
इन 7 कारणों से होती है प्रीमैच्योर बर्थ, 5 से 6 महीने में पैदा हुआ बच्चा कितने दिन रहता है जिंदा?
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हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा हेल्दी, एक्टिव और स्मार्ट बने. इसके लिए वे पौष्टिक खाना खिलाने, दूध पिलाने और हर तरह की देखभाल करने में कोई कमी नहीं छोड़ते. लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक छोटी सी गलती बच्चे के दिमागी विकास को कमजोर कर सकती है? यह गलती है कम उम्र में ज्यादा चीनी देना. ज्यादातर लोग सोचते हैं कि बच्चों को मीठा खिलाना बुरा नहीं है, बल्कि कई लोग तो दूध पिलाने के लिए उसमें चीनी डालते हैं. लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि यह आदत लंबे समय में बच्चे के दिमाग पर बुरा असर डाल सकती है. रिसर्च के मुताबिक, ज्यादा शुगर से न केवल दिमागी ग्रोथ रुकती है, बल्कि बच्चा पढ़ाई में कमजोर और ध्यान केंद्रित करने में नाकाम हो सकता है. आइए जानते हैं इस पर डॉक्टर और साइंस क्या कहती है.
ज्यादा चीनी क्यों खतरनाक है?
बचपन में दिमाग तेजी से बढ़ता है और इसी समय ज्यादा शुगर खाने से उसकी ग्रोथ पर असर पड़ता है. अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लिनिकल न्यूट्रिशन में छपी एक स्टडी के अनुसार, 2 साल से कम उम्र में बच्चों को एडेड शुगर देने से उनकी मेमोरी, फोकस और सीखने की क्षमता कम हो सकती है.
डॉक्टर क्या कहते हैं?
पीडियाट्रिशियन डॉक्टर रवि मलिक का कहना है कि बच्चों को शुरू से ही चीनी देने से उनकी खाने की आदतें खराब हो जाती हैं. अगर बच्चे का स्वाद मीठे का हो गया, तो वह हर चीज में शुगर चाहेगा और नट्स, दालें और हेल्दी चीजों को नजरअंदाज करेगा. इस वजह से उसका न्यूट्रिशन बैलेंस बिगड़ सकता है.
कौन से फूड में होती है ज्यादा शुगर?
कई बार माता-पिता सोचते हैं कि जूस या एनर्जी ड्रिंक हेल्दी है, लेकिन इनमें बहुत ज्यादा शुगर होती है, जो बच्चों के दिमाग को नुकसान पहुंचाती है.
दिमाग पर क्या असर पड़ता है?
कितनी शुगर सुरक्षित है?
WHO के अनुसार, 5 साल से छोटे बच्चों को रोजाना 25 ग्राम से ज्यादा शुगर नहीं देनी चाहिए. कोशिश करें कि 2 साल तक बच्चों को एडेड शुगर बिलकुल न दें.
क्या खिलाएं बच्चों को?
घर का बना हेल्दी खाना दें, पैकेज्ड फूड से बचें.अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा जीनियस और हेल्दी बने, तो कम से कम शुरुआती 2 साल तक उसे चीनी से दूर रखें. यह उसके दिमागी विकास और सीखने की क्षमता के लिए जरूरी है. याद रखें मीठा कम, सेहत में दम.
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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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कैंसर, जब हम यह नाम सुनते हैं तो हमारे अंदर एक डर सा बन जाता है. इसके पीछे कारण भी हैं, क्योंकि यह एक ऐसी बीमारी है, जिसका इलाज काफी महंगा होता है और आम इंसानों के लिए उतना पैसा खर्च करना संभव नहीं हो पाता है. यही कारण है कि कैंसर आज दुनिया में मौत का बड़ा कारण बन चुका है. लेकिन एक कैंसर ऐसा है जो पुरुषों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहा है. यह है लंग कैंसर यानी फेफड़ों का कैंसर. यह बीमारी बहुत खतरनाक है क्योंकि ज्यादातर लोगों को इसके बारे में देर से पता चलता है. आंकड़ों के अनुसार, हर दिन हजारों लोग इस कैंसर से जान गंवा रहे हैं. आइए जानते हैं यह क्यों बढ़ रहा है, इसके लक्षण क्या हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है.
पुरुषों में क्यों बढ़ रहा है लंग कैंसर?
डॉक्टरों का कहना है कि लंग कैंसर के ज्यादा मामले पुरुषों में इसलिए दिखते हैं क्योंकि वे धूम्रपान ज्यादा करते हैं. सिगरेट, बीड़ी और तंबाकू लंग कैंसर की सबसे बड़ी वजह हैं. इसके अलावा, प्रदूषण और जहरीली गैसें भी बीमारी का खतरा बढ़ाती हैं.
कितना जानलेवा है यह कैंसर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर (IARC) की रिपोर्ट के अनुसार, लंग कैंसर से होने वाली मौतें दुनिया में सबसे ज्यादा हैं. हर साल करीब 18 लाख लोग इस बीमारी से मरते हैं, यानी हर दिन लगभग 4,900 मौतें होती हैं. भारत में भी स्थिति खराब है क्योंकि ज्यादातर लोगों को यह बीमारी आखिरी स्टेज पर पता चलती है.
कौन से लक्षण दिखने पर सावधान रहें?
लंग कैंसर के शुरुआती लक्षण बहुत साधारण होते हैं, इसलिए लोग इन्हें नजरअंदाज कर देते हैं. अगर ये लक्षण दिखें तो तुरंत डॉक्टर से मिलें:
कैसे बच सकते हैं इस कैंसर से?
लंग कैंसर पुरुषों के लिए सबसे बड़ा खतरा बनता जा रहा है. लेकिन अगर आप समय पर सावधानी बरतें और स्मोकिंग छोड़ दें, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है. WHO और IARC के अनुसार, धूम्रपान छोड़ने से लंग कैंसर का खतरा 70 प्रतिशत तक कम हो सकता है. आज ही यह कदम उठाएं क्योंकि आपकी जिंदगी आपके हाथ में है.
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Pain in Hands and Feet: अक्सर हम हाथों या पैरों में हो रहे हल्के दर्द को नजरअंदाज कर देते हैं. सोचते हैं थकान होगी या मांसपेशियों में खिंचाव. लेकिन यह दर्द शरीर में किसी गंभीर बीमारी की चेतावनी भी हो सकता है? हार्ट से जुड़ी एक खास स्थिति एंजाइना की शुरुआत भी शरीर के इन हिस्सों में दर्द से हो सकती है.
जब भी आपको या आपके परिवार के किसी सदस्य को हाथ और पैर में दर्द ज्यादा करें तो डॉक्टर को जरूर दिखाने जाएं, क्योंकि ये दर्द कभी-कभी सामान्य समस्या नहीं होती, इसके पीछे किसी तरह की बड़ी बीमारी भी हो सकती है. इसलिए आपका सतर्क रहना बहुत जरूरी है.
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क्या है एंजाइना?
एजाइना एक प्रकार की छाती से जुड़ी समस्या है, जो तब होती है जब दिल को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और खून नहीं मिल पाता. इससे सीने में दबाव, जकड़न और जलन महसूस होती है. हालांकि कई मामलों में दर्द का असर हाथों, कंधों, गर्दन, पीठ या यहां तक कि पैरों तक भी महसूस हो सकता है.
डॉ. केके पाण्डेय बताते हैं कि, अगर व्यक्ति को बार-बार हाथों या पैरों में भारीपन, जलन या थकान जैसा दर्द हो रहा है और वह आराम करने पर ठीक हो जाता है, तो यह एंजाइना की तरफ इशारा हो सकता है.
किन लक्षणों को पहचानें
जांच और इलाज
धूम्रपान और शराब से परहेज करें
हाथों-पैरों में दर्द को हल्के में लेना बड़ी भूल हो सकती है. यह एक गंभीर हृदय रोग का प्रारंभिक संकेत हो सकता है. समय रहते जांच और इलाज कराने से न केवल बीमारी को रोका जा सकता है, बल्कि जीवन को भी बचाया जा सकता है.
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बहुत सी महिलाएं ब्रेस्ट के पास या ब्रा स्ट्रैप के नीचे स्किन काली पड़ने की समस्या से परेशान रहती हैं. खासकर गर्मी के मौसम में या लंबे समय तक टाइट ब्रा पहनने के कारण यह परेशानी और बढ़ जाती है. ऐसे में मन में यह डर बैठ जाता है कि कहीं यह ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण तो नहीं. सोशल मीडिया और इंटरनेट पर भी इस तरह के सवाल तेजी से सर्च किए जाते हैं, जिससे डर और बढ़ जाता है. क्या वास्तव में ब्रा की रगड़ से हुई स्किन डार्कनेस का मतलब कैंसर है? आइए जानते हैं मेडिकल साइंस और रिसर्च इस बारे में क्या कहती है और इसका सही कारण क्या है?
स्किन काली क्यों पड़ती है?
ब्रा की रगड़ या टाइट ब्रा पहनने से स्किन पर लगातार फ्रिक्शन होता है. इस वजह से उस जगह पर हाइपरपिगमेंटेशन हो सकता है. मेडिकल स्टडीज के मुताबिक, जब स्किन बार-बार रगड़ खाती है तो मेलेनिन का प्रोडक्शन बढ़ जाता है, जिससे स्किन डार्क हो जाती है. इसे फ्रिक्शनल मेलानोसिस कहा जाता है. कई बार पसीने और नमी के कारण उस जगह पर इंफेक्शन या फंगल इन्फेक्शन भी हो सकता है, जिससे स्किन और ज्यादा डार्क हो जाती है.
क्या यह ब्रेस्ट कैंसर का संकेत है?
Journal of Clinical and Aesthetic Dermatology और American Cancer Society की गाइडलाइन्स के अनुसार, सिर्फ स्किन का काला होना ब्रेस्ट कैंसर का संकेत नहीं है. कैंसर के लक्षण आमतौर पर ये हो सकते हैं:
अगर इन लक्षणों के साथ स्किन काली हो रही है तो डॉक्टर से तुरंत चेकअप कराना जरूरी है.
क्या करें अगर ब्रा की वजह से स्किन काली हो रही है?
कब डॉक्टर को दिखाएं?
अगर स्किन के साथ ब्रेस्ट में दर्द, गांठ, या निप्पल से डिस्चार्ज हो रहा है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें. स्किन काली होने की समस्या अधिकतर ब्रा की रगड़, मोटापा, पसीना और हाइजीन की कमी के कारण होती है, न कि कैंसर से.
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