ये 5 गलतियां बढ़ा देती हैं डिमेंशिया का खतरा, डॉक्टरों ने बता दिया बचने का तरीका

ये 5 गलतियां बढ़ा देती हैं डिमेंशिया का खतरा, डॉक्टरों ने बता दिया बचने का तरीका


DementiaPrevention: डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जो आपके दिमाग के सोचने, समझने और याददाश्त की ताकत को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है. यह सिर्फ मामूली भूलने की आदत नहीं होती, बल्कि यह इतनी ज्यादा गंभीर है कि इंसान की रोजमर्रा की जिंदगी में रुकावट बन सकती है. डिमेंशिया से पीड़ित लोगों को नाम याद रखने, बातचीत करने और दिन-तारीख याद रखने में दिक्कत होती है. जैसे-जैसे समय बीतता है, उन्हें चीजों की योजना बनाने, सही फैसले लेने और अपने करीबी लोगों या जगहों को पहचानने में भी मुश्किल हो सकती है. डिमेंशिया कई तरह का हो सकता है, जिनमें सबसे आम अल्जाइमर रोग है. इसके अलावा वैस्कुलर डिमेंशिया, लेवी बॉडी डिमेंशिया और फ्रंटोटेम्पोरल डिमेंशिया भी बेहद खतरनाक होते हैं. भले ही इनके नाम अलग हों, लेकिन इनके लक्षण अक्सर मिलते-जुलते होते हैं. इनमेंं भ्रम, मूड बदलना या बोलने में परेशानी होना आदि शामिल हैं. 

इन लोगों को ज्यादा होती है दिक्कत

ये बीमारी आमतौर पर बुजुर्गों को प्रभावित करती है, लेकिन यह बढ़ती उम्र का स्वाभाविक हिस्सा नहीं है. कुछ लोगों को 40 या 50 की उम्र में भी डिमेंशिया हो सकता है. हालांकि ऐसा कम ही होता है. पारिवारिक हिस्ट्री, हाई ब्लड प्रेशर, डायबटीज और काम शारीरिक और मानसिक सक्रियता इसके खतरे को बढ़ा सकते हैं.

न्यूरोसर्जन डॉ. जायद अलमादीदी ने एक वीडियो के जरिए बताया कि डिमेंशिया और अल्जाइमर जैसी बीमारियों से कैसे बचा जा सकता हैं. लोग अक्सर उनसे पूछते हैं कि क्या मैं अल्जाइमर से बच सकता हूं? इस पर उन्होंने सीडीसी द्वारा बताए गए पांच कारणों पर चर्चा की, जिनकी वजह से अल्जाइमर और डिमेंशिया का खतरा बढ़ सकता है. चलिए जानते हैं 5 अहम खतरे, जिनसे डिमेंशिया बढ़ सकता है.

1. फिजिकल एक्टिविटीज में कमी

सबसे पहले बात करते हैं एक्सरसाइज की. अगर आपका ज्यादा एक्सरसाइज नहीं करते हैं तो इसका असर हमारे दिल या पेट पर ही नहीं, बल्कि दिमाग पर भी पड़ता हैं. नियमित रूप से एक्सरसाइज करने से दिमाग में खून का बहाव बढ़ता है, जिससे याददाश्त तेज होती है और दिमाग की सूजन कम होती है. हालांकि, जो लोग ज्यादातर समय बैठे रहते हैं या एक्टिव नहीं रहते, उनमें उम्र बढ़ने के साथ दिमागी ताकत घटने का खतरा ज्यादा होता है. ऐसे में जरूरी यह नहीं कि आप जिम जाएं या लंबी दौड़ लगाएं. बस हफ्ते में कुछ दिन हल्की-फुल्की एक्सरसाइज जैसे टहलना, तैरना, डांस या योग करना भी फायदेमंद हो सकता है.

2. डायबिटीज से भी खतरा

अगर आपका शुगर लेवल लगातार ऊपर-नीचे होता रहता है और कंट्रोल में नहीं रहता तो इसका असर आपके दिमाग पर भी पड़ सकता है. अगर काफी वक्त तक ब्लड शुगर हाई रहता है तो ब्रेन की नसें डैमेज हो सकती हैं. इससे याददाश्त कमजोर होने लगती है और अल्जाइमर जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. अगर आप समय पर दवाएं और हेल्दी डाइट लें. साथ ही, समय-समय पर ब्लड शुगर की जांच कराते रहें तो अपने दिमाग को इन खतरों से बचा सकते हैं. 

