घर में अकेले हैं और आ गया हार्ट अटैक? सबसे पहले करें ये काम

घर में अकेले हैं और आ गया हार्ट अटैक? सबसे पहले करें ये काम



What to do During Heart Attack: दिल की बीमारी रोग आज भी दुनिया में मौत का सबसे बड़ा कारण बना हुआ है. साल 2022 में करीब 2 करोड़ लोगों की मौत हार्ट से संबंधित बीमारियों के कारण हुई, जिनमें ज्यादातर हार्ट अटैक और स्ट्रोक से थीं. अमेरिका जैसे विकसित देश में भी हर साल लाखों लोग हृदय रोग से जान गंवाते हैं. ये आंकड़े दिखाते हैं कि हार्ट अटैक कितना आम है और समय पर कार्रवाई करना क्यों जरूरी है. हाल ही में डॉ. क्रिस्टाबेल अकिनोला ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति का जिक्र किया जिसने हार्ट अटैक के लक्षण पहचानकर तुरंत सही कदम उठाए और अपनी जान बचाई. डॉक्टर ने बताया कि उस व्यक्ति ने क्या किया जिससे उसकी जान बची और क्यों ये कदम जरूरी हैं.

अचानक हार्ट अटैक आने पर क्या करना चाहिए?

सबसे पहले इमरजेंसी सेवा को कॉल करें. अगर आपको हार्ट अटैक के लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो तुरंत इमरजेंसी सेवा को कॉल करें और डिस्पैचर को बताएं कि आप इस स्थिति में हैं. फोन को स्पीकर पर रखें ताकि आपके दोनों हाथ फ्री रहें और गाइडेंस का पालन कर सकें. अपनी लोकेशन, एलर्जी और दवाओं की जानकारी स्पष्ट रूप से बताएं. खुद गाड़ी चलाकर अस्पताल जाने की कोशिश न करें, एंबुलेंस को आने दें ताकि इलाज तुरंत शुरू किया जा सके.

 

अगर आप होश में हैं और एस्पिरिन से एलर्जी नहीं है, तो एक नॉन-कोटेड एस्पिरिन (लगभग 300 mg) चबाकर लें. इसे चबाने से दवा जल्दी असर करती है. कई स्टजी में पाया गया है कि हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षणों के बाद तुरंत एस्पिरिन लेने से मौत का खतरा करीब 25 प्रतिशत तक घटता है.

क्या कहा एक्सपर्ट ने?

डॉ. अकिनोला ने सोशल मीडिया पर वायरल कफ सीपीआर गहरी सांस लेकर जोर से खांसना को लेकर भी चेतावनी दी. उन्होंने कहा कि यह तकनीक केवल मेडिकल मॉनिटरिंग के दौरान ही कुछ मामलों में उपयोगी हो सकती है, लेकिन घर पर अकेले इसका इस्तेमाल खतरनाक हो सकता है. हार्ट अटैक के लक्षण महसूस होने पर खुद से ऐसे प्रयोग न करें, बल्कि तुरंत मदद मांगें. अगर आपको चक्कर या कमजोरी महसूस हो रही है, तो लेट जाएं और पैरों को हल्का ऊपर उठाकर किसी सपोर्ट पर रखें. इससे ब्लड फ्लो बेहतर होता है और थोड़ी राहत मिल सकती है, हालांकि यह इलाज नहीं बल्कि एक अस्थायी सहारा है.

इस दौरान खुद को शांत रखने की कोशिश करें. डर और घबराहट से हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है. गहरी सांस लें, बैठ जाएं या लेट जाएं, कपड़े ढीले करें और किसी से बात करें इससे दिल पर दबाव कम होगा. अगर आप घर में अकेले रहते हैं, तो पहले से कुछ तैयारियां कर लें. फोन हमेशा पास रखें, दरवाजा अंदर से ऐसे बंद करें कि जरूरत पड़ने पर लोग जल्दी पहुंच सकें, और दवाओं व एलर्जी की लिस्ट पास में रखें ताकि डॉक्टरों को जानकारी मिल सके.

