ICMR की रिपोर्ट ने किया खुलासा, 2030 तक रेबीज मुक्त भारत का लक्ष्य

ICMR की रिपोर्ट ने किया खुलासा, 2030 तक रेबीज मुक्त भारत का लक्ष्य


Rabies Free India: हमारे देश में कई बीमारियां ऐसी हैं जो वर्षों से जान लेती आ रही हैं, लेकिन चर्चा में कम ही रहती हैं. ऐसी ही एक बीमारी है, रेबीज सड़क पर घूमते पागल कुत्ते, एक छोटी सी खरोंच या काटने का निशान और फिर धीरे-धीरे बढ़ती लक्षणों की गंभीरता, यही है रेबीज का असली डर.

हाल ही में ICMR (Indian Council of Medical Research) की एक रिपोर्ट ने रेबीज से जुड़ा चौंकाने वाला खुलासा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल भारत में करीब 5700 लोग रेबीज की वजह से अपनी जान गंवाते हैं. इसलिए सरकार ने 2030 तक इसका ‘जीरो डेथ‘ लक्ष्य तय किया है.

ये भी पढ़े- प्रेग्नेंसी के दौरान जी क्यों मचलाने लगता है, जानें क्या है ये केमिकल लोचा

रेबीज क्या है और क्यों है यह खतरनाक?

रेबीज एक वायरल बीमारी है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों, विशेषकर कुत्तों के काटने से फैलती है. यह वायरस मस्तिष्क पर हमला करता है और एक बार लक्षण उभरने के बाद यह बीमारी लगभग 100% घातक हो जाती है. इसी संदर्भ में चेन्नई के डॉ. मनोज मुरहेकर का कहना है कि, रेबीज एक ऐसी बीमारी है, जो यदि समय रहते पहचान ली जाए और सही टीकाकरण किया जाए, तो 100% रोकी जा सकती है. लेकिन जागरूकता की कमी और चिकित्सा सुविधा तक देर से पहुंच के कारण यह जानलेवा साबित होती है.

ICMR रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु क्या हैं

भारत में हर साल औसतन 5700 मौतें रेबीज से होती हैं

कुत्तों के काटने की घटनाएं ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में समान रूप से चिंता का विषय हैं

बहुत से मरीज इलाज की सही जानकारी और समय पर वैक्सीन नहीं मिलने के कारण जान गंवा बैठते हैं

रिपोर्ट में कहा गया है कि स्कूल स्तर पर जागरूकता, वैक्सीनेशन और पेट एनिमल्स की निगरानी बेहद जरूरी है

2030 तक ‘जीरो डेथ’ लक्ष्य- क्या संभव है?

भारत सरकार ने WHO के सहयोग से 2030 तक देश को रेबीज-मुक्त करने का संकल्प लिया है.

निःशुल्क एंटी-रेबीज वैक्सीन उपलब्ध कराना

डॉग्स की नसबंदी और वैक्सीनेशन प्रोग्राम

जनता में जागरूकता अभियान, खासकर ग्रामीण इलाकों में जागरूक करना है

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर आपातकालीन उपचार की व्यवस्था

रेबीज कोई नई बीमारी नहीं है, लेकिन आज भी इसके कारण सैकड़ों जानें चली जाती हैं. ICMR की रिपोर्ट एक चेतावनी है कि, अगर हम जागरूक नहीं हुए तो 2030 का ‘जीरो डेथ‘ सपना अधूरा रह जाएगा. आइए, मिलकर जागरूकता फैलाएं और इस ‘मौत की खामोश बीमारी’ को जड़ से मिटाएं.

ये भी पढ़ें: फैटी लिवर… एक साइलेंट किलर, सिरोसिस से लेकर कैंसर तक का खतरा; जानें कब हो जाएं सतर्क

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

प्रेग्नेंसी के दौरान जी क्यों मचलाने लगता है, जानें क्या है ये केमिकल लोचा

प्रेग्नेंसी के दौरान जी क्यों मचलाने लगता है, जानें क्या है ये केमिकल लोचा


Nausea During Pregnancy: जब किसी महिला को पता चलता है कि वह मां बनने वाली है, तो वह पल उसके जीवन का सबसे खास होता है. लेकिन इसी खुशी के साथ शुरू होती है कुछ असहज चुनौतियां, जिनमें सबसे आम है जी मचलाना.सुबह-सुबह मुंह का स्वाद कड़वा लगना, पेट में उलझन होना, खाना देखकर घबराहट होना, ये लक्षण प्रेग्नेंसी के पहले तीन महीनों में ज्यादातर महिलाओं को परेशान करते हैं. कई बार तो ये लक्षण पूरे दिन बने रहते हैं. तो सवाल उठता है कि आखिर ये जी मचलाने वाला ‘केमिकल लोचा’ होता क्या है और इसका समाधान क्या है?

