ये 5 सिग्नल नजर आएं तो समझ लें सड़ने लगी है आपकी किडनी, तुरंत भागें डॉक्टर के पास

ये 5 सिग्नल नजर आएं तो समझ लें सड़ने लगी है आपकी किडनी, तुरंत भागें डॉक्टर के पास



Early signs of kidney failure: किडनी हमारे शरीर का वह हिस्सा हैं जो चुपचाप दिन-रात काम करते रहते हैं. ये शरीर से जहरीले तत्व और अतिरिक्त पानी बाहर निकालते हैं, ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करते हैं और मिनरल्स का संतुलन बनाए रखते हैं. लेकिन जब किडनी ठीक से काम करना बंद कर देती है, तो शरीर कई संकेत देता है. जिन्हें अगर समय रहते न समझा जाए, तो यह गंभीर बीमारी का रूप ले सकती है. दुनिया की करीब 10 प्रतिशत आबादी किसी न किसी तरह की किडनी समस्या से जूझ रही है और हर साल लाखों लोगों की मौत इसी कारण होती है. चलिए आपको बताते हैं कि इसके कौन से लक्षण दिखाई देते हैं.

कौन से दिखते हैं लक्षण?

किडनी की परेशानी की शुरुआत अक्सर बहुत मामूली लक्षणों से होती है, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है. अगर शरीर में लगातार थकान बनी रहती है, पैरों या आंखों के नीचे सूजन दिखती है, यूरिन का रंग या मात्रा बदल जाती है, सांस लेने में दिक्कत होती है या त्वचा रूखी और खुजलीदार महसूस होती है, तो यह संकेत हो सकता है कि आपकी किडनी कमजोर हो रही है.

लगातार थकान या कमजोरी इस बात का संकेत हो सकती है कि शरीर में टॉक्सिन्स जमा हो रहे हैं और किडनी उन्हें ठीक से बाहर नहीं निकाल पा रही. अगर भरपूर नींद लेने के बाद भी थकान महसूस होती है, तो इसे हल्के में न लें और डॉक्टर से जांच करवाएं. शरीर में सूजन भी एक बड़ा संकेत है. जब किडनी अतिरिक्त तरल पदार्थ नहीं निकाल पाती, तो वह शरीर के हिस्सों में जमा होने लगता है. इसका असर सबसे पहले पैरों, हाथों या चेहरे पर दिखता है. इसे मेडिकल भाषा में एडेमा  कहा जाता है.

यूरिन में बदलाव किडनी की समस्या का सबसे साफ़ संकेत होता है. पेशाब का रंग गहरा होना, उसमें झाग या बुलबुले दिखना, बार-बार पेशाब लगना या जलन महसूस होना.ये लक्षण बता सकते हैं कि किडनी में कुछ गड़बड़ है.  सांस फूलना या सांस लेने में परेशानी भी किडनी फेलियर का एक छिपा हुआ संकेत है. जब किडनी शरीर से अतिरिक्त तरल नहीं निकाल पाती, तो वही फ्लूइड फेफड़ों तक पहुंच जाता है और सांस लेना मुश्किल कर देता है. कई बार लोग इसे हार्ट या लंग्स की बीमारी समझ लेते हैं, जबकि असली वजह किडनी होती है. रूखी और खुजलीदार त्वचा इस बात का संकेत है कि किडनी खून से जरूरी मिनरल्स और अपशिष्ट पदार्थों को फिल्टर नहीं कर पा रही. इससे शरीर में मिनरल असंतुलन हो जाता है, जो स्किन को सूखा और खुजलीदार बना देता है. ये स्थिति अक्सर किडनी रोग के बढ़े हुए चरण में देखी जाती है.

डॉक्टर से संपर्क करने की जरूरत कब?

अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण महसूस हो, तो देर न करें और डॉक्टर से सलाह लें. शुरुआती पहचान से न सिर्फ बीमारी को रोका जा सकता है, बल्कि किडनी की कार्यक्षमता भी काफी हद तक बचाई जा सकती है. किडनी को स्वस्थ रखने के लिए सबसे जरूरी है संतुलित और हेल्दी डाइट. खाने में नमक कम करें, क्योंकि ज्यादा सोडियम ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. ऐसे फल और सब्जियां खाएं जिनमें पोटैशियम कम हो जैसे सेब, बेरीज़, अंगूर, फूलगोभी, पत्ता गोभी और शिमला मिर्च. इनमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट सूजन को कम करते हैं और किडनी पर दबाव घटाते हैं. प्रोटीन के लिए हमेशा हल्के स्रोत चुनें जैसे मछली, दालें या अंडे का सफेद भाग. रेड मीट और प्रोसेस्ड फूड से परहेज करें क्योंकि इनमें मौजूद प्रिज़रवेटिव्स किडनी को ज़्यादा काम करने पर मजबूर करते हैं. इसके साथ-साथ, दवाइयों का अत्यधिक सेवन, खासकर पेनकिलर्स का, किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है. डॉक्टर की सलाह के बिना दर्द निवारक दवाएं बार-बार न लें.

इसे भी पढ़ें: What is CRP Test: किन-किन बीमारियों का पता बताता है CRP Test, किस उम्र में इसे कराना जरूरी?

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

बच्चे को कैसे जन्म देंगी अनाया बांगड़, मां बनेंगी या पिता? जानें यह कैसे होगा पॉसिबल

बच्चे को कैसे जन्म देंगी अनाया बांगड़, मां बनेंगी या पिता? जानें यह कैसे होगा पॉसिबल



Anaya Bangar Gender Transition: रियलिटी शो Rise and Fall में एक बेहद भावनात्मक पल देखने को मिला, जब कंटेस्टेंट अनाया बांगड़ ने अपनी जिंदगी से जुड़ा एक गहरा और साहसिक सच सबके सामने रखा. बातचीत के दौरान अनाया ने बताया कि उन्होंने अपनी जेंडर ट्रांजिशन सर्जरी से पहले अपने स्पर्म को फ्रीज कराया था, ताकि भविष्य में वे भी मां बनने का सपना पूरा कर सकें भले ही सरोगेसी के जरिए. अनाया ने कहा, मेरे पास दो रास्ते थे या तो मैं अडॉप्शन चुनती, या फिर हार्मोनल ट्रीटमेंट से पहले स्पर्म फ्रीज कराती. मैंने दूसरा रास्ता चुना, क्योंकि मैं चाहती थी कि कभी भविष्य में अगर चाहूं तो मां बन सकूं. मैं बच्चा खुद नहीं जन्म दे सकती, लेकिन सरोगेसी के जरिए अपना बच्चा जरूर पा सकती हूं. चलिए आपको बताते हैं कि क्या यह संभव है. 

क्या यह संभव है?

अनाया बांगड़ का फैसला पूरी तरह साइंटफिक रूप से सही और संभव है. जब कोई व्यक्ति ट्रांजिशन से पहले अपनी प्रजनन क्षमता  को सुरक्षित रखना चाहता है, तो वह स्पर्म फ्रीजिंग या एग फ्रीजिंग का विकल्प चुन सकता है. यह प्रक्रिया भविष्य में IVF या सरोगेसी के जरिए जैविक संतान पाने का रास्ता खोल देती है. यानी अनाया खुद गर्भधारण नहीं कर सकतीं, लेकिन उनके फ्रीज किए गए स्पर्म से किसी डोनर एग और सरोगेट मदर की मदद से उनका बच्चा जन्म ले सकता है.

