ड्रैगन फ्रूट के साइड इफेक्ट्स, जानिए सेहत पर क्या पड़ता है असर?

ड्रैगन फ्रूट के साइड इफेक्ट्स, जानिए सेहत पर क्या पड़ता है असर?


ड्रैगन फ्रूट को आजकल बहुत से लोग खाना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे विटामिन सी, फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और मैग्नीशियम. ये सारे तत्व शरीर की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. यह फल इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए हेल्दी माना जाता है. ड्रैगन खासतौर पर गर्म इलाकों जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका में उगाया जाता है. यह एक खास प्रकार के कैक्टस पौधे हिलोसेरियस अंडटस  पर उगता है, जो टेस्ट में थोड़ा मीठा और थोड़ा खट्टा होता है. कुछ लोग इसके टेस्ट की तुलना कीवी या नाशपाती से करते हैं.

ड्रैगन फ्रूट को हिंदी में कमलम भी कहा जाता है और कई जगह इसे पिताया नाम से भी जाना जाता है. यह फ्रूट सबसे हेल्दी फलों की लिस्ट में शामिल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हेल्दी फल के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ड्रैगन फ्रूट से जुड़े कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं, खासतौर पर तब जब इसे बहुत ज्यादा खाया जाए तो चलिए जानते हैं कि ड्रैगन फ्रूट के साइड इफेक्ट्स क्या है और सेहत पर इसका क्या असर पड़ता है.

ड्रैगन फ्रूट के साइड इफेक्ट्स क्या है?

1. पाचन संबंधी समस्याएं – ड्रैगन फ्रूट में फाइबर की मात्रा बहुत अच्छी होती है. फाइबर हमारे पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन अगर इस फ्रूट को जरूरत से ज्यादा खा लिया जाए, तो ये फायदे नुकसान में बदल सकते हैं. इससे पेट में गैस, पेट दर्द, दस्त और अपच की समस्या हो सकती है.अगर आपका पेट पहले से ही पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ड्रैगन फ्रूट सही और कम मात्रा में ही खाएं.

2. ब्लड प्रेशर पर असर – ड्रैगन फ्रूट ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है, जो हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए अच्छा है. लेकिन लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए ये खतरनाक हो सकता है. इससे चक्कर आना, थकावट और कमजोरी महसूस होना जैसे समस्या हो सकती है. ऐसे में अगर आपका ब्लड प्रेशर पहले से ही कम रहता है, तो ड्रैगन फ्रूट खाने से बचें.

3. वजन बढ़ने की समस्या – ड्रैगन फ्रूट में नेचुरल शुगर की मात्रा होती है इसलिए इसे ज्यादा मात्रा में खाने करने पर कैलोरी इनटेक बढ़ सकता है और वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है. खासकर डायबिटीज के मरीजों को यह नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए अगर आप वेट लॉस जर्नी  पर हैं, तो इसे बैलेंस में खाएं.

4. एलर्जी की समस्या – कुछ लोगों को ड्रैगन फ्रूट से एलर्जी हो सकती है. इस फ्रूट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो एलर्जी की समस्या को बढ़ा सकते है. इससे स्किन पर पर खुजली या रैश, चेहरे या होंठों पर सूजन, सांस लेने में दिक्कत लऔर गंभीर मामलों में एनाफिलेक्सिस जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे में आपको पहले से किसी फल से एलर्जी है, तो ड्रैगन फ्रूट खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.

5. ब्लड शुगर लेवल की समस्या – ड्रैगन फ्रूट में नैचुर शुगर की मात्रा ज्यादा होती है. इसलिए इसे खाने ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है और ये डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज के मरीज इसे खाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें.

6. दवाओं के साथ साइड इफेक्ट्स – कभी-कभी ड्रैगन फ्रूट कुछ दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकता है. खासतौर पर ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर या एलर्जी की दवाओं के साथ समस्या ज्यादा हो सकती है.अगर आप किसी भी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो ड्रैगन फ्रूट खाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह लें.

7. यूरिन का रंग बदलना – ड्रैगन फ्रूट की लाल किस्म खाने के बाद कुछ लोगों का पेशाब या मल गुलाबी या लाल रंग का हो सकता है. यह कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाना नुकसानदायक हो सकता है. वहीं अगर आप लगातार और ज्यादा मात्रा में ड्रैगन फ्रूट खाते हैं, तो आपके शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. इसका कारण यह है कि यह एक ही तरह के विटामिन और मिनरल्स में ज्यादा होता है, जिससे बैलेंस बिगड़ सकता है.

ड्रैगन फ्रूट खाने का सही तरीका क्या है?