सबसे जरूरी चीजें

हार्ट अटैक के वक्त शुरुआती 10 मिनट सबसे अहम होते हैं. अगर आप अकेले हैं और सही समय पर ये कदम उठाते हैं, तो आपकी जान बचने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. समय पर की गई कार्रवाई ही सबसे बड़ा इलाज है.

इसे भी पढ़ें: नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं कुछ लोग, इसका सेहत पर क्या पड़ता है असर?

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में इलाज का कितना खर्चा आता है? एक्टर धर्मेंद्र यहीं हैं एडमिट

ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में इलाज का कितना खर्चा आता है? एक्टर धर्मेंद्र यहीं हैं एडमिट



Actor Dharmendra Health Update: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र को मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भर्ती उनके हालिया हेल्थ चेकअप के एक हफ्ते बाद हुई है, जिसके बाद फैंस के बीच उनकी सेहत को लेकर चिंता बढ़ गई थी. हालांकि कुछ दिन पहले उनकी पत्नी और अभिनेत्री हेमा मालिनी ने मीडिया को भरोसा दिलाया था कि धर्मेंद्र बिल्कुल ठीक हैं.  फिलहाल उनकी सेहत से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है और परिवार की ओर से भी कोई बयान जारी नहीं किया गया है. 

हेमा मालिनी ने कहा था सेहत ठीक है

HT की रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले, जब धर्मेंद्र अस्पताल पहुंचे थे तो उनकी पत्नी हेमा मालिनी से रिपोर्टर्स ने उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा था. उस वक्त फैंस यह सोचकर परेशान थे कि कहीं अभिनेता की तबीयत बिगड़ न गई हो. एयरपोर्ट पर जब फोटोग्राफर्स ने उनसे पूछा, “सर कैसे हैं?’, तो हेमा मालिनी ने मुस्कुराते हुए हाथ के इशारे से बताया कि वे “ठीक” हैं. उन्होंने कैमरे की तरफ हाथ जोड़कर सभी फैंस को धन्यवाद भी दिया था.

मेडिकल टेस्ट कराने का फैसला

मीडिया रिपोर्ट्स  के मुताबिक, धर्मेंद्र ने एक बार में अपने सभी जरूरी मेडिकल टेस्ट पूरे करने का फैसला लिया, ताकि उन्हें बार-बार अस्पताल न आना पड़े. उनकी उम्र को देखते हुए डॉक्टरों ने सलाह दी थी कि बार-बार ट्रैवल करने की बजाय, एक ही बार में पूरी जांच पूरी की जाए, ताकि थकान और असुविधा से बचा जा सके. धर्मेंद्र की हालत को लेकर फिलहाल कोई चिंता की बात नहीं है, लेकिन उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए डॉक्टरों की टीम लगातार निगरानी में है. उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के साथी कलाकार लगातार कर रहे हैं.

कितना लगता है कैंडी अस्पताल का चार्ज?

ब्रीच कैंडी अस्पताल साउथ मुंबई का एक जाना-माना प्राइवेट अस्पताल है, जहां कई दिग्गज सितारे और उद्योगपति इलाज के लिए आते हैं. यह अस्पताल अपनी हाई-क्लास मेडिकल सर्विस और प्रीमियम सुविधाओं के लिए जाना जाता है. अगर यहां इलाज के खर्च की बात करें तो यह मुंबई के सबसे महंगे अस्पतालों में से एक माना जाता है. अस्पताल की वेबसाइट पर जारी आधिकारिक रूम टैरिफ लिस्ट के अनुसार, यहां एक दिन का खर्च रूम टाइप के अनुसार तय होता है.