फिलहाल, ट्रांसजेंडर महिला के लिए गर्भधारण संभव नहीं है. पुरुष शरीर में गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और गर्भधारण के लिए आवश्यक हार्मोनल सिस्टम मौजूद नहीं होता. कुछ देशों में वैज्ञानिक यूट्रेस ट्रांसप्लांट पर प्रयोग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक किसी ट्रांसजेंडर महिला में सफल गर्भधारण का मामला सामने नहीं आया है. इसका मतलब है कि फिलहाल सरोगेसी ही एक सुरक्षित विकल्प है.

ट्रांसजेंडर उठा रहे हैं यह कदम

अनाया के मामले में, उन्होंने ट्रांजिशन सर्जरी से पहले स्पर्म फ्रीज कराके एक बेहद समझदारी भरा कदम उठाया. यह उन्हें भविष्य में सरोगेसी के जरिए अपनी जैविक संतान पाने की संभावना देता है. आज के दौर में बहुत से ट्रांसजेंडर लोग, चाहे वे पुरुष हों या महिलाएं, हार्मोनल ट्रीटमेंट से पहले फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन  का यही रास्ता चुन रहे हैं. American Society for Reproductive Medicine (ASRM) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, जेंडर ट्रांजिशन से पहले स्पर्म या एग फ्रीजिंग कराना सबसे प्रभावी तरीका माना जाता है जिससे ट्रांसजेंडर व्यक्ति भविष्य में पैरेंटहुड का सपना पूरा कर सकते हैं. वहीं, WHO की 2023 की टेक्निकल ब्रीफ में भी यह स्पष्ट किया गया है कि फर्टिलिटी प्रिजर्वेशन ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के प्रजनन अधिकारों का अहम हिस्सा है.

इसे भी पढ़ें: नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं कुछ लोग, इसका सेहत पर क्या पड़ता है असर?

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

क्या ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए सिर्फ मैमोग्राफी काफी नहीं, जानें क्या है डॉक्टर्स की राय?

क्या ब्रेस्ट कैंसर की जांच के लिए सिर्फ मैमोग्राफी काफी नहीं, जानें क्या है डॉक्टर्स की राय?


दुनिया भर में महिलाएं ब्रेस्ट चेकअप के लिए यही टेस्ट कराती हैं. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि ब्रेस्ट टेस्ट के लिए सभी महिलाओं को मैमोग्राम पर डिपेंड नहीं रहना चाहिए क्योंकि ये कई महिलाओं पर असरदार नहीं है, खासकर भारत जैसे देश में.

दरअसल, भारत में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पैटर्न वेस्ट के देशों से काफी अलग है. यहां कम उम्र से ही ये बीमारी शुरू हो जाती है और महिलाओं में ब्रेस्ट टिश्यू ज्यादा डेंस होते हैं. साथ ही, यहां इसके ट्रीटमेंट और डिटेक्शन की सुविधाएं काफी कम हैं. भारत में ये परेशानी 45 की उम्र से ही शुरू हो जाती है जबकि वेस्ट में ये 55 से शुरू होती है.

दरअसल, भारत में महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का पैटर्न वेस्ट के देशों से काफी अलग है. यहां कम उम्र से ही ये बीमारी शुरू हो जाती है और महिलाओं में ब्रेस्ट टिश्यू ज्यादा डेंस होते हैं. साथ ही, यहां इसके ट्रीटमेंट और डिटेक्शन की सुविधाएं काफी कम हैं. भारत में ये परेशानी 45 की उम्र से ही शुरू हो जाती है जबकि वेस्ट में ये 55 से शुरू होती है.

डॉक्टर्स बताते हैं कि मैमोग्राम फैटी ब्रेस्ट टिश्यू में बेहतर काम करता है. लेकिन भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट ज्यादा डेंस होने के कारण इस टेस्ट के दौरान कैंसर के शुरुआती लक्षण छूट जाते हैं या गलत रिपोर्ट आ जाती है. इसलिए ये फायदेमंद नहीं है.

