन को सिक्योरिटीज को सीधा कस्टमर के डीमैट अकाउंट में भेजना चाहिए. साल 2001 में कुछ समय के लिए इस सर्विस को शुरू किया गया था. इसके अलावा सेबी ने कहा है कि क्लीयरिंग कॉर्पोरेशन को एक ऐसा सिस्टम भी बनाना चाहिए, जिसमें पता चल सके कि अभी तक किन सिक्योरिटीज और स्टॉक का पेमेंट नहीं किया गया है. 

फंडेड स्टॉक को केवल प्लेज के रूप में रखा जाना चाहिए

मार्जिन ट्रेडिंग सुविधा के तहत ब्रोकर द्वारा रखे गए फंडेड स्टॉक को केवल प्लेज के रूप में रखा जाना चाहिए. इसके लिए ब्रोकर को एक अलग डीमैट अकाउंट खोलने की आवश्यकता होगी, जिसमें केवल मार्जिन फंडिंग के संबंध में फंडेड स्टॉक रखे जाने चाहिए. इसके अलावा किसी अन्य लेन-देन की अनुमति नहीं होगी. सेबी ने कहा कि इस तरह के फंडेड स्टॉक को कस्टमर के डीमैट अकाउंट में ट्रांसफर किया जाएगा. उसके बाद एक ऑटो प्लेज बनाई जाएगी.

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