1. ड्रैगन फ्रूट खाने से पहले फल को पानी से अच्छी तरह धो लें.

2.  इसके बाद बीच से काटकर चम्मच से गूदा यानी पल्प निकालें.

3. वहीं अगर आप चाहें तो टुकड़ों में काटकर फ्रूट सलाद, स्मूदी या दही के साथ खा सकते हैं.

4.  इसके बीज भी आप खा सकते है, इन्हें निकालने की जरूरत नहीं होती है.

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एक दिन में बस इतना ही खाना चाहिए नमक, नहीं तो जल्द दस्तक दे सकती है यह बीमारी

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Salt Intake: एक छोटा-सा सफेद कण, जो खाने में स्वाद लाने का काम करता है. अगर जरूरत से ज़्यादा इस्तेमाल हो जाए, तो वही जिंदगी की सबसे बड़ी बीमारी की वजह बन सकता है. हम बात कर रहे हैं नमक की, जिसे ‘सफेद जहर’ भी कहा जाता है. जहां यह भोजन का स्वाद बढ़ाता है, वहीं अधिक मात्रा में इसका सेवन हाई ब्लड प्रेशर, स्ट्रोक, हृदय रोग और किडनी की समस्याओं को न्योता दे सकता है। 

इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की रिपोर्ट के मुताबिक, देश में नमक की अत्यधिक खपत गंभीर बीमारियों का एक बड़ा कारण बनती जा रही है.

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कितना नमक खाना चाहिए?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और ICMR के मुताबिक,  दिनभर में 5 ग्राम (लगभग एक चम्मच) से अधिक नमक नहीं खाना चाहिए. लेकिन भारत में लोग औसतन 10 ग्राम नमक रोजाना खा रहे हैं, जो कि इससे दोगुना है. यह आदत धीरे-धीरे शरीर के भीतर ‘साइलेंट किलर’ की तरह काम करती है. 

हाई ब्लड प्रेशर

नमक में मौजूद सोडियम खून की धमनियों को संकुचित करता है, जिससे रक्तचाप बढ़ता है। लंबे समय तक हाई बीपी हृदय और दिमाग पर बुरा असर डालता है.

स्ट्रोक और हार्ट अटैक का खतरा

हाई बीपी और हाई कोलेस्ट्रॉल के साथ मिलकर नमक दिल की धड़कनों को अनियमित बना सकता है, जिससे स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने का खतरा बढ़ जाता है.

किडनी पर असर

अधिक सोडियम किडनी को जरूरत से ज़्यादा काम करने के लिए मजबूर करता है, जिससे किडनी फेलियर जैसी गंभीर समस्या हो सकती है.

हड्डियों का कमजोर होना

ज्यादा नमक यूरिन के ज़रिए कैल्शियम की हानि करता है, जिससे हड्डियां कमजोर होने लगती हैं.

नमक की खपत को कैसे करें नियंत्रित

  • खाने में नमक डालने की जगह नींबू, काली मिर्च, धनिया या हींग जैसे विकल्पों का उपयोग करें.
  • पैकेज्ड फूड, अचार, पापड़, चिप्स, सॉस, इंस्टेंट नूडल्स आदि से दूरी बनाएं – इनमें हाई सोडियम कंटेंट होता है.
  • रेसिपी में नमक की मात्रा को धीरे-धीरे कम करें ताकि स्वाद की आदत बदली जा सके.

नमक जरूरी है, लेकिन संतुलन उससे भी ज़्यादा ज़रूरी है. जितना ज्यादा नमक खाएंगे, उतनी ही जल्दी गंभीर बीमारियां दस्तक दे सकती हैं. समय रहते अगर अपनी आदतों को सुधारा जाए, तो कई समस्याओं से बचा जा सकता है.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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फायदे तो बहुत सुने होंगे, लेकिन नहीं जानते होंगे हल्दी के नुकसान; इन लोगों को बना लेनी चाहिए दू


Side Effect of Turmeric: हल्दी को आयुर्वेदिक चमत्कार कहा जाए तो गलत नहीं होगा. यह लगभग हर भारतीय रसोई की शान है और सदियों से घाव भरने, इम्यूनिटी बढ़ाने, त्वचा निखारने और सूजन कम करने जैसी समस्याओं में इसका उपयोग होता आ रहा है.आपने इसके फायदे तो खूब सुने होंगे. लेकिन क्या आप इसके नुकसानों के बारे में भी जानते हैं? 

डॉ. सुनील जिंदल बताते हैं कि, कुछ लोगों को हल्दी से परहेज करना चाहिए, क्योंकि यह उनके स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकती है. आइए जानते हैं किन परिस्थितियों में हल्दी हानिकारक हो सकती है.