इस पर गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. दीप्ति जैन  बताती हैं कि ऐसा होना बिलकुल सामान्य है, लेकिन इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. करीब 70 प्रतिशत महिलाओं को प्रेग्नेंसी के शुरुआती महीनों में जी मचलाने या उल्टी की समस्या होती है. यह हार्मोनल बदलाव के कारण होता है, खासकर एस्ट्रोजन जैसे हार्मोन जब तेजी से बढ़ते हैं. तब ऐसा होने लगता है. ये हार्मोन शरीर को गर्भावस्था के लिए तैयार करते हैं, लेकिन इनके अचानक बढ़ने से पाचन तंत्र पर असर पड़ता है, जिससे जी मचलाता है. 

ये भी पढे़- घोड़े का पेशाब पीने से क्या वाकई छूट जाती है शराब की लत? जान लीजिए क्या है सच

एकसाथ भारी खाना न खाएं 

पूरा पेट भरकर खाना मतली को और बढ़ा सकता है दिनभर में 5 बार थोड़ा-थोड़ा खाएं. सुबह उठते ही कुछ हल्का और ड्राय खाना जैसे बिस्किट लें.

मिर्च-मसाले और तले-भुने खाने से परहेज करें

तेल और मसालों वाला खाना पेट में एसिडिटी और गैस बढ़ा सकता है. उबली हुई या हल्की-फुल्की चीजें खाएं, जैसे मूंग दाल, खिचड़ी या सूप.

अदरक और नींबू का सेवन करें

ये दोनों घरेलू नुस्खे जी मचलाने में बहुत असरदार हैं. अदरक वाली चाय या गुनगुने पानी में नींबू की कुछ बूंदें डालकर पिएं.

पर्याप्त आराम और नींद लें

थकावट भी जी मचलाने को बढ़ा सकती है. इसलिए 7 घंटे की नींद और दिन में थोड़ी देर आराम जरूरी है.

कब डॉक्टर से संपर्क करें?

अगर मतली इतनी ज्यादा हो जाए कि खाना-पीना मुश्किल हो जाए, या शरीर में पानी की कमी महसूस हो तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. यह हाइपरएमेसिस ग्रेविडेरम नामक कंडीशन हो सकती है जो इलाज की मांग करती है.

प्रेग्नेंसी में जी मचलाना एक आम लेकिन असहज अनुभव है।. यह शरीर में चल रहे हार्मोनल बदलाव का हिस्सा है, जिसे सही खानपान, आराम और घरेलू उपायों से काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है.घबराने की बजाय सावधानी अपनाएं और डॉक्टर की राय से सुरक्षित गर्भावस्था का आनंद लें.

ये भी पढ़ें: फैटी लिवर… एक साइलेंट किलर, सिरोसिस से लेकर कैंसर तक का खतरा; जानें कब हो जाएं सतर्क

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

घोड़े का पेशाब पीने से क्या वाकई छूट जाती है शराब की लत? जान लीजिए क्या है सच

घोड़े का पेशाब पीने से क्या वाकई छूट जाती है शराब की लत? जान लीजिए क्या है सच


Horse Urine Cure Alcohol Addiction: सोशल मीडिया की दुनिया में एक नया ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है. घोड़े का पेशाब पीजिए और शराब की लत से छुटकारा पाइए. इस दावे के साथ कुछ वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग यह कहते दिखते हैं कि घोड़े का मूत्र पीने से सालों पुरानी शराब की लत भी छूट जाती है. कुछ लोग इसे आयुर्वेदिक चमत्कार बता रहे हैं, तो कुछ इसे अंधविश्वास का नाम दे रहे हैं.

सवाल यह उठता है कि क्या इस दावे के पीछे कोई वैज्ञानिक आधार है या यह केवल एक भ्रम है, जो लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर सकता है? इस भ्रम को दूर करने के लिए एक इंटरव्यू में डॉक्टर ने बताया कि, घोड़े का पेशाब पीने से शराब की लत छूटने का कोई मेडिकल या साइंटिफिक प्रमाण नहीं है. उल्टा यह सेहत के लिए गंभीर रूप से हानिकारक हो सकता है.