  • Suite A: 31,900 रुपये प्रतिदिन
  • Suite B: 20,600 रुपये प्रतिदिन
  • Executive Room: 15,500 से 16,000 रुपये प्रतिदिन
  • Deluxe Room: 11,000 से 12,100 रुपये प्रतिदिन
  • Single Room: 7,200 से 10,400 रुपये प्रतिदिन
  • Four-Sharing Room: 3,100 रुपये प्रतिदिन
  • ICU/HDU: 9,700 से  14,000 रुपये प्रतिदिन

रिपोर्ट्स के अनुसार, धर्मेंद्र को ICU वॉर्ड में रखा गया है, जहां 24 घंटे मेडिकल निगरानी रहती है. हालांकि अस्पताल की ओर से धर्मेंद्र के इलाज या बिल से जुड़ी कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है. फिलहाल, डॉक्टरों की टीम उनकी स्थिति पर लगातार नजर रख रही है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में इलाज का कितना खर्चा आता है? एक्टर धर्मेंद्र यहीं हैं एडमिट

मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में इलाज कराना कितना महंगा? यहीं एडमिट हैं एक्टर धर्मेंद्र



Actor Dharmendra: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का इलाज मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में चल रहा है. बताया जा रहा है कि उन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही थी, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई.  धर्मेंद्र की नाजुक हालत को देखते हुए फैंस उनके लिए दुआएं कर रहे हैं. हर कोई सोशल मीडिया पर उनके ठीक होने की प्रार्थना कर रहा है.

अचानक बिगड़ गई धर्मेंद्र की तबीयत

जानकारी के मुताबिक, जब धर्मेंद्र अस्पताल पहुंचे थे तो हेमा मालिनी से उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछा गया था. उस दौरान हेमा मालिनी ने हाथ के इशारे से धर्मेंद्र के ठीक होने की जानकारी दी थी. हालांकि, इसके बाद उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई, जिसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. 

कितना लगता है कैंडी अस्पताल का चार्ज?

ब्रीच कैंडी अस्पताल साउथ मुंबई का एक जाना-माना प्राइवेट अस्पताल है, जहां कई दिग्गज सितारे और उद्योगपति इलाज के लिए आते हैं. यह अस्पताल अपनी हाई-क्लास मेडिकल सर्विस और प्रीमियम सुविधाओं के लिए जाना जाता है. अगर यहां इलाज के खर्च की बात करें तो यह मुंबई के सबसे महंगे अस्पतालों में से एक माना जाता है. अस्पताल की वेबसाइट पर जारी आधिकारिक रूम टैरिफ लिस्ट के अनुसार, यहां एक दिन का खर्च रूम टाइप के अनुसार तय होता है.

  • Suite A: 31,900 रुपये प्रतिदिन
  • Suite B: 20,600 रुपये प्रतिदिन
  • Executive Room: 15,500 से 16,000 रुपये प्रतिदिन
  • Deluxe Room: 11,000 से 12,100 रुपये प्रतिदिन
  • Single Room: 7,200 से 10,400 रुपये प्रतिदिन
  • Four-Sharing Room: 3,100 रुपये प्रतिदिन
  • ICU/HDU: 9,700 से  14,000 रुपये प्रतिदिन

रिपोर्ट्स के अनुसार, धर्मेंद्र को ICU वॉर्ड में रखा गया है, जहां 24 घंटे मेडिकल निगरानी रहती है. फिलहाल, डॉक्टरों की टीम ज्यादा जानकारी साझा नहीं कर रही है.

इसे भी पढ़ें: नाक के बजाय मुंह से सांस क्यों लेते हैं कुछ लोग, इसका सेहत पर क्या पड़ता है असर?

Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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हार्ट का आपके ब्रेन से होता है सीधा कनेक्शन, कमजोर हुआ दिल तो होने लगेगी यह दिक्कत

हार्ट का आपके ब्रेन से होता है सीधा कनेक्शन, कमजोर हुआ दिल तो होने लगेगी यह दिक्कत



How the Brain Controls the Heartbeat: दिल और दिमाग इंसान के शरीर के दो सबसे महत्वपूर्ण अंग हैं. हम सब जानते हैं कि दिमाग सोचने का काम करता है और दिल खून पंप करने का, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन दोनों के बीच गहरा रिश्ता है? आपका दिल और दिमाग एक-दूसरे से सीधा जुड़ा हुआ है. और जब दिल कमजोर पड़ता है, तो इसका असर सीधा आपके सोचने, याद रखने और समझने की क्षमता पर पड़ता है. चलिए आपको बताते हैं कि कैसे दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए हैं.