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गर्भवती महिलाएं 

हल्दी में मौजूद करक्यूमिन गर्भाशय को उत्तेजित कर सकता है. गर्भवती महिलाओं को अत्यधिक मात्रा में हल्दी, विशेषकर कच्ची हल्दी या सप्लीमेंट के रूप में लेने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भपात का खतरा बढ़ सकता है.

ब्लड थिनर लेने वाले मरीज

हल्दी में प्राकृतिक रक्त पतला करने वाले गुण होते हैं। यदि आप पहले से ब्लड थिनर दवाएं ले रहे हैं, तो हल्दी के साथ इनका सेवन आपके शरीर में खून बहने का जोखिम बढ़ा सकता है.

पित्त की पथरी या गॉलब्लैडर की समस्या 

हल्दी बाइल प्रोडक्शन को बढ़ाती है, जो गॉलब्लैडर की समस्या वाले लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है. इससे दर्द, सूजन या असहजता बढ़ सकती है.

डायबिटीज के मरीज 

हल्दी ब्लड शुगर को कम करने में मदद करती है, लेकिन डायबिटीज के मरीज अगर दवाएं ले रहे हों और साथ में अधिक मात्रा में हल्दी लें, तो ब्लड शुगर खतरनाक रूप से कम हो सकता है, जिससे चक्कर आना, थकावट और बेहोशी जैसी समस्या हो सकती है.

एलर्जी या त्वचा संवेदनशीलता वाले लोग

कुछ लोगों को हल्दी से स्किन एलर्जी, खुजली, लाल चकत्ते या सूजन हो सकती है. ऐसे लोगों को हल्दी युक्त फेस पैक या खाद्य पदार्थों से सावधान रहना चाहिए.

हल्दी भले ही प्राकृतिक हो, लेकिन हर प्राकृतिक चीज हर शरीर के लिए उपयुक्त नहीं होती. हल्दी का सेवन सीमित मात्रा में और सही परिस्थिति में किया जाए तो यह औषधि के समान कार्य करती है, लेकिन गलत व्यक्ति या मात्रा में यह शरीर के लिए हानिकारक भी हो सकती है. 

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कहां दान किया जाता है ब्रेस्ट मिल्क, कौन-सी संस्थाएं करती हैं यह काम?

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Breast Milk Donation Organizations: मां का दूध शिशु के लिए पहला और सबसे जरूरी आहार होता है, जो न केवल उसे पोषण देता है, बल्कि रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है. लेकिन सोचिए उन नवजात शिशुओं के बारे में, जिनकी मां उन्हें दूध पिलाने में असमर्थ होती हैं. चाहे वह किसी बीमारी, ऑपरेशन या अन्य कारणों से हो. हालांकि मां का दूध दान करके कई नवजातों की जिंदगी बचाई जा रही है. सवाल उठता है कि, यह दूध कहां और कैसे दान किया जाता है? कौन-सी संस्थाएं या अस्पताल इसका संचालन करते हैं? आइए जानते हैं विस्तार से…

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भारत में कहां किया जाता है ब्रेस्ट मिल्क दान?

सायन अस्पताल (मुंबई)

यह भारत का पहला ह्यूमन मिल्क बैंक है, जिसे 1989 में स्थापित किया गया था. इसे “सुधा साल्वी ह्यूमन मिल्क बैंक” के नाम से भी जाना जाता है. 

फोर्टिस ला फेम अस्पताल (दिल्ली)

यहां अत्याधुनिक तकनीक से दूध संग्रह और सुरक्षित स्टोरेज की प्रक्रिया होती है. यह नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में भर्ती बच्चों को यह दूध उपलब्ध कराता है.

अमराह मिल्क बैंक (Hyderabad)

यह एक प्रमुख प्राइवेट मिल्क बैंक है जो दान और वितरण दोनों करता है, खासकर समय से पहले जन्मे या बीमार शिशुओं के लिए  है.

रोटरी क्लब दूध बैंक

भारत में कई रोटरी क्लब ह्यूमन मिल्क बैंकों को सपोर्ट कर रहे हैं, विशेषकर ग्रामीण और जरूरतमंद क्षेत्रों में नजर आते हैं. 

कौन कर सकता है दूध दान?