डॉक्टर्स बताते हैं कि मैमोग्राम फैटी ब्रेस्ट टिश्यू में बेहतर काम करता है. लेकिन भारतीय महिलाओं में ब्रेस्ट ज्यादा डेंस होने के कारण इस टेस्ट के दौरान कैंसर के शुरुआती लक्षण छूट जाते हैं या गलत रिपोर्ट आ जाती है. इसलिए ये फायदेमंद नहीं है.

ऐसे में डॉक्टर्स का कहना है कि भारत जैसे देश में इसके लिए अल्ट्रासाउंड का ऑप्शन ज्यादा बेहतर है. साथ ही, महिलाओं को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन भी करनी चाहिए.

ऐसे में डॉक्टर्स का कहना है कि भारत जैसे देश में इसके लिए अल्ट्रासाउंड का ऑप्शन ज्यादा बेहतर है. साथ ही, महिलाओं को सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन भी करनी चाहिए.

भारत में आज ब्रेस्ट कैंसर सबसे कॉमन बन गया है और वेस्ट की कंपैरिजन में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में इस बीमारी का पता न चलने या देरी से पता चलने की वजह से 40 से 50 प्रतिशत महिलाएं मर जाती हैं.

भारत में आज ब्रेस्ट कैंसर सबसे कॉमन बन गया है और वेस्ट की कंपैरिजन में तेजी से फैल रहा है. ऐसे में इस बीमारी का पता न चलने या देरी से पता चलने की वजह से 40 से 50 प्रतिशत महिलाएं मर जाती हैं.

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की एक रिसर्च में पाया गया कि क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन के साथ मैमोग्राम को जोड़ने पर भी सही डिटेक्शन नहीं किया जा सका और मौतें होती रहीं. वहीं संजय गांधी पीजीआई की स्टडी बताती है कि महिलाएं अगर हर महीने सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करें तो वह बदलाव को जल्दी पहचानकर उसका तुरंत इलाज करा सकती हैं.

टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल की एक रिसर्च में पाया गया कि क्लिनिकल ब्रेस्ट एग्जामिनेशन के साथ मैमोग्राम को जोड़ने पर भी सही डिटेक्शन नहीं किया जा सका और मौतें होती रहीं. वहीं संजय गांधी पीजीआई की स्टडी बताती है कि महिलाएं अगर हर महीने सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिनेशन करें तो वह बदलाव को जल्दी पहचानकर उसका तुरंत इलाज करा सकती हैं.

साथ ही, डॉक्टर्स का कहना है कि हर महीने महिलाओं को खुद ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए और किसी गांठ, निप्पल में चेंजेस की तरफ ध्यान देना जरूरी है. इसके अलावा परेशानी आने पर टारगेटेड इमेजिंग जरूर करवाएं.

साथ ही, डॉक्टर्स का कहना है कि हर महीने महिलाओं को खुद ब्रेस्ट की जांच करनी चाहिए और किसी गांठ, निप्पल में चेंजेस की तरफ ध्यान देना जरूरी है. इसके अलावा परेशानी आने पर टारगेटेड इमेजिंग जरूर करवाएं.

Published at : 12 Nov 2025 09:09 AM (IST)

हेल्थ फोटो गैलरी



Source link

किस बीमारी की वजह से अचानक बेहोश होकर गिरे गोविंदा, यह कितनी खतरनाक?

किस बीमारी की वजह से अचानक बेहोश होकर गिरे गोविंदा, यह कितनी खतरनाक?



Govinda in Hospital: बॉलीवुड के हीरो नंबर वन गोविंदा की तबीयत अचानक बिगड़ गई. 12 नवंबर (मंगलवार/बुधवार) की रात वह अपने ही घर में बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया. ऐसे में सवाल उठता है कि किस बीमारी की वजह से गोविंदा अचानक बेहोश हो गए? यह बीमारी कितनी खतरनाक है और इसके क्या लक्षण हैं?

