आंखों में दिखें ये 5 चीजें तो समझ जाएं खतरे में आ गई आपकी किडनी, तुरंत भागें डॉक्टर के पास

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14 दिन तक ऑयल पुलिंग का कमाल, जानिए सही तरीका और तेल

14 दिन तक ऑयल पुलिंग का कमाल, जानिए सही तरीका और तेल


आज के समय में ओरल हेल्थ यानी मुंह की साफ-सफाई और केयर बहुत जरूरी हो गई है. हर किसी की समाइल ही उसकी पहचान बनती है, लेकिन अगर दांत पीले हों या मुंह से बदबू आए, तो यही समाइल काफी खराब फील भी कर देती है, हालांकि लोग अपनी समाइल को ब्राइट और सुंदर बनाए रखने के लिए कई तरह की कोशिश करते हैं जैसे डेंटल ट्रीटमेंट, महंगे टूथपेस्ट, माउथवॉश और कई प्रोडक्ट, लेकिन मार्केट में मिलने वाले महंगे टूथपेस्ट और माउथवॉश भी हमेशा असरदार नहीं होते ऐसे में अगर आप कुछ नेचुरल और असरदार उपाय ढूंढ रहे हैं, तो आपके लिए एक बहुत ही कारगर घरेलू तरीका ऑयल पुलिंग है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर आप सिर्फ 14 दिन तक रोज सुबह इस उपाय को अपनाते हैं, तो मुंह से जुड़ी कई परेशानियों से राहत मिल सकती है. तो चलिए जानते हैं कि 14 दिन तक ऑयल पुलिंग करने का क्या फायदा है और इसका सही तरीका और तेल क्या है.

क्या है 14 दिन तक ऑयल पुलिंग करने का फायदा?

ऑयल पुलिंग एक आयुर्वेदिक तरीका है जिससे आप रोज सुबह खाली पेट मुंह में तेल भरकर कुल्ला करते हैं. यह तेल धीरे-धीरे मुंह के अंदर घुमाया जाता है ताकि वह बैक्टीरिया और गंदगी को बाहर निकाल सके. ये एक नेचुरल डिटॉक्सिंग प्रोसेस है जो न सिर्फ मुंह बल्कि पूरे शरीर को हेल्दी बनाने में मदद करता है. ऑयल पुलिंग करने के कई फायदे भी हैं जैसे 

1. मुंह की बदबू होगी दूर – ऑयल पुलिंग करने से तेल में पाए जाने वाले एंटी-बैक्टीरियल गुण मुंह के बैक्टीरिया को खत्म करते हैं, जिससे सांसों में ताजगी आती है और मुंह से बदबू नहीं आती है. 

2. पूरी बॉडी पर अच्छा असर –  ऑयल पुलिंग सिर्फ दांतों के लिए ही नहीं, बल्कि यह पूरे शरीर की सेहत पर भी अच्छा असर डालता है क्योंकि यह शरीर से टॉक्सिन को बाहर निकालने में मदद करता है.

3. दांत बनते हैं सफेद और चमकदार – ऑयल पुलिंग करने से तेल मुंह में मौजूद गंदगी और बैक्टीरिया को बाहर निकालता है. इससे दांतों का पीलापन धीरे-धीरे कम होने लगता है और वे ज्यादा साफ और चमकदार दिखते हैं.

4. मसूड़ों से खून आना बंद – ऑयल पुलिंग करने से मसूड़ों की सूजन कम होती है और उनमें ब्लड सर्कुलेशन अच्छा होता है. इससे मसूड़े मजबूत बनते हैं और उनसे खून आना रुक जाता है.

5. दांतों के दर्द में राहत – अगर आपको दांतों में अक्सर दर्द या सेंसिटिविटी की शिकायत रहती है, तो ऑयल पुलिंग इसमें भी मदद करता है. यह नेचुरल पेन रिलीवर की तरह काम करता है.