दिल और दिमाग का कम्युनिकेशन सिस्टम

ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के अनुसार, जब आप दौड़ने या किसी शारीरिक गतिविधि में शामिल होते हैं, तो आपका दिमाग आपके दिल को सिग्नल भेजता है कि उसे तेज़ी से धड़कना है, ताकि शरीर को ज्यादा ऑक्सीजन और ऊर्जा मिल सके. यह प्रक्रिया आपके ऑटोमैटिक नर्वस सिस्टम के ज़रिए होती है, यानी शरीर का वो हिस्सा जो बिना सोचे-समझे सांस लेने, पसीना आने और दिल की धड़कन को नियंत्रित करता है. इस सिस्टम का एक अहम हिस्सा है वेगस नर्व, जो गर्दन के दोनों ओर से गुजरती है. यह नस दिमाग और दिल के बीच मैसेंजर का काम करती है. दिमाग को बताती है कि दिल कितना काम कर रहा है, और दिल को आदेश देती है कि कब तेज या धीमा धड़कना है.

एक्सरसाइज से बढ़ता है ब्रेन हार्ट कनेक्शन

रिसर्च से पता चला है कि जो लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, उनका दिमाग और दिल के बीच का तालमेल ज्यादा प्रभावी होता है. जब हम फिट रहते हैं, तो हमारा ऑटोमैटिक नर्वस सिस्टम बेहतर काम करता है. दिमाग और दिल के बीच कम्युनिकेशन तेज रहता है. लेकिन जब दिल बीमार होता है या हार्ट डिजीज होती है, तो यही सिस्टम सुस्त पड़ जाता है, जिससे दिल को शरीर की जरूरतों का जवाब देने में दिक्कत होती है.

कमजोर दिल का असर दिमाग पर

दिल सिर्फ खून नहीं पंप करता, बल्कि दिमाग को ऑक्सीजन और ग्लूकोज भी पहुंचाता है. जब दिल की पंपिंग कमजोर हो जाती है, तो दिमाग तक पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं पहुंचती. इससे व्यक्ति की याददाश्त, सोचने और निर्णय लेने की क्षमता घटने लगती है. लंबे समय तक हार्ट फेल्योर वाले मरीजों में अक्सर ध्यान की कमी, थकान और ब्रेन फॉग जैसी समस्या देखने को मिलती है.

स्ट्रेस और ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम

अत्यधिक इमोश्नल या मानसिक तनाव भी दिल पर असर डाल सकता है. इसे ब्रोकन हार्ट सिंड्रोम कहा जाता है. इस स्थिति में व्यक्ति को अचानक सीने में दर्द या सांस लेने में दिक्कत होती है, जो हार्ट अटैक जैसी लगती है. दरअसल यह तनाव के कारण दिल की पंपिंग में अस्थायी गड़बड़ी होती है. मेयो क्लिनिक की रिसर्च बताती है कि एक नई तकनीक मेग्नेटोकार्डियोग्राफी से इस सिंड्रोम की पहचान अब पहले से ज्यादा आसानी से हो सकती है.

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खून से सारी गंदगी निकालकर बाहर कर देती हैं ये चीजें, आज ही अपनी डाइट में करें शामिल

खून से सारी गंदगी निकालकर बाहर कर देती हैं ये चीजें, आज ही अपनी डाइट में करें शामिल



 How to Clean Blood: खून की सफाई करना शरीर से टॉक्सिन्स यानी जहरीले तत्वों को निकालने का सबसे नेचुरल और असरदार तरीका है. साफ खून न सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखता है, बल्कि बीमारियों को दूर भी करता है. खून शरीर की हर सेल्स तक ऑक्सीजन और पोषक तत्व पहुंचाता है और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालता है. इसलिए शरीर को दुरुस्त रखने के लिए खून का शुद्ध होना बेहद जरूरी है. चलिए आपको बताते हैं कि किन फूड्स को अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए, जो आपके ब्लड को साफ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं.