ये भी पढ़े- लड़कियों को जिम में टाइट कपड़े पहनने चाहिए या नहीं? ये गलती पड़ सकती है भारी

इस अफवाह के पीछे क्या है मनोविज्ञान?

जो लोग वर्षों से नशे की गिरफ्त में हैं, वे अक्सर किसी “झटपट इलाज” की तलाश में रहते हैं. ऐसे में जब कोई घरेलू या देसी उपाय वायरल होता है, तो लोग उम्मीद के सहारे बिना सोचे-समझे उसे आज़माते हैं. कई बार नशे से जुड़ी समस्याएं मानसिक स्वास्थ्य से भी जुड़ी होती हैं. केवल कोई एक चीज पी लेने से मानसिक और शारीरिक लत नहीं जाती, इसके लिए साइकोथेरैपी, काउंसलिंग, मेडिकल ट्रीटमेंट और फैमिली सपोर्ट की जरूरत होती है.

घोड़े का मूत्र पीने से क्या हो सकते हैं साइड इफेक्ट्स?

फूड प्वॉइजनिंग और इंफेक्शन का खतरा

पेट दर्द, उल्टी, दस्त और डिहाइड्रेशन

किडनी और लिवर पर गंभीर प्रभाव

इम्यून सिस्टम कमजोर होना

नशा एक गंभीर बीमारी है, जिसका इलाज केवल वैज्ञानिक पद्धति से ही संभव है. अफवाहों या इंटरनेट के अंधे भरोसे से दूर रहना चाहिए और विशेषज्ञों से परामर्श लेना ही सही रास्ता है.

घोड़े का पेशाब पीना शराब की लत छुड़ाने का उपाय नहीं, बल्कि एक खतरनाक भ्रम है. अगर आप या आपके आसपास कोई इस लत से परेशान है, तो डॉक्टर से संपर्क करें, काउंसलिंग लें और संयम से इलाज कराएं. सेहत के साथ कोई भी प्रयोग करने से पहले सोचें, कहीं इलाज के चक्कर में आप और बीमार न हो जाएं.

ये भी पढ़ें: फैटी लिवर… एक साइलेंट किलर, सिरोसिस से लेकर कैंसर तक का खतरा; जानें कब हो जाएं सतर्क

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

लड़कियों को जिम में टाइट कपड़े पहनने चाहिए या नहीं? ये गलती पड़ सकती है भारी

लड़कियों को जिम में टाइट कपड़े पहनने चाहिए या नहीं? ये गलती पड़ सकती है भारी


Gym Wear for Women: आज के दौर में फिट और फाइन दिखना हर लड़की की चाहत होती है. यही वजह है कि महिलाएं भी अब बड़ी संख्या में जिम जॉइन कर रही हैं और अपनी फिटनेस को लेकर पहले से कहीं ज़्यादा जागरूक हो गई हैं. जिम जाते समय स्टाइलिश दिखना भी उनके लिए एक तरह का मोटिवेशन बन गया है. ऐसे में टाइट फिटिंग वर्कआउट आउटफिट्स यानी बॉडी-हगिंग लेगिंग्स, टॉप्स और स्पोर्ट्स ब्रा पहनना एक ट्रेंड बन चुका है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये फैशन कहीं आपकी सेहत पर भारी तो नहीं पड़ रहा? इस पर एक फिटनेस एक्सपर्ट ज्योती ने बताया कि जिम में टाइट कपड़े पहनना आपकी स्किन और हेल्थ दोनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है. 

ये भी पढ़े- किशमिश से शरीर को मिलने वाले फायदे, जान लेंगे तो हर रोज खाएंगे

स्किन इंफेक्शन का खतरा

जिम में शरीर से बहुत ज़्यादा पसीना निकलता है. अगर आपने बहुत टाइट कपड़े पहने हैं तो वह पसीना त्वचा पर लंबे समय तक बना रहता है. इससे बैक्टीरिया और फंगल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है, खासकर अंडरआर्म्स, कमर और थाई एरिया में दिक्कत होती है. 

ब्लड सर्कुलेशन पर असर

टाइट कपड़े शरीर की नसों को दबाते हैं, जिससे ब्लड सर्कुलेशन प्रभावित हो सकता है. लंबे समय तक ऐसे कपड़े पहनने से पैरों में सुन्नपन, ऐंठन या थकान जैसी समस्या हो सकती है. 

पसीना सूखने में दिक्कत

टाइट कपड़े पसीने को सोखने में सक्षम नहीं होते या हवा को पास नहीं होने देते. इससे शरीर ठंडा नहीं हो पाता और ओवरहीटिंग की समस्या हो सकती है, जो वर्कआउट के दौरान थकान या चक्कर आने का कारण बन सकती है. 

त्वचा पर रैशेज और एलर्जी

कुछ सिंथेटिक और टाइट फिटिंग कपड़े पसीने के साथ मिलकर त्वचा पर रैशेज और एलर्जी का कारण बन सकते हैं. कई बार इससे पिगमेंटेशन भी हो सकता है. 

फिटनेस एक्सपर्ट की सलाह

फिटनेस एक्सपर्ट ज्योती बताती हैं कि वर्कआउट के लिए ऐसे कपड़े चुनने चाहिए जो स्किन-फ्रेंडली, थोड़े लूज फिटिंग हों, ताकि शरीर को आराम मिले और त्वचा खुलकर सांस ले सके. 

क्या पहनना है सही?

कॉटन और ड्राई-फिट फैब्रिक वाले कपड़े चुनें

थोड़े लूज़ फिटिंग कपड़े पहनें जो मूवमेंट में बाधा न डालें

पसीना सोखने वाले और हवा पास करने वाले फैब्रिक का चुनाव करें

वर्कआउट के बाद कपड़े तुरंत बदलें

ये भी पढ़ें: फैटी लिवर… एक साइलेंट किलर, सिरोसिस से लेकर कैंसर तक का खतरा; जानें कब हो जाएं सतर्क

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

किशमिश से शरीर को मिलने वाले फायदे, जान लेंगे तो हर रोज खाएंगे

किशमिश से शरीर को मिलने वाले फायदे, जान लेंगे तो हर रोज खाएंगे


Benefits of Raisins: बचपन में दादी की मुट्ठी से जब-जब कुछ मीठा खाने को मिला, उसमें अक्सर किशमिश भी होती थी. नन्हे हाथों से उठाकर उसे मुंह में डालना जितना स्वादिष्ट लगता था, उतना ही अनजाने में वह सेहत के लिए भी फायदेमंद था. किशमिश यानी सूखे अंगूर, जो दिखने में छोटे होते हैं, लेकिन इनमें छिपे होते हैं बड़े-बड़े पोषक तत्व.

आयुर्वेद से लेकर आधुनिक विज्ञान तक किशमिश को सुपरफूड माना गया है. अगर आप इसके फायदों को जान लेंगे, तो शायद आप भी रोज सुबह एक मुट्ठी किशमिश खाने की आदत डाल लेंगे. 

ये भी पढ़े- कॉफी और घी का कॉम्बिनेशन है बेस्ट, लगातार 3 महीने तक पीने से मिलेंगे जबरदस्त फायदे

पाचन को बेहतर बनाती है

किशमिश में घुलनशील फाइबर पाया जाता है, जो कब्ज की समस्या को दूर करता है और पाचन क्रिया को दुरुस्त बनाता है. भीगी हुई किशमिश सुबह खाली पेट खाने से पेट साफ रहता है.

खून की कमी करे दूर

अगर आपको एनीमिया यानी खून की कमी है, तो किशमिश आपके लिए दवा से कम नहीं. इसमें आयरन और कॉपर भरपूर होता है जो रेड ब्लड सेल्स बनाने में मदद करता है.

हड्डियों को बनाती है मजबूत

किशमिश में कैल्शियम होता है, जो हड्डियों को मजबूत करता है. खासतौर पर महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह बेहद लाभकारी है.

दिल को रखे हेल्दी

किशमिश में मौजूद पोटैशियम और फाइबर, कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में मदद करता है. इससे हार्ट अटैक और ब्लड प्रेशर की संभावना कम होती है.

स्किन और बालों को बनाए खूबसूरत

किशमिश में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C त्वचा को ग्लोइंग बनाते हैं और बालों को गिरने से रोकते हैं. रोजाना किशमिश खाने से समय से पहले झुर्रियां नहीं आतीं.

एनर्जी का बेहतरीन स्रोत

अगर आप दिनभर थकान महसूस करते हैं, तो सुबह भीगी हुई किशमिश खाना शुरू करें। इसमें नेचुरल शुगर होती है, जो शरीर को ताजगी और ऊर्जा देती है।

कैसे और कब खाएं किशमिश?

रात को एक मुट्ठी किशमिश पानी में भिगो दें और सुबह खाली पेट खाएं. यह तरीका शरीर में पोषक तत्वों को अच्छे से अवशोषित करने में मदद करता है.

छोटे दिखने वाले ये सूखे अंगूर सेहत के लिए किसी वरदान से कम नहीं. अगर आप चाहते हैं कि आपका पाचन सही रहे, त्वचा दमके और शरीर में एनर्जी बनी रहे तो किशमिश को अपनी रोजमर्रा की डाइट में जरूर शामिल करें.

ये भी पढ़ें: फैटी लिवर… एक साइलेंट किलर, सिरोसिस से लेकर कैंसर तक का खतरा; जानें कब हो जाएं सतर्क

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link

क्या आपके पैर भी दे रहे हैं कोलेस्ट्रॉल का इशारा? जानें लक्षण

क्या आपके पैर भी दे रहे हैं कोलेस्ट्रॉल का इशारा? जानें लक्षण


Cholesterol Symptoms in Legs: सुबह की सैर पर निकले तो पैरों में भारीपन और हल्का दर्द महसूस होने लगा, सोचा कि इसे उम्र का तकाजा समझकर नजरअंदाज कर दिया जाए. लेकिन जब चलने में तकलीफ बढ़ने लगी और पैरों की त्वचा भी कुछ बदली-बदली सी दिखने लगी, तब जाकर डॉक्टर से मिले. जांच में जो सामने आया, वह चौंकाने वाला था. यानी कोलेस्ट्रॉल की समस्या होने लगी थी और उसके लक्षण पैरों में साफ नजर आ रहे थे. जी हां, कोलेस्ट्रॉल सिर्फ दिल की बीमारी या वजन बढ़ने की वजह नहीं है, बल्कि इसके संकेत आपके पैरों में भी छिपे हो सकते हैं. 

ये भी पढ़े- आंखों से पहचानें फैटी लिवर के लक्षण, समय रहते हो जाएं सतर्क

पैरों में बार-बार दर्द या ऐंठन 

अगर आपको चलने के दौरान या रात के समय पैरों में दर्द, भारीपन या ऐंठन महसूस होती है, तो यह खराब ब्लड सर्कुलेशन का संकेत हो सकता है, जो कोलेस्ट्रॉल के कारण धमनियों में रुकावट के चलते होता है.

पैरों की त्वचा का रंग बदलना

कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त का प्रवाह बाधित होता है, जिससे पैरों की त्वचा नीली, फीकी या बैंगनी रंग की दिख सकती है. त्वचा ठंडी महसूस होती है, और कभी-कभी छूने पर दर्द भी होता है.

घाव या कट जल्दी न भरना

अगर आपके पैरों में कोई छोटा सा घाव भी लंबे समय तक ठीक नहीं हो रहा है, तो यह खराब रक्त प्रवाह और ऑक्सीजन की कमी का नतीजा हो सकता है. यह स्थिति परिफेरल आर्टरी डिजीज की ओर इशारा करती है, जो उच्च कोलेस्ट्रॉल की वजह से हो सकती है.

पैरों के नाखून और बालों में बदलाव

पैरों के नाखून धीमी गति से बढ़ना या बालों का गिरना और उगना बंद हो जाना भी एक संकेत हो सकता है कि पैरों में रक्त संचार ठीक से नहीं हो रहा है.

पैरों में झुनझुनाहट या सुन्नपन

पैरों में बार-बार सुन्नपन या झुनझुनाहट होना नसों पर दबाव और ऑक्सीजन की कमी को दर्शाता है, जिसका कारण धमनियों में जमी चर्बी हो सकती है.

ऐसे लक्षण दिखने पर क्या करें 

यदि आपके पैरों में इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई दें, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लें और लिपिड प्रोफाइल टेस्ट करवाएं. साथ ही जीवनशैली में बदलाव लाएं, स्वस्थ आहार लें, नियमित व्यायाम करें और धूम्रपान से दूर रहें.

ये भी पढ़ें: हर घंटे 100 लोगों की जान ले रहा अकेलापन, जानें यह बीमारी कितनी खतरनाक और लोगों को कैसे बनाती है अपना शिकार?

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

Check out below Health Tools-
Calculate Your Body Mass Index ( BMI )

Calculate The Age Through Age Calculator



Source link