3. हाई ब्लड प्रेशर

हमारा दिमाग स्पंज की तरह होता है, जिसे बेहतर तरीके से काम करने के लिए लगातार खून की जरूरत होती है. जब ब्लड प्रेशर बढ़ता है तो ये ब्लड फ्लो गड़बड़ा जाता है, जिससे स्ट्रोक, भूलने की बीमारी और वैस्कुलर डिमेंशिया जैसी परेशानियों का खतरा बढ़ जाता है. परेशानी यह है कि हाई ब्लड प्रेशर अक्सर कोई लक्षण नहीं दिखाता, इसलिए समय-समय पर इसकी जांच कराना जरूरी है. हेल्दी डाइट, रोजाना थोड़ा चलने-फिरने और जरूरत होने पर दवाएं लेकर इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है.

4. बहरापन 

अक्सर लोग सोचते हैं कि बहरापन सिर्फ कानों की समस्या है, लेकिन यह दिमाग पर भी असर डाल सकता है. जब हम ठीक से नहीं सुन पाते तो हमारा दिमाग आवाजें पकड़ने में ज्यादा मेहनत करता है, जिससे उसकी बाकी जरूरी कामों में क्षमता घटने लगती है. इनमें याददाश्त और सोचने की ताकत जैसी चीजें शामिल हैं. इसके अलावा सुनाई न देना अक्सर लोगों को समाज से दूर कर देता है, यह मानसिक सेहत के लिए भी खतरनाक हो सकता है.  ऐसे में डिमेंशिया का खतरा बढ़ जाता है.

5. तंबाकू और शराब का सेवन

धूम्रपान और ज्यादा शराब पीना, दोनों ही आपके दिमाग के दुश्मन हैं. सिगरेट पीने से मस्तिष्क में खून और ऑक्सीजन की सप्लाई कम हो जाती है, जिससे उसकी कार्यक्षमता पर असर पड़ता है. वहीं, अगर आप लगातार काफी ज्यादा शराब पीते हैं तो इससे दिमाग की कोशिकाएं सिकुड़ सकती हैं. अगर पहले से कोई बीमारी हो तो हल्की शराब भी नुकसान पहुंचा सकती है. अगर आप दिमाग और शरीर दोनों को हेल्दी रखना चाहते हैं तो स्मोकिंग और शराब से दूरी बना लें.

कैसे कराएं डिमेंशिया का इलाज? 

डिमेंशिया का फिलहाल कोई इलाज नहीं है, लेकिन अगर इसकी पहचान सही समय पर हो जाए और सही देखभाल मिले तो इसके असर को काफी हद तक कम किया जा सकता है. दवाओं, थेरेपी और लाइफस्टाइल में बदलाव करके इसके लक्षणों को तेजी से बढ़ने से रोका जा सकता है. डॉक्टरों का कहना है कि शारीरिक रूप से एक्टिव रहें, दिमाग को बिजी रखें और सामाजिक तौर पर दूसरों से जुड़े रहें, इससे डिमेंशिया से निपटना थोड़ा आसान हो सकता है.

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डाइट में शामिल किए ये 4 फूड्स तो थायराइड नहीं करेगा परेशान, लेकिन इन तीन से रहें दूर

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आपकी गर्दन में एक छोटी-सी थायराइड ग्लैंड होती है, लेकिन इसका काम बहुत बड़ा होता है. यह मेटाबॉलिज्म, एनर्जी, दिल की धड़कन और मूड जैसी जरूरी चीजों को कंट्रोल करती है. जब यह ठीक से काम नहीं करती तो आपको थकान, वजन बढ़ना और बाल झड़ने जैसी दिक्कतें हो सकती हैं.

आगरा में गाइनेकोलॉजिस्ट डॉ. गौरी राय के अनुसार थायराइड प्रॉब्लम्स के लिए दवाएं जरूरी हैं, लेकिन सही डाइट भी बहुत मदद कर सकती है. आइए जानते हैं कि कौन से फूड्स आपके थायराइड के लिए बेस्ट हैं और किनसे आपको दूर रहना चाहिए?

थायराइड के लिए  बेस्ट फूड्स

सी वीड या समुद्री शैवाल: नोरी, केल्प और वाकामे जैसे सीवीड में बहुत सारा आयोडीन होता है. आयोडीन थायराइड हॉर्मोन बनाने के लिए बहुत जरूरी है. अगर आपको पहले से ही थायराइड की बीमारी है तो इसे ज्यादा खाने से बचें.

ब्राजील नट्स: ये सेलेनियम का बेहतरीन सोर्स हैं. सेलेनियम थायराइड हॉर्मोन को एक्टिवेट करने में मदद करता है और ग्लैंड को डैमेज होने से बचाता है. हर दिन बस एक या दो ब्राजील नट्स खाने से शरीर की सेलेनियम की जरूरत पूरी हो सकती है.

अंडे: अंडे में आयोडीन और सेलेनियम के साथ अच्छी क्वालिटी का प्रोटीन भी होता है. थायराइड के लिए पूरे अंडे (सिर्फ एग व्हाइट नहीं) खाना ज्यादा फायदेमंद है.

दही और डेयरी प्रोडक्ट्स: इनमें आयोडीन और विटामिन डी दोनों होते हैं. विटामिन डी की कमी से ऑटोइम्यून थायराइड बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए, इन्हें अपनी डाइट में जरूर शामिल करें.

इन  फूड्स से रहें सावधान

क्रूसिफेरस वेजिटेबल्स: ब्रोकली, पत्तागोभी और केल जैसी सब्ज़ियों में गोइट्रोजन नाम का पदार्थ होता है. ये थायराइड की आयोडीन सोखने की कैपेसिटी को कम कर सकते हैं. अगर आपको आयोडीन की कमी है, तो इन सब्जियों को पकाकर और कम मात्रा में खाएं.

सोया प्रोडक्ट्स: टोफू और सोया दूध जैसे सोया प्रोडक्ट्स आपकी थायराइड की दवा के एब्जॉर्प्शन में रुकावट डाल सकते हैं. अगर आप थायराइड की दवा लेते हैं, तो दवा लेने के कुछ घंटों के भीतर सोया न खाएं.

ग्लूटेन: हाशिमोटो थायरॉइडाइटिस जैसी बीमारियों वाले लोगों के लिए ग्लूटेन प्रॉब्लम कर सकता है. अगर आपको ग्लूटेन से सेंसिटिविटी है, तो डॉक्टर से पूछकर ग्लूटेन-फ्री डाइट फॉलो करना बेहतर हो सकता है.
कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले, खास कर अगर आपको कोई हेल्थ प्रॉब्लम है, तो अपने डॉक्टर या न्यूट्रिशनिस्ट से जरूर सलाह लें.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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बरसात में शाम होते ही घर में आने लगे हैं कीट-पतंगे, ऐसे पा सकते हैं समस्या से निजात

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Insects in Rainy Season: बरसात की रिमझिम फुहारें जहां मौसम को खुशनुमा बना देती हैं, वहीं यह मौसम कुछ मेहमानों को भी साथ ले आता है,  जैसे मच्छर, छिपकलियां, तिलचट्टे और उड़ने वाले कीट-पतंगे.जैसे ही शाम ढलती है और घरों की लाइटें जलती हैं, वैसे ही कीट-पतंगों का एक झुंड घर की ओर आकर्षित होने लगता है. 

खिड़कियों, दरवाज़ों और यहां तक कि बाथरूम की जाली से भी यह अनचाहे मेहमान आपके घर में घुस जाते हैं. ये सिर्फ असहजता ही नहीं, कई बार यह कीट बीमारियों का कारण भी बन सकते हैं.  जैसे डेंगू, मलेरिया, स्किन इंफेक्शन या एलर्जी. 

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बारिश में कीट-पतंगों के घर में आने के मुख्य कारण

  • नमी और गीले कोनों की मौजूदगी
  • घर के आसपास पानी का जमा होना
  • खुली खिड़कियां और बिना जाली वाले दरवाजे
  • घर में रखी खराब हो रही सब्ज़ियां या गंदा कचरा
  • इन उपायों से पाएं कीट-पतंगों से निजात
  • खिड़की और दरवाजों पर मच्छरदानी या नेट लगाएं
  • शाम होते ही खिड़कियां बंद करें या नेट का इस्तेमाल करें, ताकि उड़ने वाले कीट अंदर न आ सकें

नीम और कपूर का धुआं करें

नीम की पत्तियों या कपूर को जलाकर उसका धुआं फैलाएं। इसका तेज़ गंध कीटों को दूर रखता है

नमी वाली जगहों को रखें सूखा

बाथरूम, किचन और सिंक के पास पानी जमा न होने दें। नम स्थानों को रोज़ाना सुखाएं

एसेंशियल ऑयल का प्रयोग करें

लेमनग्रास, सिट्रॉनेला और यूकेलिप्टस ऑयल को पानी में मिलाकर स्प्रे करने से कीट दूर रहते हैं

खिड़की के पास पीले रंग की बल्ब लगाएं

सामान्य सफेद या नीली लाइट की जगह पीले बल्ब का प्रयोग करें, जिससे कीट आकर्षित नहीं होते

घर के आसपास सफाई बनाए रखें

गमलों में पानी जमा न होने दें, कूड़ेदान समय से साफ करें और बाथरूम की सफाई नियमित करें

बरसात का मौसम जितना खूबसूरत होता है, उतनी ही चुनौतियां भी लाता है. कीट-पतंगों का घर में प्रवेश न केवल परेशान करता है, बल्कि सेहत के लिए भी खतरा बन सकता है. ऐसे में जरूरी है कि हम समय रहते सतर्क हो जाएं और कुछ आसान घरेलू उपायों को अपनाकर अपने घर को इन अनचाहे मेहमानों से बचाएं.

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गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ाने से क्या इंसान की तुरंत हो जाती है मौत, जानें शरीर पर क्या होता है

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Wrong Blood Group Side Effect: इंसान का खून उसकी जिंदगी की सबसे अहम धड़कन है. लेकिन अगर वही खून किसी और का हो और वह आपके शरीर से मेल न खाए, तो क्या हो सकता है. अस्पताल में जब किसी मरीज को खून की जरूरत पड़ती है, तो डॉक्टर उसकी हालत को स्थिर रखने के लिए ट्रांसफ्यूजन यानी खून चढ़ाने की प्रक्रिया अपनाते हैं. यह प्रक्रिया सुनने में भले ही सामान्य लगे, लेकिन यह उतनी ही संवेदनशील होती है. खासकर तब, जब मरीज को उसका मेल न खाने वाल ब्लड ग्रुप चढ़ा दिया जाए.

डॉ. मोहित चौधरी बताते हैं कि,जब किसी व्यक्ति को ऐसा खून चढ़ा दिया जाता है जो उसके ब्लड ग्रुप से मेल नहीं खाता, तो शरीर की इम्यून सिस्टम इसे बाहरी हमला समझती है. इस स्थिति को मेडिकल भाषा में Acute Hemolytic Transfusion Reaction (AHTR) कहा जाता है. इसमें शरीर उस नए खून को नष्ट करने के लिए एंटीबॉडीज बनाता है, जिससे खून की कोशिकाएं फटने लगती हैं और शरीर के अंगों पर गहरा असर पड़ता है.

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कौन-कौन से लक्षण जल्दी दिखते हैं?

  • तेज बुखार और कंपकंपी
  • सीने या कमर में अचानक दर्द
  • सांस लेने में परेशानी
  • पेशाब का रंग लाल या गहरा होना
  • रक्तचाप का गिरना
  • शरीर में सूजन या एलर्जी जैसे लक्षण
  • यदि इन लक्षणों को समय रहते नहीं पहचाना गया, तो यह स्थिति किडनी फेलियर, शॉक, यहां तक कि मौत का कारण भी बन सकती है

क्यों होती है ऐसी गलती?

आमतौर पर अस्पतालों और ब्लड बैंकों में खून चढ़ाने से पहले ब्लड टाइपिंग जैसी प्रक्रियाएं की जाती हैं. लेकिन यदि किसी से लापरवाही हो जाए, लेबलिंग में गलती हो या इमरजेंसी में बिना जांच के खून चढ़ा दिया जाए, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है. 

कैसे बचे इस खतरे से?

  • ब्लड टेस्ट की सही रिपोर्टिंग: हमेशा खून चढ़ाने से पहले मरीज के ब्लड ग्रुप की जांच कराएं।
  • क्रॉस-मैचिंग जरूरी है: डोनर और मरीज के खून को आपस में मिलाकर जांच करना अनिवार्य है
  • सतर्क रहें: मरीज के परिजनों को भी जानकारी होनी चाहिए कि कौन सा ब्लड चढ़ाया जा रहा है

गलत ब्लड ग्रुप का खून चढ़ना किसी छोटी लापरवाही का बहुत बड़ा परिणाम हो सकता है. यह स्थिति कुछ ही मिनटों में शरीर के अंदर अराजकता पैदा कर सकती है और समय रहते इलाज न मिलने पर जान भी जा सकती है.  ऐसे में जरूरी है कि खून चढ़ाने की प्रक्रिया को कभी हल्के में न लें.

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सही खाना और गलत तरीका, ये फूड कॉम्बिनेशन कर सकते हैं आपको बीमार

सही खाना और गलत तरीका, ये फूड कॉम्बिनेशन कर सकते हैं आपको बीमार


ज्यादातर लोग सोचते हैं कि अगर हम हेल्दी खाना खा रहे हैं तो हमारी सेहत भी अच्छी रहेगी, लेकिन कई बार आपका खाना हेल्दी होते हुए भी आपकी सेहत खराब कर सकता है, जिसका कारण गलत फूड कॉम्बिनेशन होता है. आजकल सोशल मीडिया, यूट्यूब और रील्स पर नए-नए खाने के कॉम्बिनेशन ट्रेंड में हैं. लोग इन्हें देखकर एक्साइटेड हो जाते हैं और तुरंत ट्राय कर लेते हैं पर कुछ चीजें साथ में खाने से शरीर को फायदा नहीं, बल्कि नुकसान होता है. इससे न सिर्फ गैस, एसिडिटी, अपच जैसी पेट की दिक्कतें होती हैं बल्कि लंबे समय तक ऐसा करने से मोटापा, एनीमिया, और डायबिटीज जैसी कई बीमारियां भी हो सकती हैं. तो चलिए आज ऐसे ही कुछ आम और रोज खाए जाने वाले गलत फूड कॉम्बिनेशन के बारे में जानते हैं  जिनसे जितना जल्दी हो सके, बचना चाहिए.

रोज खाए जाने वाले गलत फूड कॉम्बिनेशन कौन से हैं?

1. दही और घी साथ में खाना: दही और घी दोनों ही हेल्दी माने जाते हैं. लेकिन इन दोनों को एक साथ खाना आपके मेटाबॉलिज्म को धीमा कर सकता है. इससे पेट भारी लगता है, सुस्ती आती है और वजन कम करना मुश्किल हो जाता है. ऐसे में दही को दिन में और घी को रात में खाएं.

2. दूध और नमक साथ में: दूध के बाद या साथ में नमकीन खाना एक खतरनाक कॉम्बिनेशन है. इससे शरीर में टॉक्सिन बनने लगते हैं, जो ब्लड को गंदा कर सकते हैं और स्किन प्रॉब्लम का कारण बन सकते हैं. इसलिए आप दूध और नमकीन चीजें एक साथ या पास-पास न खाएं.

3. टमाटर और खीरे का सलाद: ये दोनों सब्जियां दिखने में फ्रेश लगती हैं और सलाद में सबसे ज्यादा डाली जाती है, लेकिन इन्हें साथ खाने से पाचन बिगड़ सकता है. इससे गैस बनती है और पेट में जलन हो सकती है. ​इसलिए आप सलाद में दोनों में से एक चीज का ही यूज करें.

4. ब्रेड-जैम का कॉम्बिनेशन: ब्रेड-जैम बच्चों और बड़ों दोनों का फेवरेट है, लेकिन व्हाइट ब्रेड में रिफाइंड कार्ब्स और जैम में शुगर बहुत ज्यादा होती है, इन्हें साथ में खाने से ये शुगर बढ़ा सकते हैं, जिससे वजन बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा भी हो सकता है. इसलिए जरूरी है कि होल व्हीट ब्रेड और होममेड फ्रूट स्प्रेड का यूज करें.

5.  दूध के साथ खट्टी चीजें: दूध के साथ नींबू, संतरा, या कोई भी खट्टी चीज खाने से दूध फट जाता है और पच नहीं पाता, इससे गैस, पेट दर्द और अपच हो सकता है. इसलिए दूध और खट्टी चीजें कभी साथ में न खाएं.

6. मूंगफली खाने के तुरंत बाद पानी: मूंगफली खाने के बाद अगर तुरंत पानी पिया जाए, तो यह गले या छाती में जमा होकर खांसी या सांस लेने की दिक्कत पैदा कर सकता है. ऐसे में मूंगफली के बाद कम से कम 20 मिनट तक पानी न पिएं.

7. चावल और सिरका: कुछ लोग चावल में सिरका डालकर खाते हैं, खासकर जब वे चाइनीज खाना ट्राई करते हैं. लेकिन यह लिवर पर बुरा असर डाल सकता है और पाचन की समस्या बढ़ा सकता है. हालांकि आप सिरके की जगह नींबू का रस डालें.

8. पालक पराठा और चाय: सुबह के नाश्ते में यह कॉम्बिनेशन आम है, लेकिन पालक में आयरन होता है और चाय में कैफीन, जो आयरन को शरीर में जाने से रोक देती है, 
इसलिए पालक पराठा खाने के 30-45 मिनट बाद चाय पिएं.

इन जरूरी बातों का रखें ध्यान

1. खाने का कॉम्बिनेशन सोच-समझकर करें.

2. सोशल मीडिया ट्रेंड्स पर ज्यादा जल्दी भरोसा न करें. 

3. हमेशा हल्का और बैलेंस खाना खाएं.

4. पाचन को अच्छा रखने के लिए सही टाइमिंग और गैप का ध्यान रखें.

5. खाना खाने के बाद तुरंत पानी, फल या दूध न लें.

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