लहसुन

कच्चा लहसुन खून की सफाई करने का सबसे आसान और कारगर उपाय है. इसमें पाया जाने वाला एलिसिन एक सल्फर युक्त तत्व है जो लहसुन को कुचलने या काटने के बाद एक्टिव होता है. यह लिवर को टॉक्सिन्स से बचाता है और खून को शुद्ध करने में मदद करता है. लहसुन में एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो आंतों को बैक्टीरिया, परजीवी और वायरस से मुक्त रखते हैं. रोजमर्रा के खाने में लहसुन शामिल करें, चाहे टोस्ट पर लगाएं या सब्ज़ियों में डालें.

धनिया पत्ता

धनिया शरीर से पारा और अन्य भारी धातुओं को बाहर निकालने में मदद करता है, जो दूषित हवा या खाने के जरिए खून में पहुंच जाती हैं. हरी पत्तेदार सब्जियों में मौजूद क्लोरोफिल खून को साफ करने में मदद करता है. रिसर्च बताती है कि क्रूसीफेरस सब्ज़ियां जैसे ब्रोकोली, पत्तागोभी में मौजूद सल्फर यौगिक खून को डिटॉक्स करते हैं और सूजन घटाते हैं.

चुकंदर

चुकंदर में मौजूद प्राकृतिक तत्व लिवर को स्वस्थ रखते हैं और खून की सफाई करते हैं. जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन के अनुसार, चुकंदर लिवर को नुकसान से बचाता है और डिटॉक्सिफिकेशन प्रक्रिया को तेज करता है. इसे सलाद, जूस या स्मूदी में शामिल करें. शरीर हल्का और ऊर्जावान महसूस करेगा.

हल्दी

गोल्डन स्पाइस कहलाने वाली हल्दी में कर्क्यूमिन नामक यौगिक होता है जो शरीर से जहरीले पदार्थों को बाहर निकालने में बेहद असरदार है. यह खून को शुद्ध करने वाले एंजाइम्स को सक्रिय करता है. रोजाना हल्दी वाला दूध या हल्दी की चाय पीना बेहद फायदेमंद रहता है. अगर चाय बना रहे हों तो उसमें ज़रा-सा काली मिर्च डालें. यह हल्दी के फायदों को कई गुना बढ़ा देती है.

लाल मिर्च 

कैयेने पेपर में मौजूद कैप्सेसिन खून से टॉक्सिन्स निकालने में मदद करता है. यही तत्व लाल मिर्च को तीखापन देता है. जर्नल ऑफ मॉलिक्यूलर एंड सेल्युलर बायोकैमिस्ट्री में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, कैप्सेसिन कुछ कैंसर को बढ़ाने वाले तत्वों को भी नष्ट करने में सक्षम है.

नींबू

खाली पेट नींबू पानी पीना खून की सफाई और लिवर को डिटॉक्स करने का एक शानदार तरीका है. एक्सपर्ट के अनुसार, नींबू लिवर में ऐसे एंजाइम्स बनाता है जो किसी भी अन्य भोजन की तुलना में ज़्यादा प्रभावी ढंग से काम करते हैं. नींबू में मौजूद विटामिन C शरीर में ग्लूटाथायोन नामक प्रोटीन के निर्माण को बढ़ाता है, जो लिवर को साफ करने में मदद करता है.

पानी

जीवन का सबसे अहम तत्व पानी. शरीर को टॉक्सिन्स से मुक्त रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में पानी पीना जरूरी है. पानी खून का पीएच संतुलित रखता है, उसकी गाढ़ापन (विस्कोसिटी) बनाए रखता है और किडनी को गंदे पदार्थों को छानने में मदद करता है. दिन में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी जरूर पिएं, ताकि शरीर के सारे जहरीले तत्व आसानी से बाहर निकल सकें.

यह भी पढ़ें मां बनने का सपना तोड़ सकता है तेजी से बढ़ रहा बेली फैट, जानें इस पर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

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बाहर का खाना खाते वक्त ओवरईटिंग से कैसे बचें, न्यूट्रिशनिस्ट ने बताए 8 असरदार टिप्स

बाहर का खाना खाते वक्त ओवरईटिंग से कैसे बचें, न्यूट्रिशनिस्ट ने बताए 8 असरदार टिप्स



अगर आप डाइट पर हैं या हेल्दी खाना खाने की कोशिश कर रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं है कि आप बाहर नहीं खा सकते हैं. बाहर खाना खाते समय ओवरईटिंग होना आम बात है. क्योंकि रेस्टोरेंट में मिलने वाला टेस्टी लेकिन हाई कैलोरी वाला फूड लोगों को अच्छा लगता है. हालांकि आप कुछ स्मार्ट टिप्स अपनाकर बाहर भी हेल्दी खाना खा सकते हैं. ऐसे में चलिए आज हम आपको बताते हैं कि बाहर खाना खाते वक्त ओवरईटिंग से आप कैसे बच सकते हैं और इसके लिए न्यूट्रिशन्स क्या टिप्स देते हैं. 

1. हेल्दी डिश चुनें

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि फ्राइड, क्रिस्पी या क्रीमी डिश की बजाय आप ग्रिल्ड, बेक्ड, स्टीम या बोइल्ड डिश चुनें. दरअसल, कुकिंग स्टाइल से उसकी कैलोरी का अंदाजा लगाया जा सकता है. ग्रिल्ड या स्टीम्ड फूड में तेल कम इस्तेमाल होता है, जबकि फ्राइड या क्रीमी फूड में फैट ज्यादा होता है. ऐसे में रेस्टोरेंट जैसी जगह पर आप फ्राइड फूड की बजाय ग्रिल्ड या बेक्ड फूड चुनना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. 

2. ड्रिंक को स्किप करें 

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जब भी आप रेस्टोरेंट में खाने जाएं तो ओवरईटिंग से बचने के लिए आप खाने के साथ ड्रिंक की जगह सिर्फ पानी लें. बाहर खाते समय कोल्ड ड्रिंक या जूस का आर्डर देना आम बात होती है, लेकिन इससे एक्स्ट्रा कैलोरी बढ़ जाती है. इसलिए ड्रिंक की जगह पानी सही ऑप्शन होता है. 

3. साइड में हेल्दी ऑप्शन रखें 

एक्सपर्ट बताते हैं कि आप रेस्टोरेंट में फ्राइज या चिप्स की जगह वेजिटेबल्स या सलाद लें. ज्यादातर डिश के साथ हाई कैलोरी साइड्स आती है, जिन्हें आप हेल्दी ऑप्शन में भी बदल सकते हैं. 

4. प्रोटीन बेस्ड डिश चुनें 

एक्सपर्ट्स के अनुसार, खाने का मुख्य हिस्सा प्रोटीन पर आधारित होना चाहिए. ऐसे में आप चिकन, टर्की या फिश जैसे प्रोटीन से भरपूर फूड ले सकते हैं. यह फूड न सिर्फ पेट भरते हैं, बल्कि लंबे समय तक एनर्जी भी देते हैं. 

5. सॉस और ड्रेसिंग से बचें 

बाहर खाते समय सॉस या ड्रेसिंग भले ही आपके खाने का टेस्ट बढ़ाते हो, लेकिन इनमें शुगर और फैट की मात्रा बहुत ज्यादा होती है. इसलिए इन्हें साइड्स में भी ऑर्डर करने से बचें. 

7. पोर्शन कंट्रोल रखें

रेस्टोरेंट में परोसे जाने वाले खाने की मात्रा आमतौर पर ज्यादा होती है. ऐसे में आधा हिस्सा बाद में खाने के लिए बचा कर रखें या किसी के साथ शेयर करें. इस टेक्निक से भी आप ओवरईटिंग से भी बच सकते हैं. 

8. धीरे-धीरे खाएं

एक्सपर्ट्स कहते हैं कि आप बाहर धीरे-धीरे और ध्यान से खाने की कोशिश करें. खाने की स्पीड को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है, ताकि आपका शरीर समय पर सिग्नल दें सके कि पेट भर चुका है. इससे न सिर्फ पाचन सुधरता है बल्कि ओवरईटिंग से भी बचाव होता है.

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