कौन-सा तेल है सबसे बेहतर?

ऑयल पुलिंग करने के लिए नारियल तेल को सबसे अच्छा माना जाता है. इसमें लॉरिक एसिड होता है जो कि एक बेहतरीन एंटीबैक्टीरियल और एंटीफंगल एजेंट है. अगर आपके पास नारियल तेल नहीं है तो तिल का तेल या सूरजमुखी का तेल भी यूज कर सकते हैं.  नारियल तेल से ऑयल पुलिंग करने के लिए को सुबह उठकर खाली पेट 1 चम्मच नारियल तेल मुंह में डालें. अब इसे 10-15 मिनट तक मुंह में धीरे-धीरे घुमाएं, बिलकुल ऐसे जैसे कुल्ला कर रहे हों,इसके बाद तेल को थूक दें फिर मुंह को हल्के गर्म पानी से अच्छे से साफ करें.

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भारत के किस राज्य में फाइलेरिया के सबसे ज्यादा मरीज, किस वजह से होती है यह बीमारी?

भारत के किस राज्य में फाइलेरिया के सबसे ज्यादा मरीज, किस वजह से होती है यह बीमारी?


मेडिकल फील्ड में भारत लगातार कामयाबी हासिल कर रहा है, लेकिन एक बीमारी ऐसी भी है, जिससे देश के लाखों लोग प्रभावित हैं. मच्छरों के काटने से फैलने वाली इस बीमारी से शरीर में बेतहाशा सूजन आ जाती है. खासतौर पर हाथ-पैरों और जननांगों में ज्यादा सूजन आती है, जिसके चलते इस बीमारी को आम भाषा में हाथीपांव भी कहते हैं. भारत के किस राज्य में इस बीमारी के सबसे ज्यादा मरीज हैं और यह बीमारी कितनी खतरनाक है, जानते हैं इस रिपोर्ट में?

इन इलाकों में सबसे ज्यादा होती है यह बीमारी

भारत के उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में फाइलेरिया के मरीज काफी ज्यादा मिलते हैं, क्योंकि गर्म और आर्द्र जलवायु मच्छरों के पनपने के लिए अनुकूल होती है. स्वास्थ्य मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के उत्तर प्रदेश में फाइलेरिया के सबसे ज्यादा मरीज हैं. उत्तर प्रदेश के ग्रामीण और शहरी दोनों इलाकों में इस बीमारी से काफी लोग प्रभावित होते हैं. वहीं, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य भी फाइलेरिया से बुरी तरह प्रभावित हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के 20 राज्यों के 250 से ज्यादा जिलों में यह बीमारी मौजूद है, जिनमें उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, आजमगढ़ और वाराणसी जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. वहीं, बिहार के भागलपुर में हुए नाइट ब्लड सर्वे (21-26 नवंबर) में 10264 सैंपलों में से 2.07% में फाइलेरिया के परजीवी पाए गए.

क्यों होता है फाइलेरिया?

फाइलेरिया एक परजीवी रोग है, जो फाइलेरियोइडिया नामक नन्हे धागे जैसे कीड़ों (निमेटोड) के कारण होता है. ये कीड़े मच्छरों के काटने से इंसानों के शरीर में एंट्री करते हैं. खास तौर पर क्यूलेक्स, एनोफिलीज और एडीज प्रजाति के मच्छर की वजह से यह बीमारी होती है. ये परजीवी मुख्य रूप से तीन तरह वुचरेरिया बैनक्रॉफ्टी, ब्रूगिया मलायी और ब्रूगिया टिमोरी के होते हैं. इनमें वुचरेरिया बैनक्रॉफ्टी सबसे कॉमन है. जब मच्छर किसी इंसान को काटता है तो ये परजीवी खून में प्रवेश कर लिम्फैटिक सिस्टम (लसीका तंत्र) को नुकसान पहुंचाते हैं. यह प्रक्रिया धीरे-धीरे होती है और कई बार लक्षण कई साल बाद दिखाई देते हैं. इसके अलावा गंदे पानी के ठहराव, गंदगी और मच्छरों के प्रजनन के लिए अनुकूल परिस्थितियों से यह बीमारी तेजी से फैलती है.