  • दूध देने वाली मां का शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ होना जरूरी है
  • उसे कोई संक्रामक रोग नहीं होना चाहिए
  • दवा या नशे का सेवन नहीं होना चाहिए
  • डॉक्टर की जांच के बाद ही दूध स्वीकार किया जाता है

दूध दान के फायदे

  • समय से पहले जन्मे बच्चों की जान बचती है
  • मां का दूध बीमारियों से लड़ने में सबसे कारगर है
  • फॉर्मूला मिल्क की निर्भरता कम होती है
  • एक सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वहन होता है

ब्रेस्ट मिल्क डोनेशन एक ऐसा कदम है जो नन्ही जानों के जीवन में उजाला भर सकता है. यह न सिर्फ चिकित्सा का हिस्सा है, बल्कि एक भावनात्मक जुड़ाव भी है. मां की ममता का विस्तार अगर आप या आपके आसपास कोई मां है जो दूध दान कर सकती है, तो यह जानकारी साझा करें.

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सिगरेट पीने से ज्यादा खतरनाक है भांग खाना, हो सकता है यह खौफनाक कैंसर

सिगरेट पीने से ज्यादा खतरनाक है भांग खाना, हो सकता है यह खौफनाक कैंसर


यह संभव है कि भांग भी कैंसर के रिस्क को बढ़ा सकती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि भांग के धुएं में तंबाकू के धुएं जैसे ही कई कैंसर पैदा करने वाले एलिमेंट्स होते हैं. वहीं, जो लोग भांग पीते हैं…वे हर कश में ज्यादा स्मोक इनहेल करते हैं और उसे अपने लंग्स में तंबाकू सिगरेट पीने वालों की तुलना में ज्यादा देर तक होल्ड करके रखते हैं. ऐसे में लॉन्ग टाइम तक भांग यूज करने से कैंसर का रिस्क बढ़ सकता है, स्पेशली लंग्स, हेड और नेक कैंसर का.

नई स्टडी में सामने आई यह बात

नई स्टडी ने ऐसे ही कई चौंकाने वाली तथ्य सामने रखे हैं. लंबे टाइम तक भांग का कंजम्पशन ओरल कैंसर के रिस्क को काफी बढ़ा सकता है. यह रिस्क इतना है कि यह रेगुलर सिगरेट पीने वालों के रिस्क के कंपेरेबल है. कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी, सैन डिएगो के रिसर्चर्स ने पाया है कि भांग यूज डिसऑर्डर वाले इंडिविजुअल्स में ओरल कैंसर होने की पॉसिबिलिटी बहुत ज्यादा होती है.

इतने मरीजों पर की गई रिसर्च

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स द्वारा 45,000 से ज्यादा पेशेंट्स की हेल्थ रिपोर्ट्स को एग्जामिन किया गया. इसमें पाया गया कि सीयूडी से पीड़ित इंडिविजुअल्स में पांच सालों के अंदर ओरल कैंसर होने की पॉसिबिलिटी उन लोगों की तुलना में थ्री टाइम्स ज्यादा होती है, जो भांग का कंजम्पशन नहीं करते. रिसर्चर्स ने बताया कि भांग के स्मोक में तंबाकू के स्मोक में पाए जाने वाले कई कार्सिनोजेनिक कंपाउंड्स होते हैं, जिनके मुह के एपिथेलियल टिशू पर हार्मफुल इफेक्ट्स पड़ते हैं.

स्मोक में छिपे हार्मफुल केमिकल्स

हमारा मुंह सेंसिटिव टिशूज, ब्लड वेसल्स और म्यूकस मेंब्रेन से बना होता है, जो लॉन्ग टर्म हॉट स्मोक, टॉक्सिक कंपाउंड्स या किसी भी ऐसी चीज के एक्सपोजर में आने पर बुरी तरह रिएक्ट कर सकते हैं, जो मुंह की लाइनिंग को इरिटेट करती है. जब आप भांग पीते हैं, तो आप अपने मुंह को वही हार्मफुल केमिकल्स के एक्सपोजर में लाते हैं, जो तंबाकू में भी पाए जाते हैं, जैसे पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन, वोल्टाइल आर्गेनिक कम्पाउंड्स आदि. ये वही टॉक्सिक एलिमेंट्स हैं, जो सेल्स को डैमेज करते हैं और कैंसर की डेवलपमेंट को प्रमोट करते हैं. 

भांग और सिगरेट में क्या है अंतर?

तंबाकू को लंबे टाइम से ओरल कैंसर का कारण माना जाता रहा है. इस स्टडी से पता चलता है कि भांग भी उतना बेहतर नहीं है, खासकर अगर आप इसके रेगुलर यूजर हैं. दरअसल, जो लोग पांच या उससे ज्यादा सालों तक वीक में कम से कम एक बार भांग पीते थे, उनमें प्री-कैंसरस मुंह के घाव होने का रिस्क काफी ज्यादा था.  यह स्टडी बस एक रिमाइंडर है कि हालाँकि भांग लीगल है और कई लोगों के लिए बेनेफिशियल भी है, लेकिन यह बायोलॉजी के रूल्स से अछूता नहीं है. 

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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