कब बिगड़ी गोविंदा की तबीयत?

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार रात करीब 8 बजे से गोविंदा को चक्कर आने शुरू हो गए. वह असहज महसूस करने लगे तो घरवालों ने डॉक्टर से फोन पर बात की. इसके बाद कुछ दवाइयां दी गईं, लेकिन रात करीब एक बजे हालत ज्यादा बिगड़ गई. वह अचानक बेहोश होकर गिर पड़े. उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनके सभी टेस्ट हो रहे हैं और  अहम पैरामीटर्स पर नजर रखी जा रही है.

किस वजह से बेहोश हुए गोविंदा?

गाजियाबाद स्थित यशोदा हॉस्पिटल में मेडिसिन एंड जनरल फिजिशियन डॉ. एपी सिंह ने बताया कि गोविंदा को क्या हुआ है, यह कहना मुश्किल है. अगर लक्षणों पर गौर किया जाए तो इसे डिसओरिएंटेशन की शिकायत माना जा सकता है. इसका मतलब है कि उन्हें अचानक चक्कर आए और वह होश खो बैठे. फिलहाल वह अस्पताल में हैं और डॉक्टर हर मिनट उनकी निगरानी कर रहे हैं. उनकी हालत स्थिर है और वह खतरे से बाहर हैं.

क्या है यह बीमारी?

अब सवाल यह है कि किस बीमारी की वजह से गोविंदा को अचानक चक्कर आए? अगर चक्कर की मुख्य वजह डिसओरिएंटेशन है तो यह कोई बीमारी नहीं, बल्कि एक लक्षण है. मतलब दिमाग को अचानक ऑक्सीजन कम पहुंची और होश नहीं रहा. डॉक्टर कहते हैं कि गोविंदा को पहले गोली लगने से काफी खून बहा था, जिससे बॉडी कमजोर हुई. अब उनकी उम्र 61 साल से ज्यादा है. वहीं, कुछ दिन पहले महाराष्ट्र चुनाव में प्रचार करते वक्त भी उनके सीने में दर्द हुआ था, जिसके बाद वह रोड शो बीच में छोड़कर मुंबई लौट आए थे. शायद यह सब मिलकर असर कर रहा है.

दिक्कत की असली वजह क्या?

डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे केस में लो ब्लड प्रेशर, डिहाइड्रेशन, दिल की धड़कन अनियमित होना या दवाइयों का साइड इफेक्ट भी वजह बन सकता है. गोविंदा को ब्लड प्रेशर की दिक्कत पहले से है. डॉक्टरों का कहना है कि अभी ईसीजी, ब्लड टेस्ट और ब्रेन स्कैन सब कर रहे हैं. अगर ब्लड प्रेशर ड्रॉप की वजह से ऐसा हुआ तो दवाई से कंट्रोल हो जाएगा. अगर दिल या दिमाग की कोई पुरानी प्रॉब्लम निकली तो इलाज लंबा चलेगा.

यह दिक्कत कितनी खतरनाक?

आम बोलचाल में कहें तो ज्यादातर बार बेहोशी आना कोई बड़ी बात नहीं. गर्मी, भूख और तनाव की वजह से ऐसा हो सकता है. अगर बार-बार ऐसा हो या 60 साल से ज्यादा उम्र वाले को हो तो डॉक्टर अलर्ट हो जाते हैं. यह दिल का दौरा, ब्रेन स्ट्रोक या शुगर लो होने का संकेत हो सकता है. डॉक्टरों के मुताबिक, सिंकोप (बेहोशी का मेडिकल नाम) से हर साल लाखों लोग प्रभावित होते हैं. ज्यादातर ठीक हो जाते हैं, लेकिन 10-20 पर्सेंट केस में गंभीर वजह निकलती है. अगर अचानक कोई बेहोश होकर गिर रहा है तो तुरंत जांच करानी चाहिए.

ये भी पढ़ें: Heart Attack: घर में अकेले हैं और आ गया हार्ट अटैक? सबसे पहले करें ये काम

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

वजन कम करने के साथ चाहिए लंबी उम्र, तुरंत लाइफस्टाइल में शामिल करें ये एक्टिविटीज

वजन कम करने के साथ चाहिए लंबी उम्र, तुरंत लाइफस्टाइल में शामिल करें ये एक्टिविटीज



वजन कम करना आजकल कई लोगों के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है. हम अक्सर सोचते हैं कि अगर हम सिर्फ कम खाएं, ज्यादा एक्सरसाइज करें और फिटनेस रूटीन का पालन करें, तो वजन अपने आप घट जाएगा. इसके लिए लोग कैलोरी गिनने से लेकर नियमित एक्सरसाइज और वजन उठाने तक सभी कोशिशें करते हैं. हफ्ते में तीन से चार बार वजन उठाना, रोजाना 10,000 कदम चलना, और जंक फूड से बचें ये सभी आदतें मदद करती हैं. लेकिन इसके बावजूद आपका वजन कम नहीं हो रहा, या आप थकान और कमजोरी महसूस कर रहे हैं. अमेरिका के प्रसिद्ध इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट और फंक्शनल मेडिसिन डॉक्टर डॉ. संजय भोजराज ने इसका कारण बताया है तो आइए आज हम आपको बताते हैं कि लंबी उम्र और वजन कम करने के लिए कौन सा काम तुरंत बंद करें. 

हार्ट डिजीज एक्सपर्ट ने क्या बताया?

हाल ही में अमेरिका के हार्ड डिजीज एक्सपर्ट ने 6 नवंबर को इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर किया, जिसमें उन्होंने बताया कि कैसे नींद की कमी ने उनके और उनके मरीजों के वजन घटाने के प्रयासों को प्रभावित किया. हार्ड डिजीज एक्सपर्ट ने अपने पोस्ट में लिखा कि वह पिछले 20 सालो से हार्ड डिजीज एक्सपर्ट हैं और हमेशा यही मानते थे कि कम खाना और ज्यादा एक्सरसाइज करना वजन घटाने के लिए फायदेमंद है. वह अपने मरीजों को भी यही सलाह देते थे कि लीन प्रोटीन खाएं, कार्डियो एक्सरसाइज करें और कैलोरी गिनें. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने देखा कि उनके कई मरीजों का वजन घटने के बजाय बढ़ता रहा. लोग थकान महसूस करते रहे, और उम्र के लक्षण  जल्दी दिखने लगे. 

कौन सा काम तुरंत बंद करें?

कुछ नए शोधों से यह साफ हुआ कि खराब नींद, प्रोसेस्ड फूड और रोजाना तनाव चुपचाप शरीर में कोर्टिसोल और इंसुलिन हार्मोन को बढ़ा रहे हैं. ये हार्मोन शरीर को फैटे स्टोरेज मोड में फंसा देते हैं. इसका मतलब यह है कि चाहे आप कितना भी साफ डाइट लें या कितनी भी एक्सरसाइज करें, आपका शरीर अभी भी फैट जमा करता रहेगा. ऐसे में हार्ट डिजीज एक्सपर्ट तीन जरूरी चीजों पर ध्यान देने की सलाह दी. जिसमें पहला सूजन कम करना है. यह मेटाबॉलिज्म को ठीक करने का पहला कदम है. इसके बाद दूसरा गहरी नींद और सुबह की एक्टिविटी को प्राथमिकता देना. नींद पूरी न होने से शरीर के हार्मोन असंतुलित होते हैं और तीसरा मजबूत हार्ट, जो न सिर्फ लंबी उम्र देता है, बल्कि मेटाबॉलिज्म को तेज करता है. 

इसे भी पढ़ें: Heart Attack: घर में अकेले हैं और आ गया हार्ट अटैक? सबसे पहले करें ये काम

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

 खराब अंडा खा लिया तो अंदर से सड़ने लगेगा पेट, जानें कितना कर सकता है नुकसान?

 खराब अंडा खा लिया तो अंदर से सड़ने लगेगा पेट, जानें कितना कर सकता है नुकसान?



अंडा हमारे रोजाना के खाने का अहम हिस्सा होता है. सुबह के नाश्ते से लेकर डाइट प्लान तक अंडे को हेल्दी प्रोटीन का सबसे अच्छा सोर्स माना जाता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर अंडा खराब हो जाए और आप उसे गलती से भी खा ले तो यह हेल्दी फूड आपके लिए कितना खतरनाक बन सकता है. दरअसल खराब अंडा खाने से पेट में इन्फेक्शन, उल्टी, दस्त और यहां तक कि फूड प्वाइजनिंग तक हो सकती है. वहीं खराब अंडा खाने से आपका पेट अंदर से सड़ने तक लग जाता है. इसलिए जरूरी है कि अंडा खाने से पहले उसकी ताजगी जरूर चेक करनी चाहिए. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि खराब अंडा खाने से अंदर से पेट कैसे सड़ने लगता है और यह खराब अंडे कितना नुकसान कर सकते हैं.

खराब अंडा खाने से क्या होता है असर?

खराब अंडे में साल्मोनेला बैक्टीरिया पनप सकता है जो शरीर में जाकर संक्रमण फैलता है. इसे साल्मोनेला बैक्टीरिया कहा जाता है. यह बैक्टीरिया पेट की आंतों में सूजन पैदा करता है, जिससे खाने का पाचन रुक जाता है और पेट में गैस, जलन और दर्द बढ़ने लगता है. ऐसे में अगर समय पर इलाज न किया जाए तो यह इन्फेक्शन खून तक पहुंच सकता है. वहीं कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों, बच्चों और बुजुर्गों में यह संक्रमण सबसे ज्यादा खतरनाक साबित हो सकता है.

ऐसे पहचानें अंडा खराब है या नहीं

  • गंध से पहचानें- अगर अंडा फोड़ते ही उसमें सड़ी या बदबूदार महक आए तो समझ जाए कि वह अंडा खराब है ‌.
  • पानी टेस्ट करें- आप अंडे की पहचान का टेस्ट पानी से भी कर सकते हैं. इसके लिए कटोरे में पानी भरें और उसमें अंडा डालें. अगर अंडा नीचे बैठ जाए तो वह ताजा है और अगर ऊपर तैरने लगे तो समझ जाए कि वह खराब हो चुका है.
  • रंग और बनावट चेक करें- अगर अंडे की सफेदी बहुत पतली हो या पीला दाग लगा हुआ हो और वह टेस्ट में भी फिका लगे तो उसे तुरंत फेंक दें. क्योंकि ऐसे अंडे खराब हो जाते हैं.
  • छिलका चेक करें- अंडा खराब है या नहीं यह जांचने के लिए आप अंडे के छिलके को भी चेक कर सकते हैं. दरअसल फटा हुआ, चिपचिपा या फफूंदीदार अंडा खाने लायक नहीं होता है. वह खराब होता है.

अंडे को खराब होने से कैसे बचाएं?

अंडे को खराब होने से रोकने का सबसे अच्छा उपाय माना जाता है कि खरीदते वक्त अंडे का कार्टन खोलकर चेक करें. अगर उसमें कोई दरार या गंदगी नजर आए तो वह अंडा न खरीदें. वहीं घर पर भी अंडों को तुरंत रेफ्रिजरेटर में रखें. आप अंडों की एक्सपायरी डेट देखकर ही उनका इस्तेमाल करें.

ये भी पढ़ें: Heart Attack: घर में अकेले हैं और आ गया हार्ट अटैक? सबसे पहले करें ये काम

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link