कितना खतरनाक होता है फाइलेरिया?

फाइलेरिया को उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग (Neglected Tropical Disease) की कैटिगरी में रखा गया है, क्योंकि यह गरीब और कम विकसित क्षेत्रों में ज्यादा फैलता है. आइए जानते हैं कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है. 

  • शरीर पर असर: फाइलेरिया का सबसे गंभीर रूप एलिफेंटियासिस है, जिसमें हाथ, पैर, स्तन, या जननांगों में असामान्य रूप से सूजन आ जाती है. यह सूजन स्थायी विकलांगता का कारण बन सकती है. पुरुषों में हाइड्रोसील (अंडकोष में सूजन) और महिलाओं में स्तनों में सूजन बेहद कॉमन है. इससे स्किन मोटी और खुरदरी हो जाती है, जिससे बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.
  • मेंटल और सोशल इम्पैक्ट: इस बीमारी के कारण मरीजों को सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है. विकृत अंगों के कारण लोग उन्हें पसंद नहीं करते हैं, जिससे मरीज मानसिक तौर पर टूट जाते हैं. 
  • आर्थिक बोझ: फाइलेरिया के इलाज और मैनेजमेंट काफी वक्त और पैसा लगता है. क्रॉनिक मरीजों को बार-बार अस्पताल जाना पड़ता है, जिससे परिवार की आर्थिक स्थिति पर असर पड़ता है.
  • इम्यून सिस्टम पर असर: यह बीमारी इम्यून सिस्टम को कमजोर करती है, जिससे मरीजों में अन्य इंफेक्शन का खतरा बढ़ जाता है.

क्या कहते हैं डॉक्टर?

फाइलेरिया को खत्म करने और इसके इलाज के लिए कई नई रिसर्च हो चुकी हैं. डब्ल्यूएचओ और भारत सरकार के ग्लोबल प्रोग्राम टू एलिमिनेट लिम्फैटिक फाइलेरियासिस (GPELF) के तहत बड़े पैमाने पर दवा वितरण (Mass Drug Administration – MDA) अभियान चलाए जा रहे हैं. इसके तहत डायथाइलकार्बामाजिन (DEC), एल्बेंडाजोल और मेक्टिजन जैसी दवाएं दी जाती हैं, जो परजीवियों को मारने में कारगर होती हैं. पटना के डॉ. आशुतोष रंजन बताते हैं कि फाइलेरिया का इलाज अगर शुरुआती दौर में हो जाए तो मरीज को स्थायी विकलांगता से बचाया जा सकता है. वहीं, गंभीर मामलों में सर्जरी ही एकमात्र ऑप्शन है. उन्होंने बताया कि नई रिसर्च में मैक्रोफाइलेरिसाइड दवाओं पर काम हो रहा है, जो वयस्क परजीवियों को मार सकती हैं. फिलहाल मौजूद दवाएं सिर्फ माइक्रोफाइलेरिया (बच्चे कीड़े) को नष्ट करती हैं, लेकिन वयस्क कीड़े कई साल तक जीवित रहते हैं. 

यह भी पढ़ें: समय से पहले मौत के कितने करीब हैं आप? घर में कर सकते हैं 10 सेकंड का ये सिंपल टेस्ट

Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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पेट में बार-बार होता है दर्द, कहीं यह बीमारी तो नहीं बना रही घर?

पेट में बार-बार होता है दर्द, कहीं यह बीमारी तो नहीं बना रही घर?


हमारी जिंदगी आजकल इतनी ज्यादा बिजी हो चुकी है कि हमारे पास खुद का ध्यान रखने के लिए ही समय नहीं है. कब खाना है, कब सोना है, कब काम करना है, ये सारी चीजें लगभग मिक्स हो गई हैं. शरीर समय-समय पर हमें संकेत देते रहते हैं कि हेल्थ को लेकर सब कुछ ठीक नहीं चर रहा है, लेकिन हम नजरअंदाज कर देते हैं. ऐसे ही अगर पेट में दर्द कुछ घंटों के लिए हो और फिर ठीक हो जाए तो अक्सर हम इसे नजरअंदाज कर देते हैं. हालांकि, जब यह दर्द लगातार हफ्तों या महीनों तक बना रहे तो यह एक सामान्य समस्या नहीं, बल्कि किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है. आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं. 

लगातार क्यों होता है पेट दर्द?

हमारे पेट (Abdomen) में कई अहम अंग होते हैं, जैसे आंत (Intestines), लिवर (Liver), किडनी (Kidney), स्टमक (Stomach) और प्रजनन अंग. इसलिए कारण पता लगाना आसान नहीं होता.

दर्द होने की खास वजह: अगर आपको लगातार पेट में दर्द हो रहा है तो उसकी कुछ खास वजह हो सकती हैं. आइए इनके बारे में जानते हैं. 

  • इरिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (IBS): इसमें बड़ी आंत प्रभावित होती है. लक्षण – पेट में मरोड़, गैस, बार-बार टॉयलेट जाना.
  • एसिड रिफ्लक्स या जीईआरडी (GERD): बार-बार खट्टी डकार, सीने में जलन.
  • गैस्ट्राइटिस और अल्सर (Gastritis & Peptic Ulcer): पेट की परत में सूजन या छाले, अक्सर पेनकिलर ज्यादा खाने या H. pylori इंफेक्शन से.
  • सीलिएक रोग (Celiac Disease): ग्लूटेन से एलर्जी. गेहूं या जौ खाने पर दस्त, थकान, पेट दर्द.
  • डाइवर्टीकुलाइटिस (Diverticulitis): बड़ी आंत में छोटे थैले में इंफेक्शन, आमतौर पर बाईं तरफ दर्द.
  • इंफ्लेमेटरी बॉवेल डिजीज (IBD): क्रोहन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस. लंबे समय तक दस्त और पेट दर्द.

अन्य गंभीर कारण

  • गॉलब्लैडर स्टोन (Gallstones): दाईं तरफ तेज दर्द, खासकर फैटी खाना खाने के बाद.
  • किडनी स्टोन (Kidney Stones): पीठ से लेकर नीचे तक बहुत तेज दर्द.
  • हर्निया (Hernia): पेट में उभार और दर्द, खांसने या वजन उठाने पर बढ़ता है.
  • कैंसर (Cancer): लगातार दर्द के साथ वजन कम होना, खून आना, तो तुरंत डॉक्टर से मिलें.
  • एपेंडिसाइटिस (Appendicitis): दर्द पहले नाभि के आसपास, फिर दाईं तरफ, साथ में बुखार.

कब डॉक्टर को दिखाना जरूरी?

अगर पेट दर्द के साथ ये लक्षण हों तो देर न करें.

  • अचानक ज्यादा दर्द
  • उल्टी, बुखार
  • खून वाली उल्टी या स्टूल
  • आंख या त्वचा का पीला होना (Jaundice)
  • वजन तेजी से घटना
  • बचाव के आसान तरीके
  • संतुलित और फाइबर से भरपूर डाइट लें.
  • ज्यादा तैलीय और जंक फूड से बचें.
  • स्मोकिंग और शराब कम करें.
  • ज्यादा पेनकिलर (NSAIDs) का सेवन न करें.
  • डायबिटीज, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों को कंट्रोल में रखें.

आपको अगर लगातार पेट दर्द को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. समय रहते डॉक्टर से सलाह लें. अगर समय पर आप डॉक्टर के पास नहीं जाते तो दिक्कतें बढ़ने लगती हैं.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.

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