
रात को सोने से पहले स्क्रीन का करते हैं इस्तेमाल, इन बीमारियों का बना रहता है खतरा

‘नोटिस निकालो, मेरी अदालत में सीनियर एडवोकेट नहीं बताएंगे मुकदमे’, CJI गवई का आदेश सुनकर सिंघवी ने कह दी ये बात
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साइनस इन्फेक्शन यानी साइनसाइटिस एक आम समस्या है, जिसमें नाक बंद होना, चेहरे में दबाव महसूस होना और बलगम जम जाना जैसी दिक्कतें होती है. आमतौर पर यह समस्या कुछ ही दिनों में ठीक हो जाती है,लेकिन अगर लक्षण लगातार बने रहे या बिगड़ते जाए तो इलाज की जरूरत पड़ सकती है. अच्छी बात यह है कि कुछ घरेलू उपाय ऐसे होते हैं जिन से साइनस के लक्षणों से राहत मिल सकती है और इम्यून सिस्टम को भी सपोर्ट किया जा सकता है. ऐसे में चलिए अब आपको बताते हैं कि साइनस इन्फेक्शन से राहत कैसे पा सकते हैं उसके घरेलू उपाय क्या-क्या है.
नाक को साफ रखने के लिए करें नेजल इरिगेशन
नेटी पॉट सलाइन स्प्रे या स्क्विज बॉतल की मदद से नाक की सफाई करने पर जमी हुई गंदगी, बलगम और एलरर्जन बाहर निकल जाते हैं. इससे तुरंत राहत मिलती है. इसके लिए उपला हुआ स्टरलाइज्ड पानी, बिना आयोडीन वाला नमक और थोड़ा बेकिंग सोडा मिलाकर सलाइन सॉल्यूशन तैयार किया जा सकता है. ध्यान रखें कि इस्तेमाल के बाद उपकरणों को अच्छे से साफ करना जरूरी है.
स्टीम थेरेपी और ह्यूमिडिफायर से मिलेगा आराम
गर्म भाप लेने से बलगम ढीला होता है और नाक की सूजन में राहत मिलती है. आप गर्म पानी की भाप ले सकते हैं या गर्म पानी से नहा कर भी फायदा पा सकते हैं. कुछ बूंदे यूकेलिप्टिस या पिपरमेंट ऑयल डालने से और ज्यादा लाभ मिल सकता है. इसके साथ ही ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करने से रात के समय नाक और साइनस की सूजन कम हो सकती है.
चेहरे के दर्द के लिए गर्म सेक फायदेमंद
गरम और गीले कपड़े से माथे, गाल और नाक पर सेक करने से साइनस का दबाव कम होता है. गर्म और ठंडे सेक को बारी-बारी से करने से सूजन और दर्द में राहत मिलती है.
पर्याप्त पानी पिएं और सिर को ऊंचा रखें
पानी, सूप और हर्बल चाय जैसे तरल पदार्थ पीने से बलगम पतला होता है और नाक की रुकावट दूर होती है. कैफीन और अल्कोहल से परहेज करें क्योंकि ये डिहाइड्रेशन को बढ़ाते हैं. रात में सिर ऊंचा रखकर सोने से बलगम जमा नहीं होता है और ड्रेनेज आसान होता है.
खानपान में लाएं सुधार
साइनस जैसी समस्या होने पर खाने में ऐसे खाद्य पदार्थ शामिल करें जिनमें एंटी बैक्टीरियल और एंटी इनफ्लेमेटरी गुण हो जैसे लहसुन, अदरक, हल्दी, प्याज, शहद और विटामिन सी युक्त फल आप खा सकते हैं. वहीं हरी सब्जियां और ओमेगा 3 फैटी एसिड युक्त मछलियां भी फायदेमंद हो सकती है. तीखे मसाले जैसे मिर्च में मौजूद कैप्सेसिन भी नाक की रुकावट करने में मदद करता है.
एसेंशियल ऑयल का सावधानी से करें इस्तेमाल
यूकेलिप्टस, टी ट्री या पिपरमेंट ऑयल को भाप या डिफ्यूजर में मिलाकर इस्तेमाल करें. ये सूजन कम करने और सांस लेने में आसानी से मदद कर सकते हैं. वहीं ध्यान रखें कि इन्हें सीधे त्वचा पर न लगाएं.
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Fake Panner Durning Festival: त्योहारों का मौसम खुशियों, पकवानों और अपनों के साथ बिताए लम्हों से भरा होता है. घरों में तरह-तरह की मिठाइयां बनती हैं, पकवानों की खुशबू हर कोने में फैल जाती है. इन सबमें सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली चीजों में से एक है पनीर, चाहे मिठाई बनानी हो या कोई सब्ज़ी, पनीर एक जरूरी हिस्सा होता है. लेकिन त्योहारों के दौरान नकली या मिलावटी पनीर बाजार मिल सकते हैं. ऐसे में नकली पनीर से कैसे बचें और घर पर ही कैसे करें इसकी पहचान कर सकते हैं.
डॉ. बिमल छाजेड़ बताते हैं कि, नकली पनीर आमतौर पर सिंथेटिक दूध, स्टार्च, रिफाइंड ऑयल या डिटर्जेंट जैसी चीजों से बनाया जाता है, जो न तो पोषण देता है और न ही पचने में आसान होता है. इससे पेट की समस्याएं, फूड प्वाइजनिंग, गैस, उल्टी-दस्त और यहां तक कि लिवर और किडनी को भी नुकसान हो सकता है.
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गर्म पानी टेस्ट
थोड़ा सा पनीर गर्म पानी में डालें और 10 मिनट के लिए छोड़ दें. अगर पनीर में तेल जैसा पदार्थ ऊपर तैरने लगे या वह बिखरने लगे, तो समझिए उसमें मिलावट है.
आयोडीन टेस्ट
थोड़ा सा पनीर लेकर उसे अच्छी तरह मैश करें और उसमें कुछ बूंदें आयोडीन की डालें। अगर रंग नीला या काला पड़ने लगे, तो पनीर में स्टार्च मिला है.
स्मेल और टेक्सचर चेक करें
असली पनीर की खुशबू हल्की होती है और उसका टेक्सचर मुलायम होता है. नकली पनीर में गंध थोड़ी अलग होती है, और वह रबर की तरह खिंचता है.
उबालने पर प्रतिक्रिया
असली पनीर को उबालने पर वह सख्त नहीं होता, बल्कि थोड़ा नरम हो जाता है. नकली पनीर उबालने पर रबर जैसा कठोर हो सकता है.
नकली पनीर से होने वाले नुकसान
कैसे रखें सावधानी?
त्योहारों की मिठास तभी सही मायनों में खास बनती है जब वह सेहत के साथ समझौता न करें. नकली पनीर सिर्फ एक मिलावटी पदार्थ नहीं, बल्कि आपके परिवार की सेहत के लिए खतरा बन सकता है. थोड़ा सतर्क रहकर, थोड़ी सी जांच करके आप इस नुकसान से खुद को और अपनों को बचा सकते हैं.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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यह कोई सीक्रेट नहीं है कि पर्याप्त नींद न लेना आपकी हेल्थ के लिए खतरनाक है. हालांकि, एक नई रिसर्च से पता चला है कि बहुत ज्यादा सोना भी उतना ही खतरनाक हो सकता है. एक मेटा एनालिसिस के मुताबिक, रात में आठ घंटे से ज्यादा स्लीप लेने से आपकी डेथ का रिस्क 34% तक बढ़ सकता है, जबकि कम सोने से यह रिस्क 14% तक बढ़ता है.
खराब नींद से जुड़ी हैं 170 से ज्यादा बीमारियां
यूके बायोबैंक के 88,461 वयस्कों के नींद के आंकड़ों का विश्लेषण करने वाले रिसर्चर्स ने पाया कि 170 से ज्यादा बीमारियां खराब स्लीप नींद से कनेक्टेड हैं. इन बीमारियों में पार्किंसंस, टाइप 2 डायबिटीज और एक्यूट किडनी फेलियर जैसी सीरियस प्रॉब्लम्स शामिल हैं. रिसर्च से यह भी पता चला कि देर तक सोने वालों में डेथ का रिस्क कम सोने वालों से ज्यादा होता है.
लंबी नैप्स भी हैं हार्मफुल
रिसर्चर्स ने पाया है कि सिर्फ रात की नींद ही नहीं, दिन में ली जाने वाली नैप्स भी आपकी हेल्थ को अफेक्ट कर सकती हैं. एक और स्टडी के अकॉर्डिंग, 30 मिनट से ज्यादा लंबी नैप्स लेने से भी डेथ का रिस्क बढ़ जाता है. स्लीप फाउंडेशन के मुताबिक, आइडियल नैप ड्यूरेशन 20 से 30 मिनट्स के बीच होना चाहिए, जिससे आप डीप स्लीप में गए बिना फ्रेश फील कर सकें.
आपको कितने घंटे सोना चाहिए?
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एजिंग (NIA) के अनुसार, व्यस्कों के लिए सात से नौ घंटे की नींद सबसे बेस्ट है. स्लीप डॉक्टर और AASM की स्पोक्सपर्सन, डॉ. इंदिरा गुरुभगवतुला कहती हैं कि हम रिकमेंड करते हैं कि एडल्ट्स को रेगुलरली सात या उससे ज्यादा घंटे की स्लीप लेनी चाहिए, ताकि वे फ्रेश फील करें और आने वाले दिन के लिए रेडी रहें. उन्होंने आगे कहा कि अगर आपको दिन में बहुत ज्यादा नींद आती है या इरिटेबिलिटी, डलनेस और मेमोरी में प्रॉब्लम हो रही है, तो अपनी स्लीप के बारे में डॉक्टर से बात करना जरूरी है.
अपनी नींद को ट्रैक पर लाने के लिए टिप्स
सबसे पहले स्क्रीन टाइम को लिमिट करें और सोने के लिए एक रिलैक्सिंग रूटीन बनाएं. हर दिन लगभग एक ही टाइम पर सोएं और जागें. दिन में लेट कैफीन लेने से बचें. सोने के टाइम से दो से तीन घंटे पहले ज्यादा खाना न खाएं. साथ ही, रेगुलर एक्सरसाइज करें, लेकिन सोने से दो घंटे पहले वर्कआउट न करें. अगर इन टिप्स के बाद भी आपकी नींद की क्वउॉलिटी में इम्प्रूवमेंट नहीं होता है, तो पॉसिबल अंडरलाइंग रीजन्स की जांच के लिए डॉक्टर से कंसल्ट करें.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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अक्सर जब हमारे हाथ में दर्द, झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होता है तो हम इसे बस थकावट या एक आम परेशानी मानकर इग्नोर कर देते हैं. खासकर यंग लोग, जो ऑफिस का काम करते हैं या मोबाइल-लैपटॉप पर ज्यादा समय बिताते हैं, वो इसे सामान्य दर्द मानते हैं. क्या आप जानते हैं कि ये संकेत किसी गंभीर समस्या का हिस्सा भी हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, हाथों में झनझनाहट या दर्द, बार-बार सुन्न होना या जलन जैसी फीलिंग ये एक मेडिकल कंडीशन की ओर इशारा कर सकते हैं, जिसे मेडिकल भाषा में ब्रैकियलजिया कहा जाता है. यह शरीर में चल रही कई और दिक्कतों का संकेत हो सकता है. तो आइए जानते हैं कि हाथों में दर्द या झनझनाहट क्यों होती है, इसके पीछे क्या कारण हो सकते हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.
हाथ में झनझनाहट और दर्द के पीछे की असली वजहें?
1. सर्वाइकल स्पॉन्डिलोसिस – इस दिक्कत के कारण भी हाथ में झनझनाहट और दर्द होता है, इस मेडिकल कंडीशन में बढ़ती उम्र में रीढ़ की हड्डी में घिसाव आना लगता है साथ ही गर्दन और कंधे से लेकर हाथों तक दर्द रहता है.
2. पेरिफेरल न्यूरोपैथी – इसमें हाथ-पैर की नसें कमजोर हो जाती हैं. ये डायबिटीज, शराब पीने वालों या विटामिन की कमी वालों को होता है. इसके कारण हाथों में जलन, झनझनाहट और सुन्नपन होती है.
3. ब्रैकियल प्लेक्सस इंजरी – बाइक से गिरना, एक्सीडेंट या ज्यादा स्ट्रेच करने से ये इंजरी होती है, जिसके कारण हाथ में तेज दर्द, कमजोरी या सुन्नपन होने लगता है.
4. सर्वाइकल डिस्क हर्नियेशन – इस कंडीशन में रीढ़ की हड्डी की नसें गर्दन के पास दब जाती हैं. खासतौर जो लोग ज्यादा समय कंप्यूटर पर बिताते हैं या खराब पॉश्चर में बैठते हैं. इसके कारण भी हाथों में दर्द, झनझनाहट और कमजोरी आती है.
5. थोरसिक आउटलेट सिंड्रोम – इसमें गर्दन से कंधे की ओर जाने वाली नसें दब जाती हैं. ये समस्या भारी बैग उठाना, गलत तरीके से बैठना या लंबे समय तक झुक कर काम करने के कारण होती है. इसकी वजह से भी हाथ में झनझनाहट और दर्द होता है.
6. फ्रोजन शोल्डर – इसमें कंधा धीरे-धीरे अकड़ने लगता है. ये दिक्कत डायबिटीज के मरीजों में ज्यादा आम है. इसके कारण कंधे से हाथ तक दर्द और हिलाने में परेशानी होती है.
7. दिल से जुड़ा दर्द – कई बार दिल की समस्या का दर्द भी हाथ या शरीर के ऊपरी हिस्से में महसूस हो सकता है. खासकर बाएं हाथ में दर्द, भारीपन या जलन जो नजरअंदाज नहीं करनी चाहिए.
इन दिक्कतों से कैसे बचा जा सकता है?
1. अगर ये लक्षण लगातार बने हुए हैं, तो इसे हल्के में न लें , साथ ही पेन किलर से खुद इलाज न करें. इससे दर्द दब जाएगा लेकिन समस्या खत्म नहीं होगी.
2. ऐसे में जरूरी है कि आप न्यूरोलॉजिस्ट या ऑर्थोपेडिक डॉक्टर से मिलें.
3. नर्व्स का टेस्ट और MRI कराएं क्योंकि ये कराना फायदेमंद हो सकता है.
4. इन समस्याओं में फिजियोथेरेपी से काफी राहत मिलती है इसलिए फिजियोथेरेपी करा लें.
5. इसके साथ ही अपना पोस्चर सही करें, काम करते वक्त सही बैठें, मोबाइल या लैपटॉप ठीक एंगल पर रखें.
इसके अलावा एक्सरसाइज और स्ट्रेचिंग करें क्योंकि गर्दन और कंधे की एक्सरसाइज से नसों पर दबाव नहीं पड़ता है.
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ड्रैगन फ्रूट को आजकल बहुत से लोग खाना पसंद करते हैं क्योंकि इसमें बहुत सारे पोषक तत्व पाए जाते हैं, जैसे विटामिन सी, फाइबर, प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट, आयरन और मैग्नीशियम. ये सारे तत्व शरीर की सेहत को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. यह फल इम्यूनिटी बढ़ाने, पाचन सुधारने और स्किन को ग्लोइंग बनाने के लिए हेल्दी माना जाता है. ड्रैगन खासतौर पर गर्म इलाकों जैसे दक्षिण-पूर्व एशिया और दक्षिण अमेरिका में उगाया जाता है. यह एक खास प्रकार के कैक्टस पौधे हिलोसेरियस अंडटस पर उगता है, जो टेस्ट में थोड़ा मीठा और थोड़ा खट्टा होता है. कुछ लोग इसके टेस्ट की तुलना कीवी या नाशपाती से करते हैं.
ड्रैगन फ्रूट को हिंदी में कमलम भी कहा जाता है और कई जगह इसे पिताया नाम से भी जाना जाता है. यह फ्रूट सबसे हेल्दी फलों की लिस्ट में शामिल है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस हेल्दी फल के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, ड्रैगन फ्रूट से जुड़े कुछ साइड इफेक्ट्स भी हैं, खासतौर पर तब जब इसे बहुत ज्यादा खाया जाए तो चलिए जानते हैं कि ड्रैगन फ्रूट के साइड इफेक्ट्स क्या है और सेहत पर इसका क्या असर पड़ता है.
ड्रैगन फ्रूट के साइड इफेक्ट्स क्या है?
1. पाचन संबंधी समस्याएं – ड्रैगन फ्रूट में फाइबर की मात्रा बहुत अच्छी होती है. फाइबर हमारे पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद होता है, लेकिन अगर इस फ्रूट को जरूरत से ज्यादा खा लिया जाए, तो ये फायदे नुकसान में बदल सकते हैं. इससे पेट में गैस, पेट दर्द, दस्त और अपच की समस्या हो सकती है.अगर आपका पेट पहले से ही पाचन की समस्या से जूझ रहे हैं, तो ड्रैगन फ्रूट सही और कम मात्रा में ही खाएं.
2. ब्लड प्रेशर पर असर – ड्रैगन फ्रूट ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है, जो हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए अच्छा है. लेकिन लो ब्लड प्रेशर वालों के लिए ये खतरनाक हो सकता है. इससे चक्कर आना, थकावट और कमजोरी महसूस होना जैसे समस्या हो सकती है. ऐसे में अगर आपका ब्लड प्रेशर पहले से ही कम रहता है, तो ड्रैगन फ्रूट खाने से बचें.
3. वजन बढ़ने की समस्या – ड्रैगन फ्रूट में नेचुरल शुगर की मात्रा होती है इसलिए इसे ज्यादा मात्रा में खाने करने पर कैलोरी इनटेक बढ़ सकता है और वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है. खासकर डायबिटीज के मरीजों को यह नुकसान पहुंचा सकता है. इसलिए अगर आप वेट लॉस जर्नी पर हैं, तो इसे बैलेंस में खाएं.
4. एलर्जी की समस्या – कुछ लोगों को ड्रैगन फ्रूट से एलर्जी हो सकती है. इस फ्रूट में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं जो एलर्जी की समस्या को बढ़ा सकते है. इससे स्किन पर पर खुजली या रैश, चेहरे या होंठों पर सूजन, सांस लेने में दिक्कत लऔर गंभीर मामलों में एनाफिलेक्सिस जैसी समस्या हो सकती है. ऐसे में आपको पहले से किसी फल से एलर्जी है, तो ड्रैगन फ्रूट खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लें.
5. ब्लड शुगर लेवल की समस्या – ड्रैगन फ्रूट में नैचुर शुगर की मात्रा ज्यादा होती है. इसलिए इसे खाने ब्लड शुगर लेवल बढ़ सकता है और ये डायबिटीज मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता है. डायबिटीज के मरीज इसे खाने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछें.
6. दवाओं के साथ साइड इफेक्ट्स – कभी-कभी ड्रैगन फ्रूट कुछ दवाओं के साथ रिएक्शन कर सकता है. खासतौर पर ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर या एलर्जी की दवाओं के साथ समस्या ज्यादा हो सकती है.अगर आप किसी भी दवा का सेवन कर रहे हैं, तो ड्रैगन फ्रूट खाने से पहले एक बार डॉक्टर की सलाह लें.
7. यूरिन का रंग बदलना – ड्रैगन फ्रूट की लाल किस्म खाने के बाद कुछ लोगों का पेशाब या मल गुलाबी या लाल रंग का हो सकता है. यह कोई गंभीर समस्या नहीं है, लेकिन ज्यादा मात्रा में खाना नुकसानदायक हो सकता है. वहीं अगर आप लगातार और ज्यादा मात्रा में ड्रैगन फ्रूट खाते हैं, तो आपके शरीर में कुछ खास पोषक तत्वों की कमी हो सकती है. इसका कारण यह है कि यह एक ही तरह के विटामिन और मिनरल्स में ज्यादा होता है, जिससे बैलेंस बिगड़ सकता है.
ड्रैगन फ्रूट खाने का सही तरीका क्या है?
1. ड्रैगन फ्रूट खाने से पहले फल को पानी से अच्छी तरह धो लें.
2. इसके बाद बीच से काटकर चम्मच से गूदा यानी पल्प निकालें.
3. वहीं अगर आप चाहें तो टुकड़ों में काटकर फ्रूट सलाद, स्मूदी या दही के साथ खा सकते हैं.
4. इसके बीज भी आप खा सकते है, इन्हें निकालने की जरूरत नहीं